शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है. कोर्ट के फैसले के बाद सभी सीपीएस को मिल रही सुविधाएं समाप्त हो जाएंगी. अब सभी छह मुख्य संसदीय सचिव सिर्फ बतौर विधायक ही पद पर बनें रहेंगे. ये मामला लंबे समय से कोर्ट में चल रहा था. सुखविंदर सुक्खू सरकार ने 2023 में 6 विधायकों को सीपीएस यानी मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त किया था, जिसके खिलाफ बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधायक सतपाल सत्ती समेत अन्य भाजपा विधायकों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट के फैसले के बाद बतौर सीपीएस इन्हें मिलने वाली सुविधाएं ऑफिस, आवास, गाड़ी, भत्ते समेत अन्य सुविधाएं भी इनसे वापस ली जाएंगी.
याचिकाकर्ताओं के वकील बहादुर वर्मा ने कहा कि, 'बहुत लंबे समय से कोर्ट के इस फैसले का इंतजार था. सीपीएस की नियुक्तियों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इसका फैसला हमारे पक्ष में आया है. कोर्ट ने माना है कि सीपीएस एक्ट 2006 मेंटेनेबल नहीं है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि सभी छह सीपीएस को दी गई सुविधाओं को वापस ले लिया जाए. वहीं, छह सीपीएस की सदस्यता बरकार रहेगी या नहीं इस पर कोर्ट की जजमेंट कॉपी मिलने पर कुछ कहा जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि सीपीएस की नियुक्तियां असंवैधानिक हैं. सीपीएस की नियुक्तियों के बारे संविधान में कोई उल्लेख नहीं है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार के पास इस तरह की नियुक्तियां करने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट ऑफ असम केस में कहा है कि सरकार के पास इस तरह के एक्ट को बनाने की कोई शक्ति नहीं है.'
वहीं, पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने भी कोर्ट के फैसले के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, 'भारतीय जनता पार्टी पहले दिन से ही सीपीएस बनाने के फैसले के खिलाफ थी, क्योंकि यह असंवैधानिक था और यह संविधान के खिलाफ था. जब 2017 में हम सरकार में थे तो हमारे समय भी यह प्रश्न आया था, तो हमने इसे पूरी तरह से असंवैधानिक बताते हुए सीपीएस की नियुक्ति नहीं की थी. आज हाईकोर्ट ने फिर से सरकार के तानाशाही पूर्ण और असंवैधानिक फैसले को खारिज कर दिया है. हम मांग करते हैं कि इस पद का लाभ लेने वाले सभी विधायकों की सदस्यता भी समाप्त हो.'
इन छह विधायकों को बनाया गया था सीपीएस
- मोहन लाल ब्राक्टा
ब्राक्टा 2012, 2017 में रोहड़ू से दो बार विधायक रहे हैं. 2022 में लगातार तीसरी बार रोहड़ू से विधायक चुने गए थे. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी शशिबाला को हराया था. उन्हें हॉलीलॉज का करीबी माना जाता है. सुक्खू सरकार ने मोहन लाल ब्राक्टा को सीपीएस बनाया था. 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह की जगह रोहड़ू से उतारा था.
- सुंदर सिंह ठाकुर
2017 में पहली बार कुल्लू से विधायक बने थे. उन्होंने पहली बार बीजेपी के दिग्गज नेता महेश्वर सिंह को हराया था. 2022 में फिर उन्होंने बीजेपी के नरोतम ठाकुर को हराकर दूसरी बार विधानसभा का टिकट कटाया था. 2023 में सुक्खू सरकार में उन्हें सीपीएस नियुक्त किया गया था.
संजय अवस्थी
संजय अवस्थी अर्की विधानसभा क्षेत्र से निवर्तमान विधायक हैं. अर्की सीट से स्व. वीरभद्र सिंह ने 2017 में जीत हासिल की थी. वहीं, उनके निधन के बाद 2021 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के संजय अवस्थी इस सीट से जीते थे. 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने दूसरी बार अर्की सी जीत हासिल की थी.
आशीष बुटेल
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री बृज बिहारी लाल बुटेल के सुपत्र आशीष बुटेल का जन्म 9 जनवरी, 1980 को हुआ. वर्ष 2017 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और प्राक्कलन एवं ग्रामीण योजना समितियों के सदस्य रहे. वह दिसम्बर, 2022 में 14वीं विधानसभा के लिए पुनः पालमपुर से निर्वाचित हुए. आशीष बुटेल जिला कांगड़ा बॉस्केटबाल संघ के अध्यक्ष हैं.
- किशोरी लाल
किशोरी लाल कांगड़ा के बैजनाथ संबंध रखते हैं. पांच बार पंचायत प्रधान रहने के बाद किशोरी लाल दिसम्बर, 2012 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और दिसम्बर, 2022 में पुनः बैजनाथ से विधायक के रूप में चुने गए हैं.
- राम कुमार चौधरी
दून से दिसंबर 2012 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए बतौर विधायक चुने गए. दिसंबर 2022 में 14वीं विधानसभा के लिए पुनः विधायक चुने गए.
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