जौनपुर: बेंगलुरू में इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला इन दिनों सुर्खियों में है. अतुल ने खुदकुशी से पहले वीडियो बनाकर पत्नी और ससुरालवालों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इसके साथ ही अतुल की ससुराल चर्चा में आ गई. बुधवार को ससुराल पक्ष ने मीडिया से दूरी बनाए रखी. वहीं देर रात ससुराल के लोग घर में ताला लगाकर चले गए. चर्चा है कि सभी ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया है. इसी दौरान जौनपुर के एक होटल का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है.
अतुल ने क्या लिखा: बेंगलुरू में इंजीनियर अतुल सुभाष मूलरूप से बिहार रहने वाले थे. अतुल सुभाष ने आत्महत्या करने से पहले करीब 80 मिनट का वीडियो बनाया था. जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया सहित ससुरलीजनों और एक न्यायिक अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए. अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है-' मैं पैसे देने से मना करता हूं और मैं मौत को गले लगाता हूं क्योंकि मैं यह नहीं चाहता कि मेरे विरोधी इन पैसों का प्रयोग मेरे परिजनों को परेशान करने के लिए करें. उसने आगे लिखा कि कोर्ट के बाहर गटर में उसकी अस्थियों को बहा दिया जाए. इससे न्याय प्रक्रिया सुर्खियों में आ गई है. '
पिता बोले-बेटे को परेशान किया गया: अतुल सुभाष के पिता पवन कुमार ने 'मध्यस्थता न्यायालय' पर कानून के अनुसार काम न करने का आरोप लगाया और बताया कि किस तरह से उनके बेटे को न्यायालय द्वारा परेशान किया गया. पिता ने बताया कि पत्नी द्वारा दायर मामलों के कारण उसे बार-बार जौनपुर न्यायालय में बुलाया जाता था. पिता ने बताया कि पत्नी द्वारा दायर मामलों के कारण सुभाष कम से कम 40 बार बेंगलुरू से जौनपुर आया था. अपनी बहू के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह एक के बाद एक आरोप लगाती रहती थी.
भाई ने दर्ज कराई शिकायत: अतुल के भाई विकास कुमार ने सुभाष की पत्नी, उसकी सास, उसके साले और उसकी पत्नी के चाचा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने सुभाष के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई और समझौते के लिए 3 करोड़ रुपये मांगे. शिकायत में कुमार ने कहा कि झूठी शिकायत और उसके बाद की घटनाओं, जिसमें बड़ी रकम की मांग भी शामिल है, ने सुभाष को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया, जिससे आखिरकार उसे यह घातक कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
कोर्ट ने 40 हजार महीने देने का दिया था आदेश: अतुल के अधिवक्ता दिनेश मिश्रा ने कहा कि अगर किसी को कोर्ट के आदेश पर आपत्ति है तो बड़ी अदालत का रुख कर सकता है. दिनेश मिश्रा का कहना है कि अतुल की पत्नी खुद एक कम्पनी में जॉब करती है, इसलिए उसे गुजारा भत्ता नहीं देने का आदेश हुआ. अतुल को लग रहा था उसके खिलाफ नाइंसाफी हुई है. उसे हाईकोर्ट में जाना चाहिए था, लेकिन उसने आत्महत्या कर ली. आत्महत्या के पीछे कोर्ट की कोई गलती नहीं है. इसी तरह अतुल के दूसरे अधिवक्ता अवधेश तिवारी ने बताया कि करीब पांच माह पूर्व कोर्ट ने दंपती के बेटे खर्च के लिए चालीस हजार रुपए महीने देने का ऑर्डर किया था. इसके बाद से अतुल अवसाद में आ गया.
क्या हैं पत्नी के आरोप: नगर कोतवाली क्षेत्र स्थित मधारे टोला निवासी अतुल की पत्नी निकिता सिंघानियां ने दीवानी न्यायालय में भरण पोषण का मुकदमा दाखिल किया था. बताया था कि 26 जून 2019 को उसकी शादी अतुल से हुई थी. विवाह के बाद ससुराल वाले 10 लाख रुपये दहेज की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित करते थे. इस सदमे में उसके पिता की मृत्यु हो गई. परिवार वालों को समझाने पर विपक्षी उसे बेंगलुरु ले गया. 20 फरवरी 2020 को विपक्षी से उसे एक पुत्र पैदा हुआ, किंतु विपक्षी की प्रताड़ना जारी रही. 17 मई 2021 को उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया गया, तब से वह अपने बच्चे के साथ मायके में रह रही है.
दो लाख रुपये भरण पोषण की मांग: निकिता ने अपने और पुत्र के लिए दो लाख रुपये भरण पोषण की मांग की. वादिनी स्वयं नौकरी करती है. कोर्ट ने 29 जुलाई 2024 को पत्नी के संबंध में प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया तथा अतुल को आदेश दिया कि वह बच्चे को 40 हजार रुपये प्रतिमाह उसके वयस्क होने तक भरण पोषण अदा करे. इसके अलावा दहेज उत्पीड़न के मुकदमे में भी अतुल ने कोर्ट से जमानत कराई थी. घरेलू हिंसा का भी मुकदमा चल रहा है. इस बीच अतुल ने खुद को खत्म कर लिया. अधिवक्ता अवधेश तिवारी ने बताया कि दौरान मुकदमा किसी प्रकार के भ्रष्टाचार की बात प्रकाश में नहीं आई है. सामान्य तरीके से मुकदमा चला और कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर उचित आदेश पारित किया.
ससुराल पक्ष ने घर छोड़ा: प्रकरण चर्चा में आया तो अतुल की ससुराल पर मीडिया का जमघट लगने लगा. अतुल की मौत के 18 घंटे बाद बुधवार को ससुराल पक्ष घर छोड़ते हुए कैद हो गया. वहीं इस बीच जौनपुर के एक होटल का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें अतुल की सास नजर आती है. सूत्रों के मुताबिक, परिवार हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए प्रयासरत है.