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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिटायर्ड एडीजे के खिलाफ लूट का मुकदमा किया रद्द, डॉक्टर दामाद ने ही दर्ज कराया था - Allahabad High Court News - ALLAHABAD HIGH COURT NEWS

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिटायर्ड अपर जिला जज के खिलाफ दर्ज लूट और मारपीट के मुकदमे में अपर सत्र न्यायाधीश बांदा की अदालत द्वारा जारी सम्मन आदेश और मुकदमे की कार्यवाही को रद्द कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 3, 2024, 9:33 PM IST

Updated : May 3, 2024, 10:29 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिटायर्ड अपर जिला जज के खिलाफ दर्ज लूट और मारपीट के मुकदमे में अपर सत्र न्यायाधीश बांदा की अदालत द्वारा जारी सम्मन आदेश और मुकदमे की कार्यवाही को रद्द कर दिया है. रिटायर्ड जज के खिलाफ उनके दामाद ने ही मुकदमा दर्ज कराया था. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मुकदमे के विचारण के लिए याची को तलब किया था. जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी. कानपुर नगर निवासी रिटायर्ड जज हीरालाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने दिया.

याचिका में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश बांदा की अदालत द्वारा 21 जुलाई 2023 को जारी सम्मन आदेश को चुनौती दी गई थी. इस आदेश में अदालत में याची को आईपीसी की धारा 392, 323, 504 और 506 में विचारण के लिए तलब किया था. याची का कहना था कि शिकायती परिवाज दर्ज करने वाला उनका दामाद है. उनका एक पुत्र हर्षित भी है. बेटी की मृत्यु के बाद याची ने अपने नवासे हर्षित को अपने पास रखा हुआ है.

हर्षित की कस्टडी लेने के लिए लेने के लिए उनके दामाद ने कानपुर की अदालत में मामला दर्ज किया है, जो लंबित है. अस्थाई कस्टडी की मांग खारिज हो चुकी है. दबाव बनाने के लिए उनके दामाद ने उनके खिलाफ अदालत में शिकायती परिवाद दर्ज कराया है कि 9 मार्च 2022 को याची, उसका बेटा और तीन चार अन्य लोग राइफल, हॉकी, लाठी, डंडा आदि लेकर उसके बांदा स्थित घर पर आए और हर्षित की पढ़ाई के लिए 10 लाख रुपए की मांग की. जब उसने मना किया तो याची और उसके साथ आए लोगों ने उसे लाठी डंडों राइफल की बट से पीटा और 50 हजार रुपये और सोने की चेन लूट कर चले गए.

याची के अधिवक्ता का कहना था कि वह 87 वर्ष का वृद्ध और रिटायर्ड एडीजे है. साथ ही ल्यूकोडर्मा नाम की बीमारी से पीड़ित है. वह लगातार दवाओं पर चल रहा है. उसके लिए यह संभव नहीं है कि वह कानपुर से बांदा राइफल लेकर जाए और मारपीट करे. अधिवक्ता का यह भी कहना था कि घटना 9 मार्च की है जबकि पीड़ित का मेडिकल उसके तीन दिन बाद कराया गया. जबकि पीड़ित जिला अस्पताल बांदा में खुद डॉक्टर है. उसने घटना के बाद इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी. एक माह बाद एसपी बांदा को शिकायत की तथा घटना के ढाई माह बाद उसने धारा 156 (3) के तहत परिवार दर्ज कराया. इस विलंब का कोई स्पष्टीकरण नहीं है. कहा गया कि पूरी प्रक्रिया फर्जी और सिर्फ दबाव बनाने की इरादे से शुरू की गई है.

कोर्ट दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि उपलब्ध तथ्यों से यह स्पष्ट है की पूरी प्रक्रिया दूषित है और गलत इरादे से शुरू की गई है. कोर्ट ने एडीजे बांदा की अदालत द्वारा जारी सम्मन आदेश और वहां चल रही मुकदमे की कार्रवाई को रद्द कर दिया है.

