दौसा. माउंट आबू दौरे के बाद सोमवार को कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा दौसा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए इस्तीफे की बात पर फिर से एक बार चुप्पी साध ली. इस्तीफे से जुड़े किसी भी सवाल का उन्होंने जवाब नहीं दिया. ऐसे में माना जा रहा है की उनकी ये चुप्पी किसी सियासी तूफान की ओर इशारा कर रही है. वहीं, किरोड़ीलाल समर्थक और विपक्षी दलों के लोग कृषि मंत्री की चुप्पी टूटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने एक मैसेज दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि संस्कृत में एक कहावत है 'मोनम् स्वीकृतम् लक्षणम्'. उनकी इस कहावत के बाद उनका अगला कदम क्या होगा ?. इस बारे में किसी को नहीं पता, लेकिन एक बार फिर से किरोड़ीलाल ने विरोधियों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है.
किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने की कई योजना : कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने किसानों के हित के लिए बात करते हुए कहा किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कृषि विभाग में कई योजनाएं है. ऐसे में किसान तक हर योजना की जानकारी पहुंचाने के लिए विभाग की ओर से एक पुस्तक छपवाई है. वहीं, कई किसानों को कृषि विभाग की योजनाओं की जानकारी है, जिसके चलते जिन किसानों को योजनाओं की जानकारी है, वो किसान दो बीघा तक की भूमि में 10 से 12 लाख रुपए खेती में कमा रहा है. साथ ही किसान को आर्थिक रूप से मजबूत करने वाली योजनाओं को लागू करना मेरी पहली प्राथमिकता है. ऐसे में इन योजनाओं को भ्रष्टाचार से दूर रखने के लिए सख्त निगरानी की जाएगी.
एनटीए के कानून में सरकार को बदलाव करने चाहिए : कृषि मंत्री ने नीट पेपर लीक मामले में कहा कि, जो पेपर कराने वाली एजेंसी है, वो ईमानदार और इफेक्टिव हो. साथ ही सरकार को एनटीए के कानून में कुछ बदलाव किए जाने चाहिए, जिससे नीट जैसे पेपर के लीक होने की संभावना नहीं बने.
जब तक तन में प्राण हैं सेवा करूंगा : वहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान दौसा सहित प्रदेश की 7 सीटों पर बीजेपी के हारने पर इस्तीफा देने के सवाल पर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने चुप्पी साध ली. ऐसे में कुछ दिनों से कृषि मंत्री किरोड़ीलाल के इस्तीफे के इंतजार में बैठे विपक्षियों की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है. साथ ही किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि जब तक तन में प्राण हैं, तब तक गरीब, मजदूर और किसान की सेवा करता रहूंगा. इस्तीफे के सवाल के जवाब में चुप्पी साधने पर किरोड़ीलाल ने कहा कि, संस्कृत में एक कहावत है. 'मोनम् स्वीकृतम् लक्षणम्' हार की जिम्मेदारी कौन लेता है. ये बाद की बात है. पहले क्रिया हो, उसके बाद प्रतिक्रिया होगी. ऐसे में कृषि मंत्री के इस बयान के बाद राजनीतिक हल्कों में फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म है. साथ ही हर समर्थक और विपक्षी के मन में एक ही सवाल है. आखिर किरोड़ी लाल का अगला कदम क्या होगा ?. बता दें कि, रविवार को माउंट आबू में इस्तीफे के सवाल पर कृषि मंत्री ने मीडियाकर्मियों के सामने अपनी जुबान पर उंगली रख ली. वहीं सोमवार को दौसा में भी उन्होंने ऐसा ही किया है, जिसके चलते उनकी इस चुप्पी के कई कयास लगाए जा रहे है.