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उत्तराखंड की जेलों का कम होगा भार, छूटेंगे कई कैदी, सुप्रीम आदेश पर कार्रवाई शुरू - Uttarakhand Jail

Prisoners Lodged in Uttarakhand Jail Will Get Bail सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड की जेलों से एक तिहाई सजा काट चुके कैदियों को जमानत पर रिहा किया जाएगा. आदेश के अनुसार इन शर्तों के साथ बीएनएनएस का नया प्रावधान लागू होगा.

Prisoners Lodged in Uttarakhand Jail Will Get Bail
एक तिराई सजा काट चुके कैदियों की होगी जमानत (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 19, 2024, 4:53 PM IST

देहरादून: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तराखंड की जेलों में बंद कैदियों के लिए महत्वपूर्ण आदेश दिया था. आदेश के तहत जिन विचाराधीन कैदियों ने अपने केस की अधिकतम सजा की एक तिहाई अवधि सलाखों के पीछे काट ली है, उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा किया जाएगा. लेकिन शर्त है कि वो कैदी किसी अपराध में विचाराधीन न हों, जिसमें आजीवन कैद या मौत की सजा का प्रावधान हो. वहीं अब सुप्रीम आदेश के बाद राज्य की सभी जेलों के अधीक्षक को पत्र जारी कर दिया गया है.

इस आदेश के बाद कुल क्षमता से अधिक विचाराधीन कैदी वाले देहरादून, हल्द्वानी और हरिद्वार जेल प्रशासन को बड़ी राहत मिलेगी. जानकारी के मुताबिक, तीनों जेल की व्यवस्था पर अतिरिक्त भार है और कैदियों को अमानवीय परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता है. पुराने कानून, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत यह लाभ सजा की आधी अवधि जेल में बीताने के बाद मिलता था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने केंद्र सरकार की सहमति से देश की सभी जेलों को निर्देश जारी किया कि नए प्रावधान का लाभ उन कैदियों को भी दिया जाए, जो पुराने कानून के तहत विचाराधीन हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश नए कानून बीएनएनएस (भारतीय नागरिक न्याय संहिता) की धारा 479 के तहत दिया है. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पुराने कैदियों पर भी लागू करने का आदेश दिया है. ऐसे में सभी जेल अधीक्षक को देखना होगा कि उनकी जेलों में ऐसे कौन से विचाराधीन कैदी हैं, जो सजा की एक तिहाई अवधि बिता चुके हैं. उनकी जमानत अर्जी जिला न्यायालय में लगवानी होगी.

डीआईजी जेल दधि राम ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर सभी जेल अधीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं. सजा की एक तिहाई अवधि जेलों में काट चुके कैदियों की सूची बनाई जा रही है, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड की जेलों में क्षमता से 178% ज्यादा महिला कैदी, बजट खर्च करने में भी पीछे!

देहरादून: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तराखंड की जेलों में बंद कैदियों के लिए महत्वपूर्ण आदेश दिया था. आदेश के तहत जिन विचाराधीन कैदियों ने अपने केस की अधिकतम सजा की एक तिहाई अवधि सलाखों के पीछे काट ली है, उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा किया जाएगा. लेकिन शर्त है कि वो कैदी किसी अपराध में विचाराधीन न हों, जिसमें आजीवन कैद या मौत की सजा का प्रावधान हो. वहीं अब सुप्रीम आदेश के बाद राज्य की सभी जेलों के अधीक्षक को पत्र जारी कर दिया गया है.

इस आदेश के बाद कुल क्षमता से अधिक विचाराधीन कैदी वाले देहरादून, हल्द्वानी और हरिद्वार जेल प्रशासन को बड़ी राहत मिलेगी. जानकारी के मुताबिक, तीनों जेल की व्यवस्था पर अतिरिक्त भार है और कैदियों को अमानवीय परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता है. पुराने कानून, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत यह लाभ सजा की आधी अवधि जेल में बीताने के बाद मिलता था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने केंद्र सरकार की सहमति से देश की सभी जेलों को निर्देश जारी किया कि नए प्रावधान का लाभ उन कैदियों को भी दिया जाए, जो पुराने कानून के तहत विचाराधीन हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश नए कानून बीएनएनएस (भारतीय नागरिक न्याय संहिता) की धारा 479 के तहत दिया है. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पुराने कैदियों पर भी लागू करने का आदेश दिया है. ऐसे में सभी जेल अधीक्षक को देखना होगा कि उनकी जेलों में ऐसे कौन से विचाराधीन कैदी हैं, जो सजा की एक तिहाई अवधि बिता चुके हैं. उनकी जमानत अर्जी जिला न्यायालय में लगवानी होगी.

डीआईजी जेल दधि राम ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर सभी जेल अधीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं. सजा की एक तिहाई अवधि जेलों में काट चुके कैदियों की सूची बनाई जा रही है, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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