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ताजमहल-तेजोमहालय विवाद; सर्वे कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई आज, पढ़िए पूरा मामला - TAJ MAHAL SURVEY COURT HEARING

पिछली सुनवाई 27 नवंबर को हुई थी. सैय्यद इब्राहिम हुसैन को वादी बनाए जाने पर दाखिल की गई थी आपत्ति.

ताजमहल-तेजोमहालय विवाद पर कोर्ट में सुनवाई आज.
ताजमहल-तेजोमहालय विवाद पर कोर्ट में सुनवाई आज. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

आगरा : लघुवाद न्यायालय के न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में ताजमहल या तेजोमहालय विवाद पर आज सुनवाई होनी है. पिछली सुनवाई 27 नवंबर को हुई थी. इस दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी को वादी बनाए जाने के प्रार्थना पर आपत्ति दाखिल की थी. कहा था कि न्यायालय में हर जानकारी देने की जिम्मेदारी एएसआई की है. इस पर जैदी के अधिवक्ता ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था. न्यायाधीश ने अगली तारीख 16 दिसंबर नियत की थी. वादी योगी यूथ बिग्रेड के अध्यक्ष और वादी अधिवक्ता ने इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्ति करने के प्रार्थना पत्र के बाद अब ताजमहल के सर्वे की मांग की है.

बता दें कि योगी यूथ बिग्रेड के अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने 23 जुलाई 2024 को अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर के जरिए सावन माह में ताजमहल या तेजोमहालय में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की थी. इसके बाद से ही इस मामले में लगातार सुनवाई चल रही है. अब तक यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाया जा चुका है. इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुैसन जैदी ने कोर्ट में खुद को वादी बनाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया है. इसमें वादी पक्ष, प्रतिवादी एएसआई और भारत संघ के मिले होने का आरोप लगाया गया है.

कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की कर चुके हैं मांग : वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि जिस तरह से एएसआई ने अब मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के वादी बनाए जाने के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दाखिल की है. इससे साफ है कि प्रतिवादी एएसआई और सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी मिले हुए हैं. जबकि, हम कोर्ट में सात अक्टूबर को ही अपनी आपत्ति दाखिल कर चुके हैं. तब हमने भी कहा था कि सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी की ताजमहल निजी प्रॉपर्टी नहीं है. न ही वे शाहजहां के वंशज हैं. ऐसे में ये केस लड़ने का उनका कोई अधिकार नहीं है. पहले ही इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी दाखिल कर चुके हैं.

ताजमहल की छवि हो रही खराब : मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने इस मामले में वादी बनने को प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. इसमें कहा है कि सुर्खियों में रहने के लिए आगरा में कई लोग आए दिन ताजमहल को लेकर कुछ न कुछ करते रहते हैं. वे ताजमहल और आगरा की छवि दुनिया में खराब कर रहे हैं. अव्यवस्थाओं के जो वीडियो वायरल होते हैं, वो भी ताजमहल और आगरा के पर्यटन कारोबार के लिए ठीक नहीं हैं. लिहाजा इस मामले में वादी बनाया जाए. उन्होंने कोर्ट में ये भी कहा था कि जहां पर मस्जिद या मकबरा है वो वक्फ संपत्ति है. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. अभी हमें वादी नहीं बनाया है. आज मैं अधिवक्ता के जरिए अपना पक्ष रखूंगा.

एएसआई ने की थी ये अपील : सितंबर की सुनवाई में प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के अधिवक्ता विवेक कुमार ने न्यायालय में आपत्ति दाखिल की थी. इसमें एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने एक सरकारी अधिकारी होने की वजह से मुकदमा नहीं चलाने की जानकारी दी थी. कहा था कि इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. जबकि, वादी ने अधिवक्ता के जरिए धारा 80 सीपीसी का नोटिस दिया था. जिससे सरकारी अधिकारी पर मुकदमा हो सकता है. इस मामले में भारत सरकार प्रतिवादी है.

वादी ने किया था ये बड़ा दावा : वादी कुंवर अजय तोमर ने अपने वाद में दावा है कि सन 1212 में राजा परमर्दिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था. इसका नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा परमर्दिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया, लेकिन राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा. राजा मानसिंह से मुगल शहंशाह शाहजहां ने तेजोमहालय हड़प लिया. इसके बाद ताजमहल का निर्माण कराया. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कब्र एक सफेद झूठ है. मुमताज का निधन 1631 में हो हुआ था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है, जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.

मुख्य मकबरे के कलश हिंदू मंदिरों की तरह : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि तेजोमहालय यानी ताजमहल के मुख्य मकबरे पर कलश है. यह हिंदू मंदिरों की तरह है. आज भी हिंदू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. इसके साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है. यह भगवान शिव का चिह्न है. ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह हैं. यह हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. इनका सनातन धर्म में महत्व है. देखा जाए तो हिंदू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. इसी तरह तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.

आक्रांता ने मंदिर ध्वस्त कर बनाए मकबरे और मस्जिद : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है, कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत आए तो उन्होंने हिंदू मंदिर ध्वस्त किए. वहां पर मकबरे और मस्जिद बनवाईं. उन्होंने कहा, कि किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करते हैं. वहां उर्स भी होता है, फिर सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. न्यायालय में मामला विचाराधीन है.

