देहरादून: उत्तराखंड में राज्य गठन से लेकर अब तक सरकारी नौकरियां के लिए सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाला उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के अस्तित्व पर बीते सालों खतरा मंडराने लगा था. तब UKSSSC के तंत्र में नकल माफिया ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली थी. प्रदेश में साल 2021 और 22 में भर्ती परीक्षा में हुए धांधली के खुलासे के बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की तमाम व्यवस्थाएं चरमरा गई. गाहे बगाहे अंदर खाने आयोग को भंग करने तक का विवाद भी उठने लगा. तब इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुलकर बयान दिया था.
अब बीते कुछ सालों में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया है. भर्ती घोटाले के बाद आयोग के अध्यक्ष और सचिव दोनों को हटा दिया गया. आयोग के अध्यक्ष के रूप में पूर्व आईएएस अधिकारी एस राजू को हटाकर जीएस मार्तोलिया को जिम्मेदारी दी गई. वहीं सचिव के पद पर संतोष बडोनी को हटाकर सुरेंद्र रावत को जिम्मेदारी दी गई. सुरेंद्र रावत बताते हैं पिछले डेढ़ सालों में उन्होंने आयोग में फैली भ्रष्टाचार की जोड़ों को खत्म करने का काम किया है. उन्होंने बताया पुराने आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाकर नई भर्ती की गई है. आयोग ने परीक्षाओं के लिए फुलप्रूफ प्लान बनाया है. अब आयोग पूरी तरह से नई ऊर्जा के साथ काम कर रहा है.
सभी परीक्षाएं UKPSC से UKSSSC को दी गई: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव सुरेंद्र रावत ने बताया यह बेहद खुशी की बात है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से नकल की वजह से उत्तराखंड सेवा चयन आयोग को भेजी गई सभी परीक्षाओं को वापस उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में ट्रांसफर कर दिया गया है. अब सभी समूह क, ख और घ की राज्य स्तरीय परीक्षाएं उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग करवाएगा.
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) के सचिव गिरधारी सिंह रावत ने बताया, 'नकल घोटाले के चलते जो परीक्षाएं उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से हटाकर लोक सेवा आयोग को दी गई थी, उनमें से ज्यादातर परीक्षाएं करवाई जा चुकी हैं. इसमें कुछ का रिजल्ट आना बाकी है. इसमें मानचित्रकर, गन्ना निरीक्षक, राज्य संपत्ति में व्यवस्थापक और सेनेटरी इंस्पेक्टर इनके परिणाम आने बाकी हैं. इसके अलावा बची हुई सारी परीक्षाएं अब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग खुद करवाएगा.'
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