नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल गुरू तेग बहादुर (जीटीबी) में दिनदहाड़े एक मरीज की गोली मारकर हत्या कर दी गई. वार्ड नंबर 24 में हमलावरों ने इस घटना को अंजाम दिया. यह वार्ड भी अस्पताल की चौथी मंजिल पर स्थित है. जिस समय हमलावरों ने वार्ड नंबर 24 में भर्ती मरीज पर फायरिंग की उस समय वार्ड में करीब 20 मरीज भर्ती थे. साथ ही तीन रेजिडेंट डॉक्टर और तीन नर्सिंग स्टाफ मरीजों को देख रहे थे.
हमलावरों ने जिस समय रियाजुद्दीन (मरीज) पर फायरिंग शुरू की उस समय पीजी डॉक्टर ईशा मरीज को देख रही थीं. हमलावर ने डॉक्टर को धक्का देकर पीछे फेंक दिया और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. अचानक हुई फायरिंग को देखकर डॉक्टर ईशा घबराकर मरीज के बेड के नीचे घुसकर अपनी जान बचाई. वहीं अन्य नर्सिंग स्टाफ व मरीजों के तीमारदार भी भी इधर-उधर भागने लगे.
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घटना के बाद से अस्पताल में डॉक्टर और अन्य सभी स्टाफ दहशत में हैं. अस्पताल में हुई घटना को लेकर और घटना के बाद अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने को लेकर अस्पताल की चिकित्सा निदेशक डॉक्टर अस्मिता राठौर से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.
घटना के बाद हड़ताल पर गए रेजिडेंट डॉक्टर
घटना के बाद सुरक्षा की मांग करते हुए रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) के आह्वान पर सभी रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. डॉक्टरों का कहना है जब तक हमें पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिलेगी हम अस्पताल में काम नहीं करेंगे. आरडीए के मीडिया प्रतिनिधि डॉक्टर आमिर ने बताया कि अभी तीन दिन पहले भी अस्पताल में एक मरीज की मौत होने के बाद परिजनों ने तोड़फोड़ की थी और रेजीडेंट डॉक्टर के साथ हाथापाई करने की कोशिश की गई थी. इसके बाद हमें दो दिन की हड़ताल पर जाना पड़ा था. तब हमें पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन, दो दिन बाद ही फिर से एक और गंभीर घटना हो गई है, जिससे सभी रेजीडेंट डॉक्टर और स्टाफ दहशत में हैं.
अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उठ रहे सवाल
घटना के बाद अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों और मरीजों के तीमारदारों का कहना है कि जब वार्ड में बिना पास जाने इजाजत नहीं है तो इन हमलावरों को गार्ड ने क्यों नहीं रोका? क्यों उनका पास चेक नहीं किया गया ? यह तो सभी मरीजों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है. डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में गार्ड की की भी कमी है. अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को देखने के लिए जितने गार्ड होने चाहिए उतने गार्ड फिलहाल अस्पताल में नहीं हैं. अस्पताल में मुख्य गेट जहां से वार्ड और ओपीडी में प्रवेश का रास्ता है वहां पर सिर्फ दो गार्ड तैनात रहते हैं जो उम्रदराज हैं. वह भी ड्यूटी के दौरान ज्यादा सक्रिय भी नहीं रह पाते. इसके अलावा अस्पताल में पुलिस चौकी भी है और वहां कुछ पुलिसकर्मी भी रहते हैं. इसके बावजूद दिनदहाड़े इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया जाना पुलिस पर भी सवाल खड़े कर रहा है.
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