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16 लोगों की हत्या के बाद बनी थी भेलवाघाटी-देवरी सड़क योजना: 19 साल में ग्रामीणों को नहीं मिला लाभ, ठेकेदार होते रहे मालामाल! - Bridge Collapsed

Irregularities in scheme of Bhelwaghati Deori Road. गिरिडीह में निर्माणाधीन पुल के क्षतिग्रस्त होने से जहां इस उग्रवाद प्रभावित गांव की जनता मायूस है. वहीं इस घटना ने यह बता दिया है कि उग्रवादियों के गढ़ में कैसी सरकारी लूट मची है. किस तरह ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं और अधिकारी खामोश हैं.

Allegations of irregularities in scheme of Bhelwaghati Deori Road in Giridih
गिरिडीह में निर्माणाधीन पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद जांच करते अधिकारी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 1, 2024, 3:28 PM IST

गिरिडीहः 11 सितंबर 2005 की रात, झारखंड के इतिहास में काली रात कहलाती है. इस रात नक्सली संगठन ने बिहार की सीमा से सटे भेलवाघाटी पर हमला बोला था. नक्सलियों ने यहां खून की होली खेली थी. एक एक करके 16 ग्रामीणों की जान ली थी. कई घंटे तक नक्सली यहां तांडव मचाते रहे लेकिन बचाव के लिए न तो पुलिस पहुंच सकी और न ही एंबुलेंस यहां तक आ सकी. इसकी सबसे बड़ी वजह थी सड़क का नहीं होना.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः भेलवाघाटी-देवरी सड़क योजना में गड़बड़ी (ETV Bharat)

दरअसल, 2005 की घटना के समय भेलवाघाटी से देवरी तक न तो पक्की सड़क थी और न ही किसी नदी पर पुल था. ऐसे में इस घटना के बाद इस सड़क को बनाने का निर्णय हुआ और सड़क बनी भी. इसके बाद में सड़क का चौड़ीकरण होना शुरू हुआ. फतेहपुर से भेलवाघाटी तक की सड़क का निर्माण कार्य 2019 में शुरू हुआ, लगभग 25 करोड़ की लागत से इसका निर्माण शुरू हुआ. सड़क निर्माण कार्य शुरू हुआ पर गड़बड़ी का आरोप भी लगा. कई दफा ग्रामीणों ने विरोध किया लेकिन क्वालिटी जांच की जगह लीपापोती की जाने लगी. शुक्रवार की रात को जिस निर्माणाधीन पुल का पिलर झूका है और गार्डर बहा है उसके निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत की गई थी लेकिन इसपर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा गया.

मिट्टी पर ही रख दी गई पिलर की आधारशिला

जानकारों का कहना है कि पुल का पिलर ढालने से पहले बोरिंग की जाती है. यह देखा जाता है कि कितना नीचे पत्थर है. उसके बाद उसी अनुसार नक्शा बनाया जाता है. फिर पत्थर तक खुदाई होती है फिर पत्थर में भी खुदाई होती है और अंत में बुनियाद को खड़ा किया जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां ऐसा नहीं किया गया. यहां कीचड़ में ही पिलर की बुनियाद खड़ी कर दी गई. लोग बताते हैं कि इसका विरोध हुआ पर सरकारी तंत्र पर कुछ भी असर नहीं हुआ.

इसे भी पढ़ें- गिरिडीह में RCD के अधिकारियों ने की क्षतिग्रस्त पुल की जांच, बोले ईई संवेदक पर होगी कार्रवाई - investigation of collapsed Bridge

इसे भी पढ़ें- पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद भाजपा का बड़ा आरोपः गड़बड़ी की होती रही शिकायत लेकिन संवेदक को बचाने में जुटा रहा विभाग- जिला परिषद सदस्य - Bridge Collapsed

इसे भी पढ़ें- बिहार के बाद झारखंड में पुल हादसा, मानसून की पहली बारिश सह नहीं पाया निर्माणाधीन ब्रिज, पानी के तेज बहाव में बह गया गर्डर - Bridge damaged in Giridih

गिरिडीहः 11 सितंबर 2005 की रात, झारखंड के इतिहास में काली रात कहलाती है. इस रात नक्सली संगठन ने बिहार की सीमा से सटे भेलवाघाटी पर हमला बोला था. नक्सलियों ने यहां खून की होली खेली थी. एक एक करके 16 ग्रामीणों की जान ली थी. कई घंटे तक नक्सली यहां तांडव मचाते रहे लेकिन बचाव के लिए न तो पुलिस पहुंच सकी और न ही एंबुलेंस यहां तक आ सकी. इसकी सबसे बड़ी वजह थी सड़क का नहीं होना.

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दरअसल, 2005 की घटना के समय भेलवाघाटी से देवरी तक न तो पक्की सड़क थी और न ही किसी नदी पर पुल था. ऐसे में इस घटना के बाद इस सड़क को बनाने का निर्णय हुआ और सड़क बनी भी. इसके बाद में सड़क का चौड़ीकरण होना शुरू हुआ. फतेहपुर से भेलवाघाटी तक की सड़क का निर्माण कार्य 2019 में शुरू हुआ, लगभग 25 करोड़ की लागत से इसका निर्माण शुरू हुआ. सड़क निर्माण कार्य शुरू हुआ पर गड़बड़ी का आरोप भी लगा. कई दफा ग्रामीणों ने विरोध किया लेकिन क्वालिटी जांच की जगह लीपापोती की जाने लगी. शुक्रवार की रात को जिस निर्माणाधीन पुल का पिलर झूका है और गार्डर बहा है उसके निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत की गई थी लेकिन इसपर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा गया.

मिट्टी पर ही रख दी गई पिलर की आधारशिला

जानकारों का कहना है कि पुल का पिलर ढालने से पहले बोरिंग की जाती है. यह देखा जाता है कि कितना नीचे पत्थर है. उसके बाद उसी अनुसार नक्शा बनाया जाता है. फिर पत्थर तक खुदाई होती है फिर पत्थर में भी खुदाई होती है और अंत में बुनियाद को खड़ा किया जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां ऐसा नहीं किया गया. यहां कीचड़ में ही पिलर की बुनियाद खड़ी कर दी गई. लोग बताते हैं कि इसका विरोध हुआ पर सरकारी तंत्र पर कुछ भी असर नहीं हुआ.

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