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मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को लेकर छत्तीसगढ़ में एक्शन, प्रदेश की ट्विन सिटी में दिशा निर्देश जारी - Increasing Threat Of Monkeypox - INCREASING THREAT OF MONKEYPOX

Increasing Threat Of Monkeypox मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे के मद्देनजर छत्तीसगढ़ में भी एक्शन का दौर शुरू हो गया है. प्रदेश की ट्विन सिटी के रूप में मशहूर दुर्ग भिलाई में कलेक्टर ने मंकी पॉक्स को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं. Zoonotic Diseases

INCREASING THREAT OF MONKEYPOX
दुर्ग में मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 27, 2024, 9:48 PM IST

Meeting Regarding Monkeypox In Durg
दुर्ग में मंकीपॉक्स को लेकर बैठक (ETV BHARAT)

दुर्ग भिलाई: साल 2022 के बाद से भारत में मंकीपॉक्स के 30 केस दर्ज किए गए हैं. दुनिया में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों और विश्व स्वास्थ्य संगठन की एडवाइजरी के बाद भारत में भी मंकीपॉक्स को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की है. उसके बाद से सभी राज्यों में मंकीपॉक्स को लेकर सतर्कता बरती जा रही है. छत्तीसगढ़ में मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है. मंगलवार को दुर्ग की कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने जिला प्रशासन की मीटिंग ली और मंकीपॉक्स को लेकर चर्चा की गई.

मंकीपॉक्स को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी: मंकीपॉक्स को लेकर 20 अगस्त को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बीमारी से बचाव और रोकथाम को लेकर एडवाइजरी जारी की थी. 14 अगस्त को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस बीमारी को हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कान्स डिक्लेयर किया है. उसके बाद से भारत सरकार भी इस घातक बीमारी को लेकर एक्टिव है.

दुर्ग में मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट: दुर्ग में जिला प्रशासन मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट है. मंकीपॉक्स के सर्विलांस, रोकथाम और इस बीमारी के मरीजों के इलाज को लेकर केलेक्टर ने विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए हैं. इसके तहत सभी अस्पतालों को अलर्ट किया गया है और जिले के प्रमुख हॉस्पिटल्स में इस बीमारी की रोकथाम को लेकर उपाय करने के निर्देश अस्पताल के इंचार्ज को दे दिए गए हैं. मंकीपॉक्स के केस की जल्दी से जल्दी पहचान कराने को लेकर भी दुर्ग में सभी अस्पताल अलर्ट मोड पर है

"जानवरों के संपर्क में आने से यह बीमारी के फैलने का खतरा रहता है. इसलिए ग्रामीण इलाकों में ज्यादा से ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है. दुनिया में मंकीपॉक्स के बढ़ते केसेस को लेकर हर देश का हेल्थ डिपार्टमेंट अलर्ट है. भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी दिशा निर्देश के तहत दुर्ग जिले में भी जिला प्रशासन कार्य कर रहा है. हमने अस्पतालों के साथ साथ हेल्थ वर्करों को भी अलर्ट किया है": ऋचा प्रकाश चौधरी, कलेक्टर, दुर्ग

"मंकीपॉक्स बीमारी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग एवं संबंधित विभाग के अधिकारियों की बैठक ली गई. इसके बाद सभी जिले के सभी विकासखण्डों एवं ग्राम पंचायतों में शिविर लगाकर नागरिकों को मंकीपॉक्स बीमारी के प्रति जागरुक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को कहा गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की तरफ से जारी एडवायजरी में दिए गए सभी आवश्यक दिशा-निर्देशों का गंभीरतापूर्वक पालन करने को कहा गया है": ऋचा प्रकाश चौधरी, कलेक्टर, दुर्ग

क्या है मंकीपॉक्स बीमारी ?: मंकीपॉक्स बीमारी मुख्य रूप से एक जूनोटिक डिजीज है. यह बीमारी जानवरों से मनुष्य और फिर मनुष्य से मनुष्य के बीच फैलता है. मंकीपॉक्स सबसे ज्यादा मध्य और पश्चिम अफ्रीका के क्षेत्रों में पाया गया है. भारत में इस बीमारी से जुड़े केस केरल में मार्च 2024 में आए हैं.

