आगरा : दुनिया के आठवें अजूबे में शामिल मोहब्बत की निशानी ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद चर्चा में है. योगी यूथ ब्रिगेड के ताजमहल को तेजोमहालय बताकर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग के कोर्ट में दाखिल वाद किया था. न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत ने सोमवार दोपहर प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की अपील और आपत्ति खारिज करके केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को प्रतिवादी बनाने की सहमति दी है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 24 सितंबर को होगी. जबकि, बीते शुक्रवार की सुनवाई के बाद प्रतिवादी और वादी के अधिवक्ताओं की बहस और दस्तावेज के बाद न्यायधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने फैसला सुरक्षित रखकर अगली तारीख 16 सितंबर की दी थी. कोर्ट के इस फैसले पर शिकायतकर्ता योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला दिया है. जल्द ही हम यह लड़ाई जीतेंगे.
बता दे, योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने सावन माह में अदालत में एक वाद दायर किया था. जिससे ही एक बार फिर ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद गरमाया. वादी ने कोर्ट में तेजोमहालय में भगवान महादेव के जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की गई थी. इस मामले की कोर्ट में सुनवाई हुई. लगातार तारीख पर कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें 13 सितंबर 2024 यानी शुक्रवार की सुनवाई के बाद न्यायधीश ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसे 16 सितंबर यानी सोमवार को सुनाने की तारीख दी थी.
एएसआई ने कोर्ट में ये आपत्ति की दाखिल : दरअसल, 13 सितंबर की सुनवाई में कोर्ट में प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के अधिवक्ता विवेक कुमार ने न्यायालय में आपत्ति दाखिल की थी. जिसमें कहा कि एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल एक सरकारी अधिकारी है. जिन पर मुकदमा नहीं चल सकता है. इसलिए ये खारिज किया जाए. इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. जिस पर वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने कहा कि धारा 80 सीपीसी का नोटिस देकर सरकारी अधिकारी पर मुकदमा हो सकता है. इसमें भारत सरकार को प्रतिवादी बनाने पर सहमति जताई है. कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस के बाद न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रख लिया है.
वाद में वादी का दावा : वादी कुंवर अजय तोमर ने अपने वाद दावा किया है कि सन 1212 में राजा पर्मादिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था. जिसका ही नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा पर्मादिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया, मगर राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा. राजा मानसिंह से मुगल शहंशाह शाहजहां ने तेजोमहालय हड़प लिया. जिस पर ताजमहल का निर्माण कराया. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र एक सफेद झूठ हैं. मुमताज का निधन 1631 में हो हुआ था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया था.
मुख्य मकबरे के कलश हिन्दू मंदिरों की तरह : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि तेजोमहालय यानी ताजमहल के मुख्य मकबरे पर कलश है. वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. क्योंकि आज भी हिन्दू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. इसके साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो भगवान शिव का चिह्न है. ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह हैं, जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. जिनका सनातन धर्म में महत्व है. देखा जाए तो हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. ऐसे ही तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.
आक्रांता ने मंदिर ध्वस्त कर बनाए मकबरे और मस्जिद : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत आए तो उन्होंने हिंदू मंदिर ध्वस्त किए. वहां पर मकबरे और मस्जिद बनवाईं. किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करते हैं. वहां उर्स भी होता है. फिर, सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकते हैं. न्यायालय में मामला विचाराधीन है. इसलिए इस सावन में तेजोमहालय में जलाभिषेक नहीं कर सके.
दोबारा किया वाद दायर : वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि ताजमहल यानी तेजोमहालय हिंदू मंदिर है. जहां सावन के महीने में जलाभिषेक होना चाहिए. पूर्व में शिवरात्रि पर जलाभिषेक के लिए 4 मार्च 2024 में अदालत में वाद दायर किया था. जिसे न्यायालय ने धारा 80 सीपीसी की छूट न देकर खारिज किया था. इसके बाद 26 अप्रैल 2024 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ.राजकुमार पटेल को धारा 80 सीपीसी का नोटिस भेजा था. जिसका जवाब नहीं आने पर दोबारा जलाभिषेक की मांग का वाद दायर किया है.
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