बस्तर : छत्तीसगढ़ के बस्तर में मतदान की तैयारियां चल रही हैं.19 अप्रैल को बस्तर लोकसभा सीट के लिए वोटिंग होगी.इसके लिए सुरक्षा के चाक चौबंद व्यवस्था की गई है. नक्सली क्षेत्र होने के कारण सुरक्षा बलों ने चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखनी शुरु की है. बीते दिनों बस्तर के धुर नक्सल क्षेत्र में हवाई हमले की जानकारी सामने आई है.इस हवाई हमले को लेकर नक्सलियों ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.वहीं पुलिस के मुताबिक नक्सली अपने खिलाफ हो रही कार्रवाई से घबरा गए हैं. इन सब दावों के बीच ईटीवी भारत ग्राउंड जीरो पर पहुंचा और जाना आखिर क्या है सच्चाई .
नक्सल क्षेत्र में एयरस्ट्राइक का दावा : बीजापुर सुकमा जिले का सीमावर्ती इलाके में कई नक्सल प्रभावित गांव हैं. इन गांवों में 7 अप्रैल की रात को आसमान से आफत आई. ईटीवी भारत एक गांव तक पहुंची और जाना कि जो दावा किया जा रहा है वो कितना सही है. गांव में पहुंचने के बाद आसमान से गिराए गए बम के निशान अब भी जंगलों में अपने होने की गवाही दे रहे थे. ग्रामीणों की माने तो रात 11 बजकर 45 मिनट के आसपास गोलियों की आवाज सुनाई दी.जिसके बाद गांव में अफरा तफरी का माहौल बन गया.
'' आधी रात को गोलियों की आवाज सुनाई दी. ग्रामीण अपनी झोपड़ियों से बाहर निकले और एक जगह पर इकट्ठा हो गए. इसी दौरान उन्होंने देखा कि गांव से कुछ दूर जंगलों में बम फट रहे हैं. ये सब देखकर ग्रामीणों की आंख से नींद उड़ गई. रात भर ग्रामीण डर की वजह से सो नहीं पाएं. सुबह उठकर जब जंगल में गए तो देखा कि वहां बड़े-बड़े गड्ढे थे. रॉकेट लॉन्चर और बम बिखरे पड़े थे. बम के डर के कारण अब हम लोग जंगल में जाकर महुआ नहीं बिन पा रहे हैं.'' ग्रामीण
हवाई हमले से दहशत में ग्रामीण : ग्रामीणों की माने तो थोड़ी देर बाद गोलीबारी थम गई.अगली सुबह जब सूरज की किरणें फूटी,तो अपनी जान की खैर मना रहे ग्रामीण भी उस ओर गए जहां रात को गोलियां चली थी. जंगल के अंदर बमबारी के अवशेष दिखे.जिन रॉकेट लॉन्चर से बम गिराए गए थे वो भी मौके पर था. आपको बता दे कि इन दिनों जंगल में महुआ का सीजन है. वनोपज महुआ बीनने ग्रामीण जंगल जाते हैं. लेकिन आसमान में उड़ते ड्रोन को देखकर अब वो वापस घर लौट आते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उनका जीवन ही जंगल पर निर्भर है. जंगल से महुआ, टोरा और तेंदूपत्ता जैसे वनोपज तोड़कर जीवन जीते हैं. लेकिन बमबारी के कारण जंगलों के अंदर नहीं जा रहे हैं. ऐसे में उनके सामने जिंदगी जीने की समस्या पैदा हो गई है.
नक्सलियों ने ग्रामीणों पर हवाई हमले की कही बात : इस घटना को लेकर बीते दिनों नक्सली संगठन के बस्तर डिवीजन कमेटी के सचिव गंगा ने पर्चा जारी किया था. जिसमें 7 अप्रैल को बीजापुर सुकमा जिले के सीमावर्ती इलाके में बसे पलागुड़ा, इत्तागुड़ा, जिल्लोरगट्टा, गोमगुड़ा और कंचाल इलाके में करीब आधे घंटे तक बमबारी करने की बात लिखी गई थी. वहीं इस मामले में पुलिस का अलग दावा है.
''लगातार नक्सलियों के ऊपर प्रभावी रूप से कार्रवाई की जा रही है. लगातार अंदरूनी इलाकों में कैम्प लगातार सुरक्षाबल के जवान विकास में जुटे हुए हैं. नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई भी कर रहे हैं. कार्रवाई में 50 से अधिक नक्सली मारे गए हैं. जब-जब नक्सली बैकफुट पर रहते हैं. उस दौरान क्षेत्र की जनता को गुमराह करने के लिए प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हैं. इन विज्ञप्तियों में किसी प्रकार की कोई सच्चाई नहीं रहती है.'' सुंदरराज पी., आईजी बस्तर
बस्तर में शांति बहाली के लिए सुरक्षा बल और प्रशासन दोनों ने ही अपनी कमर कसी है. नक्सली लगातार हो रही कार्रवाई से बैकफुट पर हैं. बीजापुर सुकमा के सीमावर्ती इलाके में हुई इस कार्रवाई को लेकर पुलिस का कहना है कि नक्सलियों के मूवमेंट पर हमला किया गया है.इसलिए अब वो झूठे आरोप लगाकर ग्रामीणों का मनोबल तोड़ना चाहते हैं.