देहरादून: राजधानी देहरादून में बीते दिनों भीषण कार हादसे में 6 युवक युवतियों की दर्दनाक मौत हो गई थी. इस सड़क हादसे ने न सिर्फ देहरादून वासियों को झझकोर दिया, बल्कि देश को भी हिला दिया. यह भयानक सड़क हादसा अपने पीछे कुछ सवाल और सबक छोड़ गया है. घटना पर शोक प्रकट करने के लिए देहरादून सिटीजन फोरम की तरफ से सभा का आयोजन किया गया. सभा के दौरान ऐसे हादसों पर रोक लगाने के लिए शासन प्रशासन से कड़े कदम उठाए जाने की मांग भी उठाई गई. शोक व्यक्त करने के साथ ही नागरिक पत्र पर हस्ताक्षर अभियान चलाया गया. वहीं हादसों को रोकने के लिए मनोचिकित्सक ने भी युवाओं और अभिभावकों को राय दी है.
देहरादून में बीते सड़क हादसे में 6 युवक युवतियों की मौत के बाद कई संगठन आगे आए हैं.इस दौरान सामाजिक संगठन से जुड़े जगमोहन मेहंदीरत्ता ने युवाओं की भीषण सड़क हादसे मे मौत के लिए सबसे पहले अभिभावकों को ही जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि देहरादून के संभ्रांत और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग अभिभावकों के साथ काउंसलिंग करेंगे, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो सके.जन संगठनों ने मांग उठाई की देहरादून की सड़कों पर शराब पीने और लापरवाही से गाड़ी चलाने से रोकने के लिए निरंतर कार्यान्वयन के लिए सभी की सहभागिता सुनिश्चित की जाए.
मनोचिकित्सक ने दी ये राय: प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक सोना कौशल ने बीते सोमवार को हुए कर एक्सीडेंट हादसे में जान गवाने वाले छह युवक और युवतियों की मौत पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने युवाओं में तेज रफ्तार, नशे को सोशल मीडिया की बढ़ती प्रवृत्ति को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो, इसके लिए युवाओं को कौन समझाए कि गलत और सही क्या है. उन्होंने कहा कि पहले सोशल मीडिया और टीवी, मोबाइल, नहीं हुआ करते थे.
किंतु आज सोशल मीडिया टीवी और मोबाइल बच्चों पर हावी है. युवाओं के अभिभावक दिनभर इन्हीं पर खोए रहते हैं. इससे बच्चों पर भी प्रौद्योगिकी का नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. इसलिए ओवर स्पीडिंग और ड्रंक एंड ड्राइव से युवाओं की सड़क हादसों में मौत हो रही है. उनका कहना है कि बच्चों को गलत और सही का ज्ञान देने के लिए अभिभावकों की पहली जिम्मेदारी बनती है. क्योंकि पहला स्कूल बच्चों के लिए घर होता है.
बच्चों को ज्ञान देने से पहले पेरेंट्स अपने आप पर बदलाव लाएं, तभी युवा अपने पेरेंट्स को देखकर कुछ अच्छा सीखेंगे. डॉ सोना कौशल का कहना है कि युवाओं की सड़क हादसों में हो रही मौत को रोकने के लिए सबसे पहले स्कूलों में वर्कशॉप और सेमिनार के माध्यम से इसकी चर्चा की जानी चाहिए. इसमें बुद्धिजीवियों,डॉक्टरों, साइकोलॉजिस्ट,पुलिस और कानूनी सलाह देने वाले वकीलों को जोड़ा जाए, ताकि सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए युवाओं को जागरूक किया जा सके.
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