आगरा : ताजनगरी में एक निजी बैंक ओशो कम्युनिकेशन ने फाइनेंस की किस्त जमा करने पर कैश बैक ऑफर देने से मुकरी गई, तो उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का दरवाजा खटखटाया. पांच साल तक चली कानूनी लड़ाई में उपभोक्ता को जीत मिली. अब जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय ने ओशो कम्युनिकेशन के प्रोपराइटर को कैश बैक के रूप में दो हजार रुपये देने के साथ ही मानसिक उत्पीड़न एवं वाद व्यय के रूप में एक हजार रुपये देने का आदेश दिया है.
शाहगंज थाना क्षेत्र के बारहखंभा के पास स्थित सेवा का नगला निवासी एडवोकेट दीपक बाबू ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय में वाद प्रस्तुत किया था. आरोप लगाया था कि वादी ने छह दिसंबर 2018 को ओशो कम्युनिकेशन कैलाश प्लाजा शाह मार्केट हरीपर्वत से एक मोबाइल खरीदा था. ओशो कम्युनिकेशन के प्रोपराइटर ने कहा था कि यदि एचडीएफसी बैंक से फाइनेंस कराएंगे तो फाइनेंस की सभी किस्त अदा करने पर बैंक की तरफ से दो हजार रुपये का नगद कैश बैक ऑफर मिलेगा.
एडवोकेट दीपक बाबू के अनुसार वादी ने प्रोपराइटर की बताई बातों पर विश्वास करके वहां मौजूद बैंककर्मी से 23 हजार 990 रुपये कीमत वाला मोबाइल फोन फाइनेंस करा लिया. जिसकी छह माह में किस्त भरनी थीं. जिसके लिए कुछ नगद भुगतान किया और किस्त 3378 रुपये महीने की किस्त देना तय हुई. वादी ने समस्त किस्तें समय पर अदा कर दी, लेकिन वादी के बैंक खाते में दो हजार रुपये का कैश बैक नहीं आया. इस पर वादी ने प्रोपराइटर और बैंक से संपर्क किया, लेकिन कैश बैक नहीं दिया गया.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय के अध्यक्ष आशुतोष और सदस्यगण पारुल कौशिक और राजीव सिंह ने मामले की सुनवाई की. इस दौरान वादी ने अपना हक पाने के लिए जिला उपभोक्ता आयोग की सुनवाई में कई साक्ष्य पेश किए. पांच साल तक चले वाद के बाद जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने ओशो कम्युनिकेशन के प्रोपराइटर से वादी को कैश बैक के रूप में दो हजार रुपये देने के साथ ही वादी के मानसिक उत्पीड़न एवं वाद व्यय के रूप में एक हजार रुपये देने का आदेश दिया है.