रांची: किसानों को उनकी फसल की लागत के अनुरूप कीमत मिले इसके लिए केंद्र सरकार अब गंभीर और सार्थक प्रयास कर रही है. इसे लेकर रांची में शुक्रवार को वर्ष 2025-26 में देश के पूर्वी राज्यों के अन्नदाता किसानों को उनकी रबी फसल जैसे गेहूं, बार्ली, चना, मसूर, सरसों-राई, सूरजमुखी की खेती में लागत मूल्य जानने के लिए उच्च स्तरीय बैठक हुई. जिसमें भारत के पांच पूर्वी राज्य बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के कृषि पदाधिकारियों के साथ-साथ दिल्ली से सीएसीपी ( कमीशन फॉर एग्रिकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइस) के निदेशक प्रो. विजय पॉल शर्मा, कमीशन के मेंबर सेक्रेटरी अनुपम मित्रा और कमीशन के मेंबर ऑफिशियल डॉ नवीन प्रकाश सिंह ने भाग लिया. झारखंड कृषि निदेशालय के निदेशक डॉ कुमार ताराचंद भी इस बैठक में शामिल हुए.
क्या है इस अंतरराज्यीय बैठक के मायने और महत्व
सीएसीपी के निदेशक प्रो. विजय पॉल शर्मा ने बताया कि पूर्वी भारत के पांच महत्वपूर्ण राज्यों के कृषि पदाधिकारियों, कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों के साथ एक प्लेटफॉर्म पर इसलिए बैठे हैं क्योंकि हमें आगामी वर्ष 2025-26 के लिए रबी फसलों का लागत मूल्य जानना है. किस राज्य में रबी की अमुक फसल को उगाने में किसान को कितना खर्च करना पड़ता है , अन्य राज्यों में उसी फसल का उत्पादन कॉस्ट क्या है. यह जानने के बाद एक रिपोर्ट कमीशन तैयार करेगा. जिसके आधार पर भारत सरकार को रबी फसलों की एमएसपी तय करने में आसानी होगी और रबी फसल उत्पादक किसानों को इसका लाभ मिलेगा.
रबी फसल का एमएसपी तय करने में सरकार को रिसर्च से मिलेगी सहूलियत
डॉ पॉल ने कहा कि सीएसीपी का मुख्य लक्ष्य यह जानना है कि पूर्वी भारत के राज्यों के किसानों को रबी फसल उत्पादन में क्या-क्या परेशानी आती है और उनकी फसलों का लागत मूल्य क्या है, ताकि एमएसपी के तहत आनेवाली रबी फसलों का नया न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने में कोई दिक्कत न हो. आज की इस अति महत्वपूर्ण बैठक में बीएयू (बिरसा एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी )के प्रो डॉ बीके झा, समेति के निदेशक विकास कुमार, उपनिदेशक समेति अभिषेक तिर्की सहित बिहार, झारखंड, छतीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कृषि विशेषज्ञों ने भाग लिया.
झारखंड में दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खेती पर जोर
बैठक के दौरान सीएसीपी के निदेशक प्रोफेसर विजय पॉल शर्मा ने कहा कि झारखंड प्रदेश में तिलहन, दलहन और मिलेट्स की खेती की अपार संभावनाएं हैं. इस दिशा में भारत सरकार विशेष पहल कर रही है, ताकि झारखंड राज्य के किसानों के जीवन को समृद्ध बनाया जा सके.
ये भी पढ़ें-
रबी की खेती में भी पिछड़ गया झारखंड, तय लक्ष्य से कम हुआ आच्छादन!