करनाल: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. हिंदू वर्ष कैलेंडर के अनुसार भादो या भाद्रपद महीने की शुरुआत हो चुकी है और इस महीने में कई प्रमुख व्रत व त्यौहार आते हैं. भादो महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है.
कब है अजा एकादशी: पंडित शशि पाल शर्मा ने बताया कि अजा एकादशी का आरंभ 29 अगस्त को अल सुबह 1:19 से शुरू हो रही है. जबकि इसका समापन 30 अगस्त को देर रात 1:37 पर होगा. प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए एकादशी का व्रत 29 अगस्त के दिन रखा जाएगा. व्रत के पारण का समय 30 अगस्त को सुबह 7:49 से शुरू होकर 8:31 तक रहेगा.
अजा एकादशी के दिन शुभ योग: पंडित शशि पाल शर्मा ने बताया कि अजा एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इस दिन कई शुभ योग का संयोग बना रहा है. इस एकादशी के दिन सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जो सुबह 6:18 तक रहेगा. इस योग में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है और जो भी इंसान इस समय के अनुसार पूजा करता है. तो उसको विशेष फल की प्राप्ति होती है. सर्वार्थ सिद्धि योग शाम के 4:39 से शुरू होकर 30 अगस्त को सुबह 6:08 तक रहेगा. इस समय के दौरान भी पूजा अर्चना करने से कई गुणनफल की प्राप्ति होती है.
अजा एकादशी का महत्व: पंडित शशि पाल शर्मा ने बताया कि 1 साल में 24 एकादशी होती है. वहीं, जिस वर्ष अधिक मास होता है. उस साल 26 एकादशी होती है. प्रत्येक महीने में दो एकादशी होती है. भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है. जिसके व्रत का विशेष महत्व होता है. उन्होंने बताया कि इस एकादशी के दिन व्रत करने से कई जन्मों के पाप से मुक्ति मिल जाती है, तो वहीं भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि आती है. भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. घर में लक्ष्मी का आगमन होता है.
शास्त्रों में बताया गया है की एकादशी का व्रत करने से इंसान को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए हिंदू धर्म में इसका बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस प्राप्त कर सकते हैं. धार्मिक ग्रंथो में बताया गया है कि राजा हरिश्चंद्र ने अजा एकादशी का व्रत किया था. जिसके बाद उन्होंने अपना खोया हुआ राज्य और परिवार वापस प्राप्त हुआ था.
अजा एकादशी व्रत का विधि-विधान: पंडित ने बताया कि एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. उसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और अपने घर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. उनकी पूजा अर्चना करने के बाद उनको पीले रंग के फल फूल वस्त्र मिठाई अर्पित करें. जो भी इंसान इसका व्रत करना चाहता है, वह व्रत करने का प्रण ले और यह निर्जला व्रत होता है. दिन में एकादशी की कथा पढ़े और शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के बाद ब्राह्मण, जरूरतमंद गरीबों और गाय को भोजन करवाए. उसके बाद अपनी इच्छा अनुसार उनका दक्षिणा दें अगले दिन सुबह पारण के समय अपने व्रत का पालन कर ले.
ये भी पढ़ें: भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि आज, चिकित्सा संबंधी कार्यों के लिए है अच्छा दिन - 20 August Panchang
ये भी पढ़ें: चंद्रमा आज कुंभ राशि में होगा उपस्थित, जानें किन राशियों से जुड़े लोगों को होगा सकारात्मक फायदा - 20 AUGUST RASHIFAL