लखनऊ : झांसी के जिला अस्पताल में लगी भीषण आग में 10 नवजात की मौत की घटना के बाद उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में हलचल शुरू हो गई है. इसी क्रम में राजधानी के 75 से ज्यादा अस्पतालों को फायर विभाग ने नोटिस जारी किया है. फायर विभाग के अधिकारियों ने शनिवार को तमाम अस्पतालों की जांच की और वहां पर पाया कि अस्पताल में फायर सुरक्षा से संबंधित कोई भी व्यवस्था नहीं हैं. हैरान कर देने वाली बात यह है कि ऐसे अस्पतालों में केजीएमयू से लेकर सिविल अस्पताल भी शामिल हैं. इन्हें नोटिस जारी किया गया है.
केजीएमयू शताब्दी अस्पताल: केजीएमयू शताब्दी के केवल एंट्री गेट पर रैंप बना है. नई इमारत होने के बावजूद सीढ़िया ढाई मीटर से कम चौड़ी बनाई गईं हैं. निकास के लिए बनाया गया गेट भी मानक के विपरीत है.
केजीएमयू की पुरानी बिल्डिंग: एक भी लिफ्ट सही नहीं है. एंट्री और एक्जिट गेट की चौड़ाई बहुत कम है. फायर फायटिंग सिस्टम इतना पुराना है कि अब कार्यशील नहीं है.
बलरामपुर अस्पताल: अलग-अलग विभागों के लिए बनी बिल्डिंगों में सेंट्रलाइज फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है. कई बिल्डिंग में फायर फाइटिंग सिस्टम ही नहीं लगा है.
सिविल अस्पताल : अस्पताल की पुरानी ओपीडी बिल्डिंग में फायर फाइटिंग के एक भी उपकरण नहीं है. कुछ फायर इस्टिंग्यूशर लगे हैं, जो कई साल से एक्सपासर पड़े हैं. इमेरजेंसी की नई बिल्डिंग के पीछे से निकास गेट मानक के विपरीत है.
भाऊराव देवरस हॉस्पिटल: अस्पताल की बिल्डिंग भी फायर फायटिंग को ध्यान में रखकर नहीं बनाई गई है. सीढ़िया और रैंप बचाव के लिहाज से सही नहीं हैं. परिवार कल्याण निदेशालय निदेशाल के बिल्डिंग की हालत यह है कि न तो बिजली उपकरण सही हैं न फायर हाइड्रेट पर्याप्त लगे हैं. जो लगे हैं उनमें भी पानी की सप्लाई के लिए पंपिंग स्टेशन ही नहीं है.
झलकारी बाई अस्पताल: अस्पताल के गेट पर ही पार्किंग है, जिसकी वजह से आपात स्थित में न तो दमकल पहुंचेगी न ही लोगों को भागने का रास्ता मिलेगा. एंट्री और एक्जिट गेट भी एक ही है. फायर सिस्टम का पता ही नहीं है.
रानी लक्ष्मीबाई हॉस्पिटल: प्रवेश और निकास के लिए एक ही गेट है. बिल्डिंग बहुत पुरानी है. आने वाले मरीजों की संख्या के अनुपात में सभी गेट और सीढ़ियों की चौड़ाई कम है.
अवंतीबाई अस्पताल: फायर फाइटिंग के मानक पर यह अस्पताल बेहद खतरानक है. यहां न हो वाटर हाइड्रेट है न पंपिंग स्टेशन. वार्डों और स्टॉफ रूम भी मानक के विपरीत बने हैं.
सामुदायिक केंद्र : गोसाइगंज, मलिहाबाद, चिनहट और बीकेटी के एक भी स्वास्थ्य केंद्र में फायर फाइटिंग का कोई भी उपरकण नहीं लगा है.
शेखर हॉस्पिटल व एफआई हास्पिटल: दोनों निजी अस्पतालों में आग से सुरक्षा के इंतजाम न पाए जाने पर इनके खिलाफ सीजेएम कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया है.
राजधानी के अस्पतालों में आग ले चुकी है जान: बता दें कि 18 दिस्म्बर 2023 संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) की ओटी में आग लग गई थी. हादसे में एक बच्चे सहित तीन लोगों की मौत हो गई थी. 2 नवंबर 2024 क्वीन मेरी अस्पताल, केजीएमयू के बेसमेंट में आग लग गई. मौके पर अफरातफरी मच गई और कई लोग अस्पताल के बेसमेंट में फंस गए. 2 जनवरी 2024 सिविल अस्पताल में आग लग गई. मरीजों और स्टाफ में भगदड़ मच गई. 9 अप्रैल 2020 केजीएमयू ट्रामा सेंटर में मेडिसिन और हड्डी रोग विभाग में भीषण आग लग गई. लिफ्ट के डक्ट से भड़की आग की लपटें सीलिंग तक पहुंच गई. मार्च 2016 झलकारी बाई अस्पताल के पहले फ़्लोर पर शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी. इस आग से बच्चा वार्ड में हड़कंप मच गया था. अप्रैल 2016 झलकारी बाई अस्पताल के एसएनसीयू में आग लगी. आग से खौफ़जदा प्रसूताएं अपने बच्चे को गोद में लिए जागती रहीं. अक्टूबर 2019 झलकारी बाई अस्पताल में शॉर्ट सर्किट से आग लगी. आग से दो नवजात शिशुओं की हालत गंभीर हो गई थी.
आगरा में बिना एनओसी के 148 हॉस्पिटल-नर्सिंग होम संचालित
आगरा की बात करें तो यहां 302 हॉस्पिटल और नर्सिंग होम को अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र एनओसी मिली है. बाकी के 148 निजी अस्पताल बिना एनओसी के संचालित हो रहे हैं. जिले में आईसीयू और एनआईसीयू की ऑडिट कराई जाएगी. झांसी के मेडिकल कालेज में आग की घटना के बाद डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने स्वास्थ्य विभाग और अग्निशमन विभाग की संयुक्त टीम गठित की है. जो जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों के सघन चिकित्सा कक्ष आइसीयू और पीआइसीयू का आडिट करेगी. डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि संयुक्त टीम की जांच और रिपोर्ट के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि आगरा में 450 निजी अस्पतालों का पंजीकरण है. अस्पतालों पर अग्निशमन विभाग की एनओसी नहीं है. 50 बेड से अधिक के अस्पतालों के नवीनीकरण पर एनओसी न होने पर रोक लगा दी गई. आगरा के सीएफओ डीके सिंह ने बताया कि पिछले तीन वर्ष में 302 अस्पतालों में मानक पूरे कराने के बाद एनओसी दी है. पिछले तीन वर्ष की बात करें तो अग्निशमन विभाग ने 450 में से 302 अस्पतालों को ही एनओसी दी गई. जिन अस्पतालों को एनओसी नहीं मिली है. उनका आग बुझाने के इंतजाम परखने के लिए आडिट कराया जा रहा है.
आगरा में आईसीयू की जांच करेगी संयुक्त टीम: आगरा सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि 20 बेड के अस्पतालों में आग बुझाने के इंतजामों का आडिट कराने के बाद नवीनीकरण किया जा रहा है. जिले में 148 अस्पताल संचालकों के पास अग्निशमन विभाग की एनओसी नहीं है. जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों के आईसीयू की संयुक्त टीम आडिट करेगी. जहां पर मानक पूरे न मिलेंगे तो वहां पर गंभीर मरीजों को भर्ती करने पर रोक लगाई जाएगी.