कोटा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल ने सेंट्रल बोर्ड का सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) की प्रायोगिक परीक्षाओं की अंक आवंटन प्रक्रिया में एक बड़ी खामी उजागर की है. सीबीएसई से सम्बद्ध कई स्कूलों के विद्यार्थियों के थ्योरी-पेपर्स व प्रायोगिक-परीक्षाओं के अंकों में बहुत बड़ा अंतर है. एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि 500 से अधिक स्कूलों के 50 फीसदी से अधिक विद्यार्थियों के प्रायोगिक परीक्षाओं में अंक विश्वसनीय नहीं है.
कारण यह है कि इन विद्यार्थियों के थ्योरी पेपर्स में अंक बहुत कम हैं, जबकि प्रायोगिक परीक्षा में इसकी तुलना में बहुत अधिक अंक हैं. एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि आंकड़ों से प्रायोगिक परीक्षाओं की अंक आवंटन प्रणाली संदेह के घेरे में है. सीबीएसई ने एक नोटिफिकेशन भी इसके तहत जारी किया है. इसमें स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान समय में प्रायोगिक परीक्षाओं के आयोजन व इवेलुएशन-प्रोसेस को विश्वसनीयता प्रदान करने की आवश्यकता है. इस संबंध में बोर्ड ने संबंधित स्कूलों को एक एडवाइजरी भी जारी कर दी गई है.
स्कूलों को हिदायत : देव शर्मा ने बताया कि जारी की गई एडवाइजरी में स्कूल-प्रशासन को प्रायोगिक परीक्षाओं के निष्पक्ष व पारदर्शी आयोजन की सलाह दी गई है. सीबीएसई ने 13 मई को ही 12वीं और दसवीं बोर्ड का परिणाम जारी किया है. इसके बाद ही सीबीएसई ने इस पूरे रिजल्ट की कंप्यूटर से एनालिसिस की है. इसके बाद सामने आया है कि कई कैंडीडेट्स के अंकों में काफी अंतर है. उन्होंने स्कूलों को हिदायत देते हुए लेटर जारी किया है. इस संबंध में सीबीएसई जांच भी आगे करवा रहा है.