आगरा : ताजमहल और आसपास के क्षेत्रों के साथ ही शहरभर में आवारा कुत्तों का आतंक है. इससे आमजन और पर्यटक हमेशा खौफ में रहते हैं. आगरा की छवि विदेशों में खराब होने के डर से आगरा नगर निगम ने आवारा डॉग्स का वैक्सीनेशन कराने का अभियान चला रहा है. नगर निगम वर्ष 2027 तक ताजनगरी को प्रदेश का पहला रेबीज मुक्त शहर बनाने की दिशा में काम कर रहा है.
बता दें, आगरा जिला अस्पताल में हर दिन 200 से 350 लोग एआरवी लगवाने पहुंच रहे हैं. सुबह से दोपहर तक एआरवी लगवाने के लिए कतार लगती है. जिससे बच्चे, किशोर, युवा, महिला और पुरुष होते हैं. जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके अरोरा ने बताया कि जो लेाग एआरवी लगवाने के लिए आते हैं. उनका कहना है कि उन्हें घर के आसपास घूमने वाले आवारा कुत्तों ने काटा है.
49 हजार कुत्तों के टीकाकरण का दावा : केंद्र सरकार ने सभी प्रदेशों को रेबीज मुक्त बनाने के लिए निर्देश दिए हैं. इसको लेकर ही आगरा नगर निगम के नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने आगरा को रेबीज मुक्त बनाने की पहल की थी. जिसके लिए जनवरी 2024 में आवारा कुत्तों के टीकाकरण टेंडर जारी किया गया. कंपनी को नगर निगम प्रति कुत्ते के टीकाकरण का 325 रुपये भुगतान करती है. आगरा नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अजय सिंह ने बताया कि ने बताया कि शहर में करीब 90 हजार आवारा कुत्तों का आंकड़ा है. इसमें से अब तक 49 हजार का एंटी रेबीज टीकाकरण किया जा चुका है. देश को 2030 तक एंटी रेबीज फ्री करने का लक्ष्य है. वहीं आगरा को 2027 तक रेबीज फ्री करना है.
शहर में चल रहा टीकाकरण का अभियान : आगरा नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अजय सिंह ने बताया कि रेबीज फ्री आगरा के लिए जनवरी से प्रतिदिन 250 से 300 कुत्तों का टीकाकरण किया जा रहा है. शहर में कम से कम 70 प्रतिशत कुत्तों का एक साल में एक बार एंटी रेबीज वैक्सीनेशन करने का लक्ष्य है. ये काम तीन साल तक किया जाएगा. शहर में पालतू कुत्तों के पंजीकरण और टीकाकरण के लिए नियम पहले से तय हैं. पालतू कुत्तों के टीकाकरण पर भी काम किया जा रहा है. नगर निगम की ओर से शहर में देसी नस्ल के पंजीकरण का शुल्क 100 रुपये और विदेशी नस्ल के कुत्ते का पंजीकरण शुल्क 500 रुपये है.
कुत्ता काटने पर ये जरूर करें : सबसे पहले पानी और साबुन से घाव साफ करें. एआरवी की पहली डोज जल्द से जल्द लगवाएं. तीसरे दिन एआरवी की दूसरी डोज जरूर लगवाएं. सातवें दिन एआरवी की तीसरी डोज जरूर लगवाएं. 28वें दिन एआरवी चौथी डोज भी लगवाएं. घाव ज्यादा होने पर तुरंत इम्युनोग्लोबिन लगवा लें. जिस कुत्ते ने काटा है उस पर नजर जरूर रखें. काटने वाला कुत्ता मर जाए तो इलाज में लापरवाही बिल्कुल न करें.
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