अजमेर : दरगाह में शिव मंदिर वाद प्रकरण में परिवादी विष्णु गुप्ता ने अजमेर पश्चिम की सिविल कोर्ट में अर्जी देकर दरगाह में शनिवार को पेश होने वाली पीएम मोदी की चादर पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है. परिवादी का तर्क है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दरगाह में चादर पेश करने से कोर्ट में याचिका प्रभावित हो रही है और केस को नुकसान पहुंचेगा. वहीं, परिवादी विष्णु गुप्ता ने बताया कि कोर्ट में उनकी ओर से स्थानीय वकील विजय शर्मा ने अर्जी लगाई है. हालांकि, वो खुद इस अर्जी को लेकर कोर्ट में होने वाली सुनवाई में अपनी पैरवी करेंगे.
परिवादी ने बताया कि शुक्रवार को अजमेर पश्चिम की सिविल कोर्ट संख्या प्रथम में अर्जी दाखिल की गई. शनिवार को सुबह 10 बजे कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी. कोर्ट से अर्जी के माध्यम से आग्रह किया गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी की दरगाह में पेश होने वाली चादर पर स्टे के आदेश जारी किए जाए. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी सभी के हैं. याचिका में पक्षकार केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग, भारतीय पुरातत्व विभाग और ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह कमेटी है. ये सभी विभाग सरकार के अभिन्न अंग हैं. ऐसे में जब सरकार के मुखिया की ओर से दरगाह में चादर पेश की जा रही है, तो उन्हें फिर न्याय कौन देगा.
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गुप्ता ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. ऐसे में जब तक कोर्ट में वाद चल रहा है, तब तक चादर पर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोई भी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति दरगाह में चादर न भेजें. इस पर रोक लगनी चाहिए. इस मामले को लेकर कोर्ट में शनिवार को सुनवाई है. बता दें कि परिवादी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव को भी पत्र लिखकर दरगाह में चादर नहीं भेजने का पीएम मोदी से आग्रह किए थे. इसके बावजूद शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री किरेन रिजिजू दरगाह में चादर पेश करेंगे. साथ ही पीएम मोदी का संदेश पढ़कर सुनाएंगे.
ये है दरगाह वाद प्रकरण : बता दें कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए अजमेर की पश्चिम सिविल कोर्ट संख्या प्रथम में याचिका दायर की थी. इस याचिका में परिवादी ने अजमेर दरगाह कमेटी, भारतीय पुरातत्व विभाग और केंद्रीय अल्पसंख्यक विभाग को पक्षकार बनाया था.
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इस कोर्ट ने तीनों पक्षकारों को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किए थे. तीनों ही पक्षकारों ने लिखित में अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट से समय मांगा है. हालांकि, दरगाह कमेटी ने प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट 1991 और ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह एक्ट 1955 का हवाला देते हुए वाद को निरस्त करने की कोर्ट में अर्जी पेश की थी. इस प्रकरण में 24 जनवरी को अगली सुनवाई होनी है.