आगरा : फतेहपुर सीकरी के दीवान- ए-आम में सोमवार रात निजामी बंधुओं की सूफियाना कव्वाली गूंजी. गजल गायक पंकज उधास को श्रद्धांजलि देने के बाद कौव्वाली की शुरुआत हुई. हाथ खुले तो अल्लाह- अल्लाह, हाथ जुड़े तो राम-राम... की प्रस्तुति देकर सुनाया तो लोग वाह-वाह कर उठे. शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी से प्रस्तुति अधिक करके माधवास बैंड ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शक कृष्ण की भक्ति में झूमने को मजबूर हो गए. निजामी बंधुओं ने अमीर खुसरो के कलाम 'मैं तो गई देखन बजरिया, ख्वाजा निजाम से मिल गई नजरिया, न मारो पिचकारी श्याम मेरी भीगी चुनरिया पेश करके समा बांधा. छाप तिलक सत्र छीनी रे मोसे नैना मिलाइ के... बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैना मिलाइ के...गाया तो लोग झूम उठे. इसके पहले महफिले समा का शुभारंभ जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी, सांसद राजकुमार चाहर, सीजीएसटी के कमिश्नर शरद श्रीवास्तव ने किया. मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी, एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ, आईजी दीपक कुमार भी मौजूद रहे.
कान्हा और किशोरी की भक्ति में डूबे दर्शक : शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी मंच से माधवास रॉक बैंड ने सोमवार रात स्वर माधुर्य, लयबद्धता, भक्तिरस और भरपूर ऊर्जा के साथ भक्तिरस की ऐसी धुन छेड़ी कि दर्शक झूमने लगे. खचाखच भरे मुक्ताकाशीय मंच से राक बैंड की प्रस्तुति से दर्शक राधा कृष्ण की भक्ति में डूब गए. राधे किशोरी मय माहौल में दर्शक अपनी सुधबुध भूल गए. वृंदावन के माधवास राक बैंड के नंद किशोर और नंदकिशोरी ने भगवान नरसिंह की वंदना के साथ नमस्ते नरसिम्हा... गीत प्रस्तुत क्रिया राधे किशोरी दया करो..., जय राधा सोमवार को शिल्पग्राम के मुख्य मंच प माधवा- हरे कृष्ण, हरे कृष्ण..., राधे गोविंदा.... मेरे बांके बिहारी लाल तू इतना न करियो शृंगार नजर लग जाएगी..., होली में उड़े रहे गुलाल, राधेश्याम, राधेश्याम... सीता राम- सीता राम... गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को भक्ति से सराबोर कर दिया. दर्शक भी झूमने लगे, कान्हा और किशोरी में ऐसे डूब गए कि हाथ जोड़ कर खड़े रहे.
दर्पण में दिखा निस्वार्थ प्रेम और अटूट विश्वास : ताज महोत्सव के चलते सूरसदन में सोमवार को दर्पण नाटक का मंचन हुआ. जिसमें निस्वार्थ प्रेम, अटूट विश्वास का मार्मिक चित्रण दिखा. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के शुभदीप राहा का यह नाट्य सस्पेंस थ्रिलर है. जिसमें वर्ष 1971 के युद्ध की पृष्ठभूमि में उपजी एक प्लेटोनिक प्रेम कथा है. इस बुद्ध में बची शिखा बोस और रिटायर मेजर एसपी भाटिया के फोन कॉल से नाटक की शुरुआत होती है. शिखा 40 साल बाद मेजर से मिलना चाहती है. परिवार और कर्तव्य के बीच कहानी में परत दर परत सस्पेंस खुलता है और दर्शक चकित रह जाते हैं. लखनऊ की संस्था स्वाहा की इस प्रस्तुति में मेजर का किरदार डॉ. अनिल रस्तोगी, दिव्या भारद्वाज शिखा बोस और खुशवंत सिंह का किरदार डॉ. राकेश कुमार ने निभाया. शुभम दुबे, वीरेंद्र रस्तोगी, विकास श्रीवास्तव आदि ने अभिनय किया.
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