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रांची में सीएसीपी की बैठक में पांच राज्यों के कृषि विशेषज्ञों ने की मंत्रणा, रिपोर्ट के आधार पर सरकार को रबी फसल की एमएसपी तय करने में मिलेगी मदद - CACP Meeting In Ranchi

Agricultural experts meeting in Ranchi.देश के अन्नदाताओं को समृद्ध बनाने लिए केंद्र सरकार विशेष पहल कर रही है. सरकार जानना चाहती है कि रबी फसल की खेती में कितना लागत आता है और किसानों को क्या-क्या परेशानी होती है. इसे लेकर रांची में एक अंतरराज्यीय बैठक की गई.

CACP Meeting In Ranchi
रांची में सीएसीपी की बैठक में अपनी बात रखते कृषि विशेषज्ञ. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 28, 2024, 5:40 PM IST

Updated : Jun 29, 2024, 7:24 AM IST

रांची: किसानों को उनकी फसल की लागत के अनुरूप कीमत मिले इसके लिए केंद्र सरकार अब गंभीर और सार्थक प्रयास कर रही है. इसे लेकर रांची में शुक्रवार को वर्ष 2025-26 में देश के पूर्वी राज्यों के अन्नदाता किसानों को उनकी रबी फसल जैसे गेहूं, बार्ली, चना, मसूर, सरसों-राई, सूरजमुखी की खेती में लागत मूल्य जानने के लिए उच्च स्तरीय बैठक हुई. जिसमें भारत के पांच पूर्वी राज्य बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के कृषि पदाधिकारियों के साथ-साथ दिल्ली से सीएसीपी ( कमीशन फॉर एग्रिकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइस) के निदेशक प्रो. विजय पॉल शर्मा, कमीशन के मेंबर सेक्रेटरी अनुपम मित्रा और कमीशन के मेंबर ऑफिशियल डॉ नवीन प्रकाश सिंह ने भाग लिया. झारखंड कृषि निदेशालय के निदेशक डॉ कुमार ताराचंद भी इस बैठक में शामिल हुए.

बैठक के बाद जानकारी देते सीएसीपी के निदेशक प्रो. विजय पॉल शर्मा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

क्या है इस अंतरराज्यीय बैठक के मायने और महत्व

सीएसीपी के निदेशक प्रो. विजय पॉल शर्मा ने बताया कि पूर्वी भारत के पांच महत्वपूर्ण राज्यों के कृषि पदाधिकारियों, कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों के साथ एक प्लेटफॉर्म पर इसलिए बैठे हैं क्योंकि हमें आगामी वर्ष 2025-26 के लिए रबी फसलों का लागत मूल्य जानना है. किस राज्य में रबी की अमुक फसल को उगाने में किसान को कितना खर्च करना पड़ता है , अन्य राज्यों में उसी फसल का उत्पादन कॉस्ट क्या है. यह जानने के बाद एक रिपोर्ट कमीशन तैयार करेगा. जिसके आधार पर भारत सरकार को रबी फसलों की एमएसपी तय करने में आसानी होगी और रबी फसल उत्पादक किसानों को इसका लाभ मिलेगा.

रबी फसल का एमएसपी तय करने में सरकार को रिसर्च से मिलेगी सहूलियत

डॉ पॉल ने कहा कि सीएसीपी का मुख्य लक्ष्य यह जानना है कि पूर्वी भारत के राज्यों के किसानों को रबी फसल उत्पादन में क्या-क्या परेशानी आती है और उनकी फसलों का लागत मूल्य क्या है, ताकि एमएसपी के तहत आनेवाली रबी फसलों का नया न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने में कोई दिक्कत न हो. आज की इस अति महत्वपूर्ण बैठक में बीएयू (बिरसा एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी )के प्रो डॉ बीके झा, समेति के निदेशक विकास कुमार, उपनिदेशक समेति अभिषेक तिर्की सहित बिहार, झारखंड, छतीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कृषि विशेषज्ञों ने भाग लिया.

झारखंड में दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खेती पर जोर

बैठक के दौरान सीएसीपी के निदेशक प्रोफेसर विजय पॉल शर्मा ने कहा कि झारखंड प्रदेश में तिलहन, दलहन और मिलेट्स की खेती की अपार संभावनाएं हैं. इस दिशा में भारत सरकार विशेष पहल कर रही है, ताकि झारखंड राज्य के किसानों के जीवन को समृद्ध बनाया जा सके.

