प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि 13 वर्ष की बच्ची गर्भपात कराने या गर्भधारण को जारी रखने के बीच निर्णय ले पाने में सक्षम नहीं है. कोर्ट ने बच्ची को 32 सप्ताह के गर्भ का गर्भपात कराए जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह बच्चे के जन्म पर होने वाले सभी खर्च स्वयं उठाए.
मामले में 13 वर्षीय नाबालिक बच्ची के साथ उसके एक नजदीकी रिश्तेदार ने दुष्कर्म किया था, जिसके साथ वह रह रही थी. इस मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद बच्ची का मेडिकल परीक्षण कराया गया तो उसके गर्भवती होने का पता चला. बच्ची की ओर से गर्भपात कराए जाने की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. न्यायमूर्ति शेखर बी सर्राफ और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने इस पर मेडिकल बोर्ड गठित कर यह राय देने के लिए कहा कि क्या बच्ची का गर्भपात कराया जा सकता है? और क्या इससे उसकी जान को कोई खतरा नहीं होगा?
मेडिकल बोर्ड द्वारा दी गई रिपोर्ट में बताया गया कि वर्तमान स्थिति में गर्भ को जारी रखना ज्यादा सुरक्षित है क्योंकि गर्भपात से बच्ची की जान को खतरा हो सकता है. कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की राय के बाद गर्भपात कराने की इजाजत देने से इनकार कर दिया.
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार बच्चे के जन्म पर होने वाले सभी खर्च वहन करे. पीड़िता के पास कोई पारिवारिक सहारा नहीं है इसलिए बच्चे के जन्म के बाद उसे किसी को गोद दिया जा सकता है. कोर्ट ने इस संबंध में डायरेक्टर सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी को उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है.
रेप को लेकर धार्मिक टिप्पणी के आरोपी AMU प्रोफेसर को राहत, अग्रिम जमानत मंजूर
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दुष्कर्म को लेकर पौराणिक काल की घटनाओं का उदाहरण देकर एक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोपी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जितेंद्र कुमार को राहत दी. कोर्ट ने प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र कुमार की अंतरिम अग्रिम जमानत मंजूर कर ली. यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने दिया.