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जिनके कंधों पर बेटी को पढ़ाने की जिम्मेदारी, वो टीचर्स कर रहीं आंदोलन! जानें, क्या है पूरा मामला - Teachers protest

हजारीबाग में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की टीचर्स और कर्मी आंदोलनरत हैं. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर वे काफी मुखर हैं.

Agitation of teachers and employees of Kasturba Gandhi Balika Vidyalaya in Hazaribag
हजारीबाग में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की टीचर्स और कर्मियों का प्रदर्शन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 5, 2024, 8:11 PM IST

हजारीबागः बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा जिसके जरिए बुलंद हो रहा है, वे अपनी मांग को लेकर धरने पर हैं. सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में ड्रॉपआउट और एससी, एसटी, ओबीसी की बालिकाओं को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय को धरातल पर लाया गया. जिसकी बदौलत छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं, वही अब आंदोलनरत हैं.

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की शिक्षिका और कर्मी अपनी मांग को लेकर जिला समारणालय के सामने धरना दिया. 7 और 8 को अक्टूबर को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की कर्मी रांची में धरना देंगे. शनिवार को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय कर्मी संघ के बैनर तले धरना दिया गया. संघ ने 50 फीसदी वेतन वृद्धि करने की मांग की है. इसके अलावा पेंशन, ईपीएफ और मेडिकल भत्ता की मांग भी की गयी है. संघ ने 10 साल से सेवारत कर्मियों का सीधा समायोजन सरकार करने की मांग कर रहे हैं.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः आंदोलनरत टीचर्स और कर्मी से बातचीत (ETV Bharat)

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अल्पसंख्यक समुदाय, गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की बेटियों को शिक्षा दी जाती है. विद्यालय की वार्डन संघमित्रा कुमारी का कहना है कि पिछले कई सालों से विद्यालय में सेवा दे रहे हैं. सरकार ने उनकी मांगें पूरा नहीं कर रही है. घर से दूर रहकर 24 घंटा विद्यालय में रहना पड़ता है. सरकार हम लोगों को अनुबंध पर ही काम करवा रही है. वहीं स्कूल में शिक्षकों की भी कमी है ऐसे में कम संसाधन में भी बच्चों को बेहतर शिक्षा दे रहे हैं.

चालकुशा में सेवा दे रहीं वार्डन नेहा कुमारी भी बताती हैं कि कस्तूरबा में वैसी बेटियों को पढ़ाया जाता है. जिन्होंने शिक्षा छोड़ दी है. बेहद गरीब परिवार की बेटियों को मुख्यधारा में जोड़ा जाता है. वैसी शिक्षक और कर्मी अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रही है. शिक्षिकाओं का कहना है कि 24 घंटे रहकर छात्रों को पढ़ाया जाता है. जो शिक्षिकाएं इस काम लगे हुए हैं उनकी मांग सरकार पिछले कई सालों से नहीं सुन रही है. ऐसे में कैसे मन लगाकर काम करें.

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना का मकसद, शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में लड़कियों को आवासीय सुविधाएं देना है. इस योजना के तहत, कक्षा 6 से 12 तक की लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है. दूसरी ओर झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् कर्मी संघ भी एक दिवसीय धरना देकर अपना विरोध दर्ज किए हैं. उनका मांग है कि वेतन वृद्धि की जाए और जो नियमावली है उसको अक्षर का लागू किया जाए. संघ ने मांग की सीपीआई आधार पर महंगाई भत्ता लागू कि जाए.

इसे भी पढ़ें- शिक्षकों ने लगाया काला बिल्ला, एमएसीपी लागू करने और प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति देने की मांग

इसे भी पढ़ें- कुरीतियां और मानव तस्करों से बचने का गुर सीखा रही थाना प्रभारी, छात्राओं को दी जागरूक रहने की टिप्स - Police awareness against crime

इसे भी पढ़ें- सपनों की उड़ान, एक आईएएस की पहल से नक्सली इलाके की बच्चियां बनेंगी इंजीनियर और डॉक्टर! - Sapno Ki Udaan

हजारीबागः बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा जिसके जरिए बुलंद हो रहा है, वे अपनी मांग को लेकर धरने पर हैं. सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में ड्रॉपआउट और एससी, एसटी, ओबीसी की बालिकाओं को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय को धरातल पर लाया गया. जिसकी बदौलत छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं, वही अब आंदोलनरत हैं.

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की शिक्षिका और कर्मी अपनी मांग को लेकर जिला समारणालय के सामने धरना दिया. 7 और 8 को अक्टूबर को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की कर्मी रांची में धरना देंगे. शनिवार को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय कर्मी संघ के बैनर तले धरना दिया गया. संघ ने 50 फीसदी वेतन वृद्धि करने की मांग की है. इसके अलावा पेंशन, ईपीएफ और मेडिकल भत्ता की मांग भी की गयी है. संघ ने 10 साल से सेवारत कर्मियों का सीधा समायोजन सरकार करने की मांग कर रहे हैं.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः आंदोलनरत टीचर्स और कर्मी से बातचीत (ETV Bharat)

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अल्पसंख्यक समुदाय, गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की बेटियों को शिक्षा दी जाती है. विद्यालय की वार्डन संघमित्रा कुमारी का कहना है कि पिछले कई सालों से विद्यालय में सेवा दे रहे हैं. सरकार ने उनकी मांगें पूरा नहीं कर रही है. घर से दूर रहकर 24 घंटा विद्यालय में रहना पड़ता है. सरकार हम लोगों को अनुबंध पर ही काम करवा रही है. वहीं स्कूल में शिक्षकों की भी कमी है ऐसे में कम संसाधन में भी बच्चों को बेहतर शिक्षा दे रहे हैं.

चालकुशा में सेवा दे रहीं वार्डन नेहा कुमारी भी बताती हैं कि कस्तूरबा में वैसी बेटियों को पढ़ाया जाता है. जिन्होंने शिक्षा छोड़ दी है. बेहद गरीब परिवार की बेटियों को मुख्यधारा में जोड़ा जाता है. वैसी शिक्षक और कर्मी अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रही है. शिक्षिकाओं का कहना है कि 24 घंटे रहकर छात्रों को पढ़ाया जाता है. जो शिक्षिकाएं इस काम लगे हुए हैं उनकी मांग सरकार पिछले कई सालों से नहीं सुन रही है. ऐसे में कैसे मन लगाकर काम करें.

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना का मकसद, शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में लड़कियों को आवासीय सुविधाएं देना है. इस योजना के तहत, कक्षा 6 से 12 तक की लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है. दूसरी ओर झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् कर्मी संघ भी एक दिवसीय धरना देकर अपना विरोध दर्ज किए हैं. उनका मांग है कि वेतन वृद्धि की जाए और जो नियमावली है उसको अक्षर का लागू किया जाए. संघ ने मांग की सीपीआई आधार पर महंगाई भत्ता लागू कि जाए.

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