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कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद; सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कहा- समझौते में विवादित संपत्ति शाही ईदगाह को दी गई थी - High Court News - HIGH COURT NEWS

मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में मंगलवार को भी सुनवाई पूरी नहीं हुई. इस मामले में अब सुनवाई शुक्रवार को होगी.

मथुरा कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद.
मथुरा कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद. (PHOTO CREDIT ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 21, 2024, 9:12 PM IST

प्रयागराज: मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में मंगलवार को भी सुनवाई पूरी नहीं हुई. इस मामले में अब सुनवाई शुक्रवार को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने दिया है. मंगलवार को सुनवाई के दौरान यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से कहा गया कि इस मामले में 12 अक्टूबर 1968 को हिंदू पक्ष और वक्फ बोर्ड के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें विवादित संपत्ति शाही ईदगाह को दे दी गई. 1974 में तय हुए एक दीवानी मुकदमे में भी इस समझौते की पुष्टि हुई है. यह समझौता श्री जन्म सेवा संस्थान द्वारा किया गया, जिसमें जाने-माने लोग सदस्य थे. कहा गया कि पक्षकारों के बीच कई मुकदमे चल रहे थे, इसलिए उन्होंने समझौता करने का फैसला किया था और तभी से मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा कर रहे हैं.

हिंदू पक्ष की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि उनके अपने संस्करण के अनुसार समझौते में शामिल वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह के किरायेदार और लाइसेंसधारी थे. जिससे पता चलता है कि हस्ताक्षरकर्ता संपत्ति के मालिक नहीं थे बल्कि शाही ईदगाह के किरायेदार और लाइसेंसधारी थे. संपत्ति देवता भगवान श्री केशव देव विराजमान कटरा केशव देव की है और इस प्रकार जन्म सेवा संस्थान को समझौता करने का कोई अधिकार नहीं था. जन्म सेवा संस्थान का उद्देश्य केवल रोजमर्रा की गतिविधियों का प्रबंधन करना था.

इससे पहले सोमवार को हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया था कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 केवल अविवादित ढांचे के मामले में लागू होगा, विवादित ढांचे के मामले में नहीं होगा. इस मामले में मुकदमे में धार्मिक चरित्र अब भी तय किया जाना बाकी है और यह केवल साक्ष्य द्वारा तय किया जाना है. यह भी कहा गया कि मंदिर में अवैध निर्माण पर मुकदमा चलाने पर रोक नहीं लगाई जा सकती. यह सब मुकदमे में ही गुण-दोष के आधार पर तय किया जाएगा. हिंदू पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि मुकदमा चलने योग्य है, विचारणीय न होने संबंधी याचिका पर प्रमुख साक्ष्यों के बाद ही फैसला किया जा सकता है.

प्रयागराज: मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में मंगलवार को भी सुनवाई पूरी नहीं हुई. इस मामले में अब सुनवाई शुक्रवार को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने दिया है. मंगलवार को सुनवाई के दौरान यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से कहा गया कि इस मामले में 12 अक्टूबर 1968 को हिंदू पक्ष और वक्फ बोर्ड के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें विवादित संपत्ति शाही ईदगाह को दे दी गई. 1974 में तय हुए एक दीवानी मुकदमे में भी इस समझौते की पुष्टि हुई है. यह समझौता श्री जन्म सेवा संस्थान द्वारा किया गया, जिसमें जाने-माने लोग सदस्य थे. कहा गया कि पक्षकारों के बीच कई मुकदमे चल रहे थे, इसलिए उन्होंने समझौता करने का फैसला किया था और तभी से मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा कर रहे हैं.

हिंदू पक्ष की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि उनके अपने संस्करण के अनुसार समझौते में शामिल वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह के किरायेदार और लाइसेंसधारी थे. जिससे पता चलता है कि हस्ताक्षरकर्ता संपत्ति के मालिक नहीं थे बल्कि शाही ईदगाह के किरायेदार और लाइसेंसधारी थे. संपत्ति देवता भगवान श्री केशव देव विराजमान कटरा केशव देव की है और इस प्रकार जन्म सेवा संस्थान को समझौता करने का कोई अधिकार नहीं था. जन्म सेवा संस्थान का उद्देश्य केवल रोजमर्रा की गतिविधियों का प्रबंधन करना था.

इससे पहले सोमवार को हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया था कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 केवल अविवादित ढांचे के मामले में लागू होगा, विवादित ढांचे के मामले में नहीं होगा. इस मामले में मुकदमे में धार्मिक चरित्र अब भी तय किया जाना बाकी है और यह केवल साक्ष्य द्वारा तय किया जाना है. यह भी कहा गया कि मंदिर में अवैध निर्माण पर मुकदमा चलाने पर रोक नहीं लगाई जा सकती. यह सब मुकदमे में ही गुण-दोष के आधार पर तय किया जाएगा. हिंदू पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि मुकदमा चलने योग्य है, विचारणीय न होने संबंधी याचिका पर प्रमुख साक्ष्यों के बाद ही फैसला किया जा सकता है.

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