पटना : पटना हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद बिहार में 1 करोड़ 40 लाख पैक्स सदस्यों की सदस्यता पर संकट मंडरा रहे हैं. पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद नियमावली 1959 के नियम 7(4) के तहत सदस्य बने लोगों की सदस्यता प्रभावित होगी. बीडीओ, डीसीओ और एआर के जरिए सीधे सदस्य बनने वालों की सदस्यता रद्द हो सकती है. पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद नियमावली 1959 के नियम 7(4) के तहत सदस्य बने लोगों की सदस्यता पर असर होगा.
1.40 करोड़ पैक्स की सदस्यता पर खतरा : बता दें कि राज्य में 1 करोड़ 40 लाख पैक्स सदस्य हैं. बीडीओ, डीसीओ और एआर के जरिए सीधे सदस्य बनने वालों की सदस्यता रद्द हो सकती है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद सहकारिता विभाग ने सहायक निबंधक और जिला सहकारिता पदाधिकारी को सुनवाई कर ऐसे सदस्यों की सदस्यता रद्द करने का आदेश दिया है. विभाग के आदेश के बाद बिहार सहकारी सोसायटी नियमावली 1959 के नियम 7(4) के तहत सदस्य बने लोगों की सदस्यता प्रभावित होगी.
विभागीय कार्रवाई भी जारी : विभाग के अपर सचिव ऋचा कमल ने कहा है कि ''इस नियम के तहत बनाए गए सदस्यों को सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए अविलंब नियमानुसार उनकी सदस्यता समाप्त करने की कार्रवाई करना सुनिश्चित करें.'' सहायक निबंधक और जिला सहकारिता पदाधिकारी के समक्ष सुनवाई में अपना पक्ष सही नहीं रखने पर उनकी सदस्यता जाना तय है. विभाग ऐसे सदस्यों की संख्या का आकलन करने में जुट गया है.
हाईकोर्ट ने घोषित किया था अवैधानिक : पटना हाईकोर्ट ने सहकारी सोसायटी नियमावली 1959 के नियम 7(4) को अवैधानिक घोषित कर दिया है. इस नियम के तहत सदस्य बनाए जाते रहे हैं, जबकि वर्ष 2021 में हाई कोर्ट ने इसे अवैधानिक घोषित कर दिया था. इसी मामले में दायर एमजेसी 364/2022 में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अब आदेश दिया है कि इस नियम के तहत प्रदत सदस्यता संबंधित व्यक्तियों से कारण जानते हुए रद्द की जाए. इस मामले की 29 मार्च 2024 को फिर से सुनवाई होगी.