देहरादून: राजधानी देहरादून के चिड़ियाघर में जिन दो टाइगर्स को लाया गया था, जिन्हें करीब 9 महीने बाद लोग दीदार कर सकेंगे. दरअसल काफी लंबे समय से न केवल आम लोगों को बल्कि वन विभाग को भी इन दोनों शिकारियों के लिए केंद्रीय एजेंसी की अनुमति का इंतजार था जो, अब मिल गई है.
बाघों का जल्द आम लोग कर सकेंगे दीदार: भोला और विक्रम (टाइगर नाम) पिछले कई महीनों से हरे परदे के पीछे नजर बंद रखे गए हैं. हालांकि उन पर ये पाबंदी कोई नई नहीं हैं. इससे पहले ये दोनों रेस्क्यू सेंटर में इसी तरह आम लोगों की चहलकदमी से दूर बाड़े में कैद थे. लेकिन अब खुशी की बात यह है कि केंद्रीय एजेंसी से अनुमति मिलने के बाद इन्हें आम लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा.यानी अब जल्द ही आम लोग इनका दीदार कर सकेंगे.
बाघों को पूर्व में दिया गया ये नाम: देहरादून के चिड़ियाघर में जिन दो टाइगर्स को लाया गया है, उन्हें पूर्व में भोला और विक्रम नाम दिया गया था. हालांकि चिड़ियाघर में लाने के बाद इन्हें D2 और D5 नाम से जाना जाता है. यहां D का मतलब ढेला से है, ढेला वो जगह है जहां टाइगर्स का रेस्क्यू सेंटर है और पिछले लंबे समय तक यह दोनों इसी रेस्क्यू सेंटर में कैद थे. जिन्हें बाद में तमाम औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद वहां से देहरादून के चिड़ियाघर में 26 फरवरी 2024 को लाया गया था.
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने क्या कहा: वैसे तो इन दोनों ही बाघों को चिड़ियाघर में लाने का मकसद इन्हें आम लोगों को दीदार करना था. लेकिन सेंट्रल जू अथॉरिटी से अनुमति ना मिल पाने के कारण इन्हें हर पर्दों के पीछे आम लोगों की पहुंच से दूर रखना पड़ रहा था. ईटीवी भारत से बातचीत में वन मंत्री सुबोध उनियाल बताया कि सेंट्रल जू अथॉरिटी से अब इन दोनों ही बाघों को आम लोगों के लिए डिस्प्ले में रखने की अनुमति दे दी गई है और जल्द ही आम लोग इन दोनों टाइगर्स का दीदार कर सकेंगे.
दोनों को रखा गया था रेस्क्यू सेंटर: वैसे तो चिड़ियाघर में ले जाने के बाद इन दोनों के नाम को लेकर कुछ खास विचार नहीं किया गया है और इन्हें D2 और D5 नाम से ही जाना जा रहा है. लेकिन बताया जा रहा है कि पहले इन दोनों को भोला और विक्रम के नाम से पुकारा जाता था. जानकारी के अनुसार भोला आपसी संघर्ष के कारण घायल हुआ था, जिसके बाद उसके पैर में लगी चोट के चलते उसे रेस्क्यू सेंटर में रखा गया. हालांकि अब भोला पूरी तरह से स्वस्थ है. इसी तरह खबर है कि दूसरे बाघ को विक्रम नाम दिया गया था और यह एक आदमखोर बाघ के रूप में पकड़ा गया था. भोले की उम्र करीब 5 साल बताई जा रही है, जबकि विक्रम इससे एक से डेढ़ साल बड़ा है.
दोनों को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से पकड़ा था: इससे पहले देहरादून चिड़ियाघर में शिकारी वन्यजीव के रूप में दो गुलदार मौजूद हैं, जिन्हें राजा और रानी नाम दिया गया है. इन्हें भी हाल ही में सेंट्रल जू अथॉरिटी की अनुमति के बाद आम लोगों के लिए डिस्प्ले किया गया है. उधर अब दो टाइगर्स के देहरादून चिड़ियाघर में आम लोगों के लिए डिस्प्ले होने पर लोगों की इसे देखने की उत्सुकता बढ़ना तय है. इन दोनों ही टाइगर्स को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से पकड़ा गया था और उसके बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला रेंज में स्थित ढेला रेस्क्यू सेंटर में रखा गया था.
बाघों के लिए जू में बनाया गया बाड़ा: देहरादून चिड़ियाघर में इन दो बाघों को जिस जगह पर रखा गया है वह क्षेत्र सफारी ट्रैक है. दरअसल चिड़ियाघर में भविष्य में सफारी जोन भी खोला जा रहा है और सफारी क्षेत्र में कुल 11 एंक्लोजर तैयार करने के प्रयास किए जा रहे हैं. जिम लेपर्ड, काला भालू, स्लॉथ बीयर, हाइना, लोमड़ी, काकड़, चित्तल, सांभर और घुरड़ के लिए बाड़े बनाए गए हैं. सफारी ट्रैक पर चलते वक्त सबसे आखिर में बाघ का बाड़ा बनाया गया है, जहां पर इन दोनों को रखा गया है. फिलहाल चिड़ियाघर से करीब 600 मीटर पैदल चलने के बाद इन दोनों का पर्यटक दीदार कर पाएंगे.
ये भी पढ़ेंः
- राजाजी टाइगर रिजर्व में बढ़ रहा बाघों का कुनबा, कॉर्बेट से लाई बाघिन ने 4 शावकों को दिया जन्म
- प्रोजेक्ट टाइगर के लिए खतरा बना ये वन्य जीव! राजाजी रिजर्व में शुरू हुई सर्वाइवल जंग
- बाघ संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहा उत्तराखंड, घनत्व में जिम कॉर्बेट पार्क है अव्वल
- कॉर्बेट नेशनल पार्क में सिमट रही टाइगर की 'सल्तनत', अब पहाड़ों पर पलायन कर रहा 'जंगल का राजा'