आगर मालवा। मध्य प्रदेश के आगर मालवा में बच्चों के पेयजल की व्यवस्था के लिए सरपंच से उलझने वाले प्राचार्य का तबादला कलेक्टर के द्वारा कर दिया गया था, लेकिन अगले ही दिन जब डीएम ने अपने आदेश को कैंसल किया तो गांव वाले और स्कूल के बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इसके बाद स्कूल के बच्चों और ग्रामीणों ने प्राचार्य को घोड़ी पर बैठाकर जुलूस निकाला, जिसका वीडियो सामने आया है.
सरपंच संघ ने की थी प्राचार्य की शिकायत
जानकारी के मुताबिक, यह पूरा मामला बीते दिनों आगर जिले के पालखेडी स्थित शासकीय पीएम श्री स्कूल का है. यहां के प्राचार्य केसी मालवीय का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था, जिसमें प्राचार्य स्कूल के बच्चों को पेयजल उपलब्ध नहीं कराने पर सरपंच के विरुद्ध FIR दर्ज कराने की बात कहते हुए नजर आ रहे थे. इतना ही नहीं प्राचार्य ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. इस घटना से नाराज सरपंच संघ के सभी सदस्य विधायक मधु गहलोत के पास पहुंचे. विधायक ने मामले में संज्ञान लेते हुए कलेक्टर से चर्चा की. इसके बाद जिला कलेक्टर ने कार्रवाई करते हुए प्राचार्य केसी मालवीय का ट्रांसफर सोयतखुर्द कर दिया.
प्राचार्य ने बताया पूरा मामला
मंगलवार को मामले को लेकर गहमा गहमी रही. उसके बाद कलेक्टर ने अपनी ही द्वारा जारी आदेश को निरस्त करने का पत्र जारी कर दिया और ट्रांसफर आदेश निरस्त हो गया. ईटीवी भारत ने फोन पर प्राचार्य के सी मालवीय से चर्चा की तो उनका कहना था कि ''गांव के स्कूल के लिए शासन की निधि से एक हैंडपंप स्वीकृत किया गया था, जिसे सरपंच महोदय ने अपने घर के सामने लगा लिया और हमारे स्कूल के बच्चे पानी के लिए तरस रहे हैं. बीते दिनो हमारे स्कूल में एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था, उसी दौरान मैंने सरपंच साहब से हमारी पानी की मांग रखी थी. इसी दौरान सरपंच अभद्रता पर उतारू हो गए थे.''
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कलेक्टर को वापस लेना पड़ा आदेश
प्राचार्य ने आगे बताया कि ''उसी दौरान हमने हमारे बच्चों से बोला कि ऐसा सरपंच चुनिएगा जो आपको पानी पिला सके, दारू की बोतल में न बिकने दीजिएगा. जिस पर सरपंच संघ ने मेरी कलेक्टर से शिकायत की और कलेक्टर के द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से मेरा अटैचमेंट 80 किलोमीटर दूर कर दिया गया, लेकिन अगले ही दिन उन्हें वही आदेश वापस भी लेना पड़ा क्योंकि वह नियम विरुद्ध था. मैं भी एक गजेटेड अधिकारी हूं जिसका ट्रांसफर करना कलेक्टर के अधीन नहीं है. आदेश वापसी के अगले दिन जब मैं वापस स्कूल लौटा तो गांव वालों और बच्चों ने मेरा धूमधाम से स्वागत सत्कार किया, लेकिन मैं इसका हकदार नहीं हूं.'' कलेक्टर के आदेश निरस्त करते ही सरपंच संघ फिर आक्रोशित हो गया और सरपंच संघ के सभी सदस्यों ने कलेक्टर से मुलाकात की. कलेक्टर से प्राचार्य केसी मालवीय को निलंबित करने की मांग की और ऐसा नहीं होने पर प्रदेश स्तर पर आंदोलन करने की चेतावनी दी.
केसी मालवीय ने कहा कि ''कलेक्टर को पता नहीं था कि मैं एक राजपत्रित अधिकारी हूं. मेरे खिलाफ कोई कार्रवाई करने या मुझे ट्रांसफर करने का उन्हें अधिकार नहीं है. मुझे ऐसा लगता है कि आईएएस ईमानदारी से नहीं बने, नीट की तरह घोटाले से बने हैं. शासन को भी इस बारे में सोचना चाहिए.''