यह भी पढ़ें : ताजमहल या तेजोमहालय विवाद; UP टूरिज्म के जवाब पर वादी ने आपत्ति दर्ज कराने के लिए मांगा समय

आगरा : लघुवाद न्यायालय के न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में ताजमहल या तेजोमहालय विवाद पर आज सुनवाई होनी है. पिछली सुनवाई 27 नवंबर को हुई थी. इस दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी को वादी बनाए जाने के प्रार्थना पर आपत्ति दाखिल की थी. कहा था कि न्यायालय में हर जानकारी देने की जिम्मेदारी एएसआई की है. इस पर जैदी के अधिवक्ता ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था. न्यायाधीश ने अगली तारीख 16 दिसंबर नियत की थी. वादी योगी यूथ बिग्रेड के अध्यक्ष और वादी अधिवक्ता ने इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्ति करने के प्रार्थना पत्र के बाद अब ताजमहल के सर्वे की मांग की है.

बता दें कि योगी यूथ बिग्रेड के अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने 23 जुलाई 2024 को अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर के जरिए सावन माह में ताजमहल या तेजोमहालय में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की थी. इसके बाद से ही इस मामले में लगातार सुनवाई चल रही है. अब तक यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाया जा चुका है. इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुैसन जैदी ने कोर्ट में खुद को वादी बनाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया है. इसमें वादी पक्ष, प्रतिवादी एएसआई और भारत संघ के मिले होने का आरोप लगाया गया है.

कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की कर चुके हैं मांग : वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि जिस तरह से एएसआई ने अब मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के वादी बनाए जाने के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दाखिल की है. इससे साफ है कि प्रतिवादी एएसआई और सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी मिले हुए हैं. जबकि, हम कोर्ट में सात अक्टूबर को ही अपनी आपत्ति दाखिल कर चुके हैं. तब हमने भी कहा था कि सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी की ताजमहल निजी प्रॉपर्टी नहीं है. न ही वे शाहजहां के वंशज हैं. ऐसे में ये केस लड़ने का उनका कोई अधिकार नहीं है. पहले ही इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी दाखिल कर चुके हैं.

ताजमहल की छवि हो रही खराब : मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने इस मामले में वादी बनने को प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. इसमें कहा है कि सुर्खियों में रहने के लिए आगरा में कई लोग आए दिन ताजमहल को लेकर कुछ न कुछ करते रहते हैं. वे ताजमहल और आगरा की छवि दुनिया में खराब कर रहे हैं. अव्यवस्थाओं के जो वीडियो वायरल होते हैं, वो भी ताजमहल और आगरा के पर्यटन कारोबार के लिए ठीक नहीं हैं. लिहाजा इस मामले में वादी बनाया जाए. उन्होंने कोर्ट में ये भी कहा था कि जहां पर मस्जिद या मकबरा है वो वक्फ संपत्ति है. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. अभी हमें वादी नहीं बनाया है. आज मैं अधिवक्ता के जरिए अपना पक्ष रखूंगा.

एएसआई ने की थी ये अपील : सितंबर की सुनवाई में प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के अधिवक्ता विवेक कुमार ने न्यायालय में आपत्ति दाखिल की थी. इसमें एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने एक सरकारी अधिकारी होने की वजह से मुकदमा नहीं चलाने की जानकारी दी थी. कहा था कि इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. जबकि, वादी ने अधिवक्ता के जरिए धारा 80 सीपीसी का नोटिस दिया था. जिससे सरकारी अधिकारी पर मुकदमा हो सकता है. इस मामले में भारत सरकार प्रतिवादी है.

वादी ने किया था ये बड़ा दावा : वादी कुंवर अजय तोमर ने अपने वाद में दावा है कि सन 1212 में राजा परमर्दिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था. इसका नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा परमर्दिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया, लेकिन राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा. राजा मानसिंह से मुगल शहंशाह शाहजहां ने तेजोमहालय हड़प लिया. इसके बाद ताजमहल का निर्माण कराया. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कब्र एक सफेद झूठ है. मुमताज का निधन 1631 में हो हुआ था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है, जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.

मुख्य मकबरे के कलश हिंदू मंदिरों की तरह : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि तेजोमहालय यानी ताजमहल के मुख्य मकबरे पर कलश है. यह हिंदू मंदिरों की तरह है. आज भी हिंदू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. इसके साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है. यह भगवान शिव का चिह्न है. ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह हैं. यह हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. इनका सनातन धर्म में महत्व है. देखा जाए तो हिंदू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. इसी तरह तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.

आक्रांता ने मंदिर ध्वस्त कर बनाए मकबरे और मस्जिद : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है, कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत आए तो उन्होंने हिंदू मंदिर ध्वस्त किए. वहां पर मकबरे और मस्जिद बनवाईं. उन्होंने कहा, कि किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करते हैं. वहां उर्स भी होता है, फिर सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. न्यायालय में मामला विचाराधीन है.

यह भी पढ़ें : ताजमहल या तेजोमहालय विवाद; UP टूरिज्म के जवाब पर वादी ने आपत्ति दर्ज कराने के लिए मांगा समय

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