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गुमला में अल्बर्ट एक्का का शहादत दिवस सादगी से मनाया गया, पदाधिकारियों ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि

परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का के शहादत दिवस पर उन्हें याद किया गया. इस दौरान उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

Albert Ekka Martyrdom Day
गुमला में अल्बर्ट एक्का की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते पदाधिकारी. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 18 hours ago

गुमलाः अल्बर्ट एक्का का शहादत दिवस मंगलवार को पैतृक गांव जारी में सादगी से मनाया गया. साथ ही अल्बर्ट एक्का स्टेडियम के समीप स्थापित आदम कद प्रतिमा पर डीसी कर्ण सत्यार्थी, डीडीसी दिलेश्वर महतो, अपर समाहर्ता, एसडीओ, डीटीओ, डीपीआरओ, एसडीपीओ, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी, बीडीओ, सीओ सहित कई पदाधिकारियों और गणमान्य लोगों ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की.

इस मौके पर डीसी कर्ण सत्यार्थी ने कहा कि अल्बर्ट एक्का का बलिदान झारखंड और गुमला ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा देने वाला है. शहीद अल्बर्ट एक्का के नाम से जिले में एक प्रखंड का नामकरण किया गया है. उन्होंने कहा कि हम सभी को शहीदों के आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए. बता दें कि अल्बर्ट एक्का ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में आदम्य साहस का परिचय दिया था. उन्होंने पाकिस्तान में घुस कर उनके बंकरों को नष्ट कर दिया था और दुश्मनों को मार गिराया था. अल्बर्ट एक्का के अदम्य साहस की बदौलत ही भारत ने पाकिस्तान को शिकस्त दी थी. हालांकि इस युद्ध में तीन दिसंबर 1971 को अलबर्ट एक्का शहीद हो गए थे.

गुमला में अल्बर्ट एक्का के शहादत दिवस पर प्रतिमा पर माल्यार्पण करते पदाधिकारी. (वीडियो-ईटीवी भारत)

मरणोपरांत अल्बर्ट एक्का को देश के सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. बताया जाता है भारत-पाक 1971 के युद्ध में 15 भारतीय सैनिकों को मरता देख अल्बर्ट एक्का दौड़ते हुए टॉप टावर पर चढ़ गए थे. उसके बाद टॉप टावर के मशीनगन को अपने कब्जे में लेकर उन्होंने दुश्मनों को तहस-नहस कर दिया था. इस दौरान उन्हें 20 से 25 गोलियां लगी थी. जिसके बाद वो टॉप टावर से नीचे गिर गए थे और वीरगति को प्राप्त हुए थे. बताते चलें कि 20 वर्ष की उम्र में अल्बर्ट एक्का ने 1962 में भारत-चीन युद्ध में भी अपनी बुद्धि और बहादुरी का लोहा मनवाया था.

आपको बता दें कि अल्बर्ट एक्का का जन्म 27 दिसंबर 1942 को झारखंड के गुमला के जारी गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम जूलियस एक्का और माता का नाम मरियम एक्का था. एक्का आदिवासी जनजाति परिवार से थे. 27 दिसंबर 1962 को एक्का बिहार रेजिमेंट में भर्ती हुए थे. उन्होंने अपने जीवन काल में भारत की ओर से कई युद्ध लड़े और अदम्य साहस का परिचय दिया था.

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इस मौके पर डीसी कर्ण सत्यार्थी ने कहा कि अल्बर्ट एक्का का बलिदान झारखंड और गुमला ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा देने वाला है. शहीद अल्बर्ट एक्का के नाम से जिले में एक प्रखंड का नामकरण किया गया है. उन्होंने कहा कि हम सभी को शहीदों के आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए. बता दें कि अल्बर्ट एक्का ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में आदम्य साहस का परिचय दिया था. उन्होंने पाकिस्तान में घुस कर उनके बंकरों को नष्ट कर दिया था और दुश्मनों को मार गिराया था. अल्बर्ट एक्का के अदम्य साहस की बदौलत ही भारत ने पाकिस्तान को शिकस्त दी थी. हालांकि इस युद्ध में तीन दिसंबर 1971 को अलबर्ट एक्का शहीद हो गए थे.

गुमला में अल्बर्ट एक्का के शहादत दिवस पर प्रतिमा पर माल्यार्पण करते पदाधिकारी. (वीडियो-ईटीवी भारत)

मरणोपरांत अल्बर्ट एक्का को देश के सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. बताया जाता है भारत-पाक 1971 के युद्ध में 15 भारतीय सैनिकों को मरता देख अल्बर्ट एक्का दौड़ते हुए टॉप टावर पर चढ़ गए थे. उसके बाद टॉप टावर के मशीनगन को अपने कब्जे में लेकर उन्होंने दुश्मनों को तहस-नहस कर दिया था. इस दौरान उन्हें 20 से 25 गोलियां लगी थी. जिसके बाद वो टॉप टावर से नीचे गिर गए थे और वीरगति को प्राप्त हुए थे. बताते चलें कि 20 वर्ष की उम्र में अल्बर्ट एक्का ने 1962 में भारत-चीन युद्ध में भी अपनी बुद्धि और बहादुरी का लोहा मनवाया था.

आपको बता दें कि अल्बर्ट एक्का का जन्म 27 दिसंबर 1942 को झारखंड के गुमला के जारी गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम जूलियस एक्का और माता का नाम मरियम एक्का था. एक्का आदिवासी जनजाति परिवार से थे. 27 दिसंबर 1962 को एक्का बिहार रेजिमेंट में भर्ती हुए थे. उन्होंने अपने जीवन काल में भारत की ओर से कई युद्ध लड़े और अदम्य साहस का परिचय दिया था.

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