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हाईकोर्ट ने हत्यारोपी को उम्रकैद की सजा से किया बरी, अभियुक्त को मिला संदेह का लाभ - Allahabad High Court Order - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court Order) ने पुलिस विवेचना में लापरवाही पर सवाल उठाते हुए संदेह का लाभ देकर छात्रा के हत्यारोपी को उम्रकैद की सजा से बरी कर दिया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश. (Photo Credit-Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 29, 2024, 10:58 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रतियोगी छात्रा की हत्या कर उसकी लाश को कई टुकड़ों में काटकर तालाब में फेंकने के आरोपी फतेहपुर के मोहम्मद इरफान उर्फ गुड्डू को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट ने उम्र कैद और जुर्माने की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ अभियुक्त ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की. अपील पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने सुनवाई की. हाईकोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि प्रस्तुत साक्ष्य में कई खामियां हैं. जिससे अभियुक्त संदेह का लाभ पाने का हकदार है.

अभियोजन के अनुसार छात्रा के पिता कमरुलहुदा ने 8 सितंबर 2011 को फतेहपुर कोतवाली थाने में लिखित तहरीर दी कि उनकी बेटी फरहत फातिमा (28) पीसीएस परीक्षा की तैयारी कर रही थी. 28 अगस्त 2011 को घर से दवा लेने के लिए बाजार गई थी. इसके बाद वापस लौटकर नहीं आई. इस पर पिता ने फरहत के रिश्ते में चचेरे भाई इरफान उर्फ गुड्डू पर अगवा करने का शक जताया. पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने के बाद इरफान को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि उसने फरहत की हत्या कर दी है और लाश के कई टुकड़े करके तालाब में फेंक दिया है.

पुलिस ने इरफान की निशानदेही पर तालाब से एक प्लास्टिक बैग से शव के टुकड़ों को बरामद किया. साथ ही फरहत का पर्स और उसकी चप्पल भी बरामद की गई. मोबाइल फोन की जांच से पता चला कि इरफान ने फरहत को कई बार फोन और मैसेज किए थे. बरामद शव की पहचान के लिए डीएनए टेस्टिंग के लिए भेजा गया. हालांकि डीएनए टेस्टिंग रिपोर्ट से उसकी शिनाख्त सत्यापित नहीं हो पाई. ट्रायल कोर्ट ने 13 जनवरी 2023 को इरफान को दोषी करार देते हुए उसे अपहरण, हत्या और साक्ष्य मिटाने तथा 25 आर्म्स एक्ट के तहत उम्र कैद सहित जुर्माने की सजा सुनाई.

हाईकोर्ट ने अपील पर सुनवाई के बाद कहा कि पूरा मामला परिस्थितिजन्य पर आधारित है. इसलिए घटनाक्रम की कड़ियां जोड़ना अनिवार्य है, मगर अभियोजन कड़ियों को पूरी तरह से जोड़ने में नाकाम रहा है. शव की बरामदगी का पंचायत नामा तैयार नहीं किया गया तथा बरामदगी से संबंधित कानून का पूरी तरीके से पालन नहीं किया गया. बरामदगी का कोई स्वतंत्रता साक्षी नहीं है. ट्रायल कोर्ट ने गवाहों के बयान में विरोधाभास को नजर अंदाज किया. विवेचना के स्तर पर पुलिस ने कई गंभीर खामियां की हैं. अभियुक्त का मोबाइल फोन किसके नाम से रजिस्टर्ड है. इसका कोई रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया. इसीलिए अभियुक्त संदेह का लाभ पाने का हकदार है. कोर्ट ने अभियुक्त इरफान को हत्या के आरोप से बरी कर दिया है.

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट का अहम फैसला; महिलाओं के अश्लील वीडियो वायरल करना समाज के लिए गंभीर खतरा, पुलिस की खराब जांच भी चिंताजनक - Allahabad High Court News

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अभियोजन के अनुसार छात्रा के पिता कमरुलहुदा ने 8 सितंबर 2011 को फतेहपुर कोतवाली थाने में लिखित तहरीर दी कि उनकी बेटी फरहत फातिमा (28) पीसीएस परीक्षा की तैयारी कर रही थी. 28 अगस्त 2011 को घर से दवा लेने के लिए बाजार गई थी. इसके बाद वापस लौटकर नहीं आई. इस पर पिता ने फरहत के रिश्ते में चचेरे भाई इरफान उर्फ गुड्डू पर अगवा करने का शक जताया. पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने के बाद इरफान को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि उसने फरहत की हत्या कर दी है और लाश के कई टुकड़े करके तालाब में फेंक दिया है.

पुलिस ने इरफान की निशानदेही पर तालाब से एक प्लास्टिक बैग से शव के टुकड़ों को बरामद किया. साथ ही फरहत का पर्स और उसकी चप्पल भी बरामद की गई. मोबाइल फोन की जांच से पता चला कि इरफान ने फरहत को कई बार फोन और मैसेज किए थे. बरामद शव की पहचान के लिए डीएनए टेस्टिंग के लिए भेजा गया. हालांकि डीएनए टेस्टिंग रिपोर्ट से उसकी शिनाख्त सत्यापित नहीं हो पाई. ट्रायल कोर्ट ने 13 जनवरी 2023 को इरफान को दोषी करार देते हुए उसे अपहरण, हत्या और साक्ष्य मिटाने तथा 25 आर्म्स एक्ट के तहत उम्र कैद सहित जुर्माने की सजा सुनाई.

हाईकोर्ट ने अपील पर सुनवाई के बाद कहा कि पूरा मामला परिस्थितिजन्य पर आधारित है. इसलिए घटनाक्रम की कड़ियां जोड़ना अनिवार्य है, मगर अभियोजन कड़ियों को पूरी तरह से जोड़ने में नाकाम रहा है. शव की बरामदगी का पंचायत नामा तैयार नहीं किया गया तथा बरामदगी से संबंधित कानून का पूरी तरीके से पालन नहीं किया गया. बरामदगी का कोई स्वतंत्रता साक्षी नहीं है. ट्रायल कोर्ट ने गवाहों के बयान में विरोधाभास को नजर अंदाज किया. विवेचना के स्तर पर पुलिस ने कई गंभीर खामियां की हैं. अभियुक्त का मोबाइल फोन किसके नाम से रजिस्टर्ड है. इसका कोई रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया. इसीलिए अभियुक्त संदेह का लाभ पाने का हकदार है. कोर्ट ने अभियुक्त इरफान को हत्या के आरोप से बरी कर दिया है.

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