आगरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम आगरा जामा मस्जिद मामले के दो केस की सुनवाई शनिवार को दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय में नहीं हुई. न्यायाधीश के अवकाश पर रहने की वजह से इस मामले की सुनवाई की तारीख 23 दिसंबर मिली है.
वादी पक्ष योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के प्रभु श्रीकृष्ण विग्रह केस में वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह और दूसरे वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला के साथ प्रतिवादी के अधिवक्ता बहस में शामिल होंगे.
पिछली 12 नवंबर की तारीख में जामा मस्जिद के GPR सर्वे के प्रार्थना पत्र की सुनवाई में जिला जज वाराणसी के ज्ञानवापी केस में वैज्ञानिक सर्वे के आदेश और श्रीराम मंदिर केस में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सर्वे के बारे में बताया गया गया था. जिस पर कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की तारीख 30 नवंबर दी थी.
बता दें कि योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के श्रीकृष्ण विग्रह वाद बनाम सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत अन्य में भारत संघ को विपक्षी बनाने का आदेश पहले ही हो चुका है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट और जामा मस्जिद प्रबंधन समेत अन्य और योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के श्रीकृष्ण विग्रह वाद बनाम सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड समेत अन्य में अभी एएसआई से जामा मस्जिद के जीपीआर सर्वे का प्रार्थना पत्र पहले से विचाराधीन है.
इसके साथ ही इसमें दूसरे वादी योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट और प्रतिवादी इंतजामिया कमेटी मस्जिद, सेंट्रल सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लोकल इस्लामिया कमेटी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) अन्य हैं.
मार्च 2024 में सर्वे का दाखिल किया था प्रार्थना पत्र : योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के प्रभु श्रीकृष्ण विग्रह केस में वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि पिछली सुनवाई में मैंने अपना पक्ष रखा था. मैंने जिला जज वाराणसी ने ज्ञानवापी केस में वैज्ञानिक सर्वे का आदेश और श्रीराम मंदिर केस में भी एएसआई ने सर्वे करने के बारे में कोर्ट को अवगत कराया था.
एएसआई ने एक आरटीआई के जवाब में जो जानकारी दी है कि जामा मस्जिद का अभी तक किसी भी प्रकार का उत्खनन व अन्वेषण नहीं किया गया है. अभिलेखों के अनुसार, श्रीकृष्ण विग्रह जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे हैं. जामा मस्जिद का कितना भाग जमीन के नीचे दबा है. ये सिर्फ जामा मस्जिद के जीपीआर सर्वे व अन्य वैज्ञानिक विधि के सर्वे से ही सम्भव है.
जीपीआर सर्वे से सच सामने आएगा : योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के प्रभु श्रीकृष्ण विग्रह केस में वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि 15 मार्च 2024 में जामा मस्जिद की सीढ़ियों का जीपीआर सर्वे (वैज्ञानिक सर्वे) का प्रार्थना पत्र कोर्ट में दाखिल किया था. जिस पर अब बहस शुरू हुई है.
एएसआई पहले से ही जामा मस्जिद के जीपीआर सर्वे टालने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. वहीं, दूसरे केस में वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला का कहना है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों का जीपीआर सर्वे से जामा मस्जिद का सच सबके सामने आएगा.
जामा मस्जिद में दुकानें बनीं, एएसआई ने नहीं की कार्रवाई : योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि एएसआई के प्रथम महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी रिपोर्ट ए टूर इन इस्टर्न राजपुताना 1882-83 में लिखा है कि औरंगजेब ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मन्दिर के श्रीकृष्ण विग्रह आगरा की कुदसिया बेगम की सीढ़ियों के नीचे पैरों से कुचलने के लिए दबाए थे.
अन्य इतिहासकार ने भी कहा कि बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे पैरों से कुचलने के लिए श्रीकृष्ण के विग्रह दबाए गए. सन 1920 ई में जामा मस्जिद संरक्षित स्मारक घोषित करने का नोटिफिकेशन जारी किया गया था. जिसमें जामा मस्जिद के चारों ओर किसी भी प्रकार निर्माण का उल्लेख नहीं है और न ही मस्जिद में किसी भी प्रकार के इस्लामिक आयोजन का उल्लेख है.
लेकिन, अभी जामा मस्जिद में दुकानें बनी हैं, जो व्यापारिक उद्देश्य से संचालित हैं. जामा मस्जिद कानून के अनुसार, एक राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है. जिसके चारों तरफ 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं कराया जा सकता है. जिसके विरुद्ध विपक्षी एएसआई ने आजतक किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की.
जहांआरा ने बनवाई थी जामा मस्जिद : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि मुगल शहंशाह शाहजहां की 14 संतानें थीं. जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श, सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे.
एक बच्चा और 1 बच्चा पैदा होते ही मर गए थे. मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थीं. जहांआरा मुगलकाल की सबसे अमीर शहजादी थीं. उसने वजीफे की पांच लाख रुपये की रकम से सन 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.
औरंगजेब लाया था मथुरा से विग्रह और पुरावशेष : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' ने बताया कि 16वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा का केशवदेव मंदिर ध्वस्त कराया था. औरंगजेब केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष मथुरा से आगरा लेकर आया था. तब उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाए.
इस बारे में तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. इसमें औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी', प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब', पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' और मथुरा के मशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक 'मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने की बात विस्तार से लिखी है.
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