मंकीपॉक्स के लक्षण क्या है ?: मंकीपॉक्स के लक्षण की बात करें तो इसमें मरीज को बुखार, चकत्ते और लिम्फ नोड्स में सूजन पाया जाता है. मंकीपॉक्स संक्रमण के सीरियस केस सबसे ज्यादा बच्चों में पाए जाते हैं. यह पीरियड 5न से 25 दिनों का होता है. इस वायरस की वजह से शरीर के तरल पदार्थ घाव के संपर्क में आने लगते हैं. दूषित और लिनेन कपड़ों से भी इस बीमारी के फैलने का खतरा है.

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Meeting Regarding Monkeypox In Durg
दुर्ग में मंकीपॉक्स को लेकर बैठक (ETV BHARAT)

दुर्ग भिलाई: साल 2022 के बाद से भारत में मंकीपॉक्स के 30 केस दर्ज किए गए हैं. दुनिया में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों और विश्व स्वास्थ्य संगठन की एडवाइजरी के बाद भारत में भी मंकीपॉक्स को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की है. उसके बाद से सभी राज्यों में मंकीपॉक्स को लेकर सतर्कता बरती जा रही है. छत्तीसगढ़ में मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है. मंगलवार को दुर्ग की कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने जिला प्रशासन की मीटिंग ली और मंकीपॉक्स को लेकर चर्चा की गई.

मंकीपॉक्स को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी: मंकीपॉक्स को लेकर 20 अगस्त को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बीमारी से बचाव और रोकथाम को लेकर एडवाइजरी जारी की थी. 14 अगस्त को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस बीमारी को हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कान्स डिक्लेयर किया है. उसके बाद से भारत सरकार भी इस घातक बीमारी को लेकर एक्टिव है.

दुर्ग में मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट: दुर्ग में जिला प्रशासन मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट है. मंकीपॉक्स के सर्विलांस, रोकथाम और इस बीमारी के मरीजों के इलाज को लेकर केलेक्टर ने विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए हैं. इसके तहत सभी अस्पतालों को अलर्ट किया गया है और जिले के प्रमुख हॉस्पिटल्स में इस बीमारी की रोकथाम को लेकर उपाय करने के निर्देश अस्पताल के इंचार्ज को दे दिए गए हैं. मंकीपॉक्स के केस की जल्दी से जल्दी पहचान कराने को लेकर भी दुर्ग में सभी अस्पताल अलर्ट मोड पर है

"जानवरों के संपर्क में आने से यह बीमारी के फैलने का खतरा रहता है. इसलिए ग्रामीण इलाकों में ज्यादा से ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है. दुनिया में मंकीपॉक्स के बढ़ते केसेस को लेकर हर देश का हेल्थ डिपार्टमेंट अलर्ट है. भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी दिशा निर्देश के तहत दुर्ग जिले में भी जिला प्रशासन कार्य कर रहा है. हमने अस्पतालों के साथ साथ हेल्थ वर्करों को भी अलर्ट किया है": ऋचा प्रकाश चौधरी, कलेक्टर, दुर्ग

"मंकीपॉक्स बीमारी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग एवं संबंधित विभाग के अधिकारियों की बैठक ली गई. इसके बाद सभी जिले के सभी विकासखण्डों एवं ग्राम पंचायतों में शिविर लगाकर नागरिकों को मंकीपॉक्स बीमारी के प्रति जागरुक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को कहा गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की तरफ से जारी एडवायजरी में दिए गए सभी आवश्यक दिशा-निर्देशों का गंभीरतापूर्वक पालन करने को कहा गया है": ऋचा प्रकाश चौधरी, कलेक्टर, दुर्ग

क्या है मंकीपॉक्स बीमारी ?: मंकीपॉक्स बीमारी मुख्य रूप से एक जूनोटिक डिजीज है. यह बीमारी जानवरों से मनुष्य और फिर मनुष्य से मनुष्य के बीच फैलता है. मंकीपॉक्स सबसे ज्यादा मध्य और पश्चिम अफ्रीका के क्षेत्रों में पाया गया है. भारत में इस बीमारी से जुड़े केस केरल में मार्च 2024 में आए हैं.

मंकीपॉक्स के लक्षण क्या है ?: मंकीपॉक्स के लक्षण की बात करें तो इसमें मरीज को बुखार, चकत्ते और लिम्फ नोड्स में सूजन पाया जाता है. मंकीपॉक्स संक्रमण के सीरियस केस सबसे ज्यादा बच्चों में पाए जाते हैं. यह पीरियड 5न से 25 दिनों का होता है. इस वायरस की वजह से शरीर के तरल पदार्थ घाव के संपर्क में आने लगते हैं. दूषित और लिनेन कपड़ों से भी इस बीमारी के फैलने का खतरा है.

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