यह भी पढ़ें : गलत पता बताकर जारी कराया एनबीडब्ल्यू, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप के आरोपी को रिहा करने का दिया निर्देश - High Court News

यह भी पढ़ें : शाही ईदगाह विवाद: हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष की दलील- वक्फ के पास दस्तावेज ही नहीं, सब जगह श्रीकृष्ण जन्मभूमि का कब्जा और दखल - Allahabad High Court News

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिटायर्ड अपर जिला जज के खिलाफ दर्ज लूट और मारपीट के मुकदमे में अपर सत्र न्यायाधीश बांदा की अदालत द्वारा जारी सम्मन आदेश और मुकदमे की कार्यवाही को रद्द कर दिया है. रिटायर्ड जज के खिलाफ उनके दामाद ने ही मुकदमा दर्ज कराया था. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मुकदमे के विचारण के लिए याची को तलब किया था. जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी. कानपुर नगर निवासी रिटायर्ड जज हीरालाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने दिया.

याचिका में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश बांदा की अदालत द्वारा 21 जुलाई 2023 को जारी सम्मन आदेश को चुनौती दी गई थी. इस आदेश में अदालत में याची को आईपीसी की धारा 392, 323, 504 और 506 में विचारण के लिए तलब किया था. याची का कहना था कि शिकायती परिवाज दर्ज करने वाला उनका दामाद है. उनका एक पुत्र हर्षित भी है. बेटी की मृत्यु के बाद याची ने अपने नवासे हर्षित को अपने पास रखा हुआ है.

हर्षित की कस्टडी लेने के लिए लेने के लिए उनके दामाद ने कानपुर की अदालत में मामला दर्ज किया है, जो लंबित है. अस्थाई कस्टडी की मांग खारिज हो चुकी है. दबाव बनाने के लिए उनके दामाद ने उनके खिलाफ अदालत में शिकायती परिवाद दर्ज कराया है कि 9 मार्च 2022 को याची, उसका बेटा और तीन चार अन्य लोग राइफल, हॉकी, लाठी, डंडा आदि लेकर उसके बांदा स्थित घर पर आए और हर्षित की पढ़ाई के लिए 10 लाख रुपए की मांग की. जब उसने मना किया तो याची और उसके साथ आए लोगों ने उसे लाठी डंडों राइफल की बट से पीटा और 50 हजार रुपये और सोने की चेन लूट कर चले गए.

याची के अधिवक्ता का कहना था कि वह 87 वर्ष का वृद्ध और रिटायर्ड एडीजे है. साथ ही ल्यूकोडर्मा नाम की बीमारी से पीड़ित है. वह लगातार दवाओं पर चल रहा है. उसके लिए यह संभव नहीं है कि वह कानपुर से बांदा राइफल लेकर जाए और मारपीट करे. अधिवक्ता का यह भी कहना था कि घटना 9 मार्च की है जबकि पीड़ित का मेडिकल उसके तीन दिन बाद कराया गया. जबकि पीड़ित जिला अस्पताल बांदा में खुद डॉक्टर है. उसने घटना के बाद इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी. एक माह बाद एसपी बांदा को शिकायत की तथा घटना के ढाई माह बाद उसने धारा 156 (3) के तहत परिवार दर्ज कराया. इस विलंब का कोई स्पष्टीकरण नहीं है. कहा गया कि पूरी प्रक्रिया फर्जी और सिर्फ दबाव बनाने की इरादे से शुरू की गई है.

कोर्ट दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि उपलब्ध तथ्यों से यह स्पष्ट है की पूरी प्रक्रिया दूषित है और गलत इरादे से शुरू की गई है. कोर्ट ने एडीजे बांदा की अदालत द्वारा जारी सम्मन आदेश और वहां चल रही मुकदमे की कार्रवाई को रद्द कर दिया है.

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Last Updated : May 3, 2024, 10:29 PM IST
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