प्रयागराज : सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने कार्यों के वीडियो सोशल मीडिया और मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर प्रसारित करने के बढ़ते चलन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह अधिकारियों को इस प्रकार के वीडियो जिसमें उनके कार्यों को दिखाया गया है उसे किसी मीडिया प्रोफाइल को वीडियो चैनल, सोशल मीडिया या प्रिंट मीडिया में प्रसारित होने से रोकें. कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव कार्मिक को इन बातों को ध्यान में रखते हुए अदालत के समक्ष बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
आदर्श कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सचिव कार्मिक से इस बारे में हलफनामा मांगा था. हालांकि सचिव कार्मिक द्वारा दाखिल हलफनामे में सरकारी सेवकों की नियमावली प्रस्तुत की गई. जिस पर कोर्ट ने असंतोष जताते हुए कहा कि सचिव ने अदालत के समक्ष सेवा नियमावली का संकलन प्रस्तुत किया है. यह अदालत कानून और सेवा नियमावली को भलीभांति जानती है.
कोर्ट ने कहा कि अदालत यह जानना चाहती है कि विभिन्न पदों पर बैठे अधिकारी उनके लिए बने सेवा नियमों की अनदेखी कर मीडिया और सोशल मीडिया से मुखातिब होते हैं. नवनियुक्त सरकारी अधिकारियों को चाहे वह केंद्र के हों या राज्य के किस प्रकार से प्रशिक्षण दिया जाता है. ऐसे प्रशिक्षण का अधिकारियों पर बहुत सीमित प्रभाव पड़ता है. जब तक की फील्ड में काम के दौरान उनको उनकी जिम्मेदारियां के बारे में याद ना दिलाया जाए.
कोर्ट ने कहा कि अदालत ने इस बात का न्यायिक संज्ञान लिया है कि अक्सर जिला स्तर के अधिकारी अपने कार्यों की मीडिया कवरेज कराते हैं. बाद में इसके वीडियो, वीडियो चैनलों, सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया आदि पर दिखावटी शीर्षक के साथ प्रसारित किए जाते हैं. ऐसे में यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अधिकारियों को ऐसे कार्य करने से रोकें. कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव कार्मिक को इस मामले में एक सप्ताह में बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.