रांची: 20 मार्च को दिल्ली में भाजपा छोड़ कर कांग्रेस का दामन थामने वाले मांडू के विधायक जयप्रकाश भाई पटेल आज सेवा विमान से रांची लौटे. कांग्रेस नेता के रूप में रांची लौटने पर कांग्रेसियों ने जेपी पटेल का जोरदार स्वागत किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि वह अपने पिता स्वर्गीय टेकलाल महतो की राजनीतिक सोच के अनुसार भाजपा में रहकर काम नहीं कर पा रहे थे इसलिए छोड़ दी. क्या वह हजारीबाग लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार मनीष जायसवाल के सामने I.N.D.I.A ब्लॉक से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी उन्हें जो उत्तरदायित्व देगी उसे वह पूरी तन्मयता से पूरा करेंगे.
समय की मांग थी भाजपा छोड़ना
रांची एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत के क्रम में जयप्रकाश भाई पटेल ने कहा कि समय की मांग थी कि मैं भाजपा छोड़ दूं. उन्होंने कहा कि झामुमो भी उन्होंने अचानक छोड़ा था और भाजपा भी अचानक छोड़ा. जेपी पटेल ने कहा कि हमें लगा कि भाजपा में रहते हुए वह अपने पिता की विचारधारा और उनके सपनों को पूरा नहीं कर पायेंगे.
जेपी पटेल ने कहा कि भाजपा में जाकर लगा कि हमारी सोच और विचारधारा उनसे अलग है, इसलिए हम भाजपा से अलग हो गए. पहले झामुमो छोड़ भाजपा और अब कांग्रेस में शामिल होने पर जनता के बीच जाने वाले गलत संदेश के सवाल पर जेपी पटेल ने कहा कि राजनीति में ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं. जो पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह नीतीश कुमार का सार्वजिनक मंचों से विरोध करते थे, उन्हें ही अपनी केंद्र की सरकार को आगे भी बचाये रखने के लिए नीतीश कुमार का साथ लेना पड़ा.
मांडू में मनीष जायसवाल को हराया है, मौका मिला तो हजारीबाग में भी पटखनी देंगे
एक सवाल के जवाब में जेपी पटेल ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है कि हजारीबाग से जिसे भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा उम्मीदवार बनाया है, उस मनीष जायसवाल को हमने मांडू विधानसभा चुनाव में तीसरे नम्बर पर रोक दिया था. अगर कांग्रेस पार्टी ने मौका दिया तो हजारीबाग में फिर उन्हें पटखनी देंगे.
झारखंड के आंदोलनकारी नेता टेकलाल महतो के पुत्र हैं जेपी पटेल
पूर्व मंत्री जय प्रकाश भाई पटेल, झामुमो के कद्दावर आंदोलनकारी नेता रहे स्वर्गीय टेकलाल महतो के पुत्र और झामुमो विधायक पूर्व मंत्री मथुरा महतो के दामाद हैं.
पिता की मृत्यु के बाद उनकी सक्रिय राजनीति में एंट्री हुई थी और उपचुनाव जीत कर पहली बार वह विधायक बने. हेमन्त सोरेन ने अपने मुख्यमंत्रित्व के पहले कार्यकाल में उन्हें पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री बनाया था.
बाद में गिरिडीह लोकसभा से उम्मीदवार नहीं बनाए जाने पर वह भाजपा में शामिल हो गए थे. दल बदलने के बाद भी वह मांडू के मतदाताओं का दिल जीतकर विधायक बनते रहे. भाजपा ने उन्हें विधानसभा में पार्टी का सचेतक भी बनाया था बावजूद इसके उन्होंने भाजपा छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए. कयास लगाए जा रहे हैं कि हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से वह कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे.
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