ये भी पढ़ें-

झारखंड में रबी की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने बनायी विशेष योजना, जानिए कैसे बढ़ाया जाएगा उत्पादन

रबी फसल के लिए किसानों को सरकार देगी निःशुल्क बीज, 15 अक्टूबर तक फसल राहत योजना के लिए निबंधन करा लें अन्नदाता

रबी की खेती में भी पिछड़ गया झारखंड, तय लक्ष्य से कम हुआ आच्छादन!

रांची: किसानों को उनकी फसल की लागत के अनुरूप कीमत मिले इसके लिए केंद्र सरकार अब गंभीर और सार्थक प्रयास कर रही है. इसे लेकर रांची में शुक्रवार को वर्ष 2025-26 में देश के पूर्वी राज्यों के अन्नदाता किसानों को उनकी रबी फसल जैसे गेहूं, बार्ली, चना, मसूर, सरसों-राई, सूरजमुखी की खेती में लागत मूल्य जानने के लिए उच्च स्तरीय बैठक हुई. जिसमें भारत के पांच पूर्वी राज्य बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के कृषि पदाधिकारियों के साथ-साथ दिल्ली से सीएसीपी ( कमीशन फॉर एग्रिकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइस) के निदेशक प्रो. विजय पॉल शर्मा, कमीशन के मेंबर सेक्रेटरी अनुपम मित्रा और कमीशन के मेंबर ऑफिशियल डॉ नवीन प्रकाश सिंह ने भाग लिया. झारखंड कृषि निदेशालय के निदेशक डॉ कुमार ताराचंद भी इस बैठक में शामिल हुए.

बैठक के बाद जानकारी देते सीएसीपी के निदेशक प्रो. विजय पॉल शर्मा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

क्या है इस अंतरराज्यीय बैठक के मायने और महत्व

सीएसीपी के निदेशक प्रो. विजय पॉल शर्मा ने बताया कि पूर्वी भारत के पांच महत्वपूर्ण राज्यों के कृषि पदाधिकारियों, कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों के साथ एक प्लेटफॉर्म पर इसलिए बैठे हैं क्योंकि हमें आगामी वर्ष 2025-26 के लिए रबी फसलों का लागत मूल्य जानना है. किस राज्य में रबी की अमुक फसल को उगाने में किसान को कितना खर्च करना पड़ता है , अन्य राज्यों में उसी फसल का उत्पादन कॉस्ट क्या है. यह जानने के बाद एक रिपोर्ट कमीशन तैयार करेगा. जिसके आधार पर भारत सरकार को रबी फसलों की एमएसपी तय करने में आसानी होगी और रबी फसल उत्पादक किसानों को इसका लाभ मिलेगा.

रबी फसल का एमएसपी तय करने में सरकार को रिसर्च से मिलेगी सहूलियत

डॉ पॉल ने कहा कि सीएसीपी का मुख्य लक्ष्य यह जानना है कि पूर्वी भारत के राज्यों के किसानों को रबी फसल उत्पादन में क्या-क्या परेशानी आती है और उनकी फसलों का लागत मूल्य क्या है, ताकि एमएसपी के तहत आनेवाली रबी फसलों का नया न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने में कोई दिक्कत न हो. आज की इस अति महत्वपूर्ण बैठक में बीएयू (बिरसा एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी )के प्रो डॉ बीके झा, समेति के निदेशक विकास कुमार, उपनिदेशक समेति अभिषेक तिर्की सहित बिहार, झारखंड, छतीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कृषि विशेषज्ञों ने भाग लिया.

झारखंड में दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खेती पर जोर

बैठक के दौरान सीएसीपी के निदेशक प्रोफेसर विजय पॉल शर्मा ने कहा कि झारखंड प्रदेश में तिलहन, दलहन और मिलेट्स की खेती की अपार संभावनाएं हैं. इस दिशा में भारत सरकार विशेष पहल कर रही है, ताकि झारखंड राज्य के किसानों के जीवन को समृद्ध बनाया जा सके.

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Last Updated : Jun 29, 2024, 7:24 AM IST
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