प्रयागराज: केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने जूनियर इंजीनियर पद की भर्ती में मेडिकल में अयोग्य घोषित किए गए अभ्यर्थी का पुनः स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड गठित कर मेडिकल कराने और उसमें उपयुक्त पाए जाने पर सम्पूर्ण कार्यवाही तीन माह के भीतर समाप्त करते हुए नियुक्ति प्रदान करने और उससे संबधित सभी लाभ देने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति बीके श्रीवास्तव एवं डॉ संजीव कुमार की खंडपीठ ने अनुराग चौधरी की याचिका पर उसके अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी और दूसरे पक्ष के वकील को सुनकर दिया है. खंडपीठ ने याची की मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और अपील खारिज करने वाले आदेश को निरस्त कर दिया है. अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी ने आदेश की जानकारी देते हुए बताया कि याची ने रेलवे की विज्ञापन सीईएन संख्या 03/2018 के तहत जूनियर इंजीनियर पद के लिए आवेदन किया था, जिसमें लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद याची को मेडिकल में रिजेक्ट कर दिया गया.
साथ ही नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया जबकि याची कट ऑफ से अधिक नंबर लाया था. याची को आंख की बीमारी बता कर नियुक्ति देने से इनकार किया गया था. अधिवक्ता त्रिपाठी का कहना था कि याची किसी प्रकार की आंख की बीमारी से ग्रसित नहीं है. याची को मेडिकल के विरुद्ध अपील करने के लिए 20 फरवरी 2020 को सूचना प्रदान की गई, जिसमें 27 मार्च 2020 तक आवेदन करना था. याची द्वारा समय रहते अपील दाखिल करने के बाद भी कोरोना काल के कारण रिमेडिकल की अपील को काल बाधित बताकर पुनः मेडिकल कराने से रोक दिया गया.
अपील खारिज करते हुए रेलवे भर्ती बोर्ड ने तर्क दिया की संबंधित जोनल रेलवे के पास कोई डेस्क्रेशनरी पावर नही है कि वह कोरोना के कारण एक माह के बाद अपील को स्वीकार कर सके जबकि याची ने समय रहते अपील दाखिल कर दी थी. जबकि एक माह के बाद भी लगातार याची से डिमांड ड्राफ्ट ( रिमेडिकल अपील का शुल्क) की मांग यह कह कर करते रहे कि अपील के समय वाला डिमांड ड्राफ्ट कोरोना की वजह से कैश नहीं करा सके. याची ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और अपील खारिज करने के आदेश के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण प्रयागराज में यह याचिका की थी.
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