मथुरा: सेना में सूबेदार पिता का बेटी के कन्यादान का अरमान तो पूरा नहीं हुआ, लेकिन उसकी मौत पर साथी जवानों ने शादी की जिम्मेदारी संभाल ली. सुबेदार की हादसे में मौत के दो दिन बाद ही घर में शादी थी. पूरा परिवार शोक में डूबा था. किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि बेटी के हाथ अब कैसे पीले होंगे. ऐसे में सेना के जवान आगे आए. यह वाकया मथुरा के मांट क्षेत्र के गांव वकला का है.
सेना में सूबेदार देवेंद्र सिंह करीब एक महीने पहले वीआरएस लेकर अपने गांव लौटे थे. बेटी ज्योति की शादी हाथरस में तय हुई थी. पूरा परिवार शादी की तैयारियों में लगा था. इस बीच 5 दिसंबर को परिवार पर वज्रपात हो गया. मांट राया रोड पर देवेंद्र की कार सड़क किनारे खड़ी ईटों से भरी हुई ट्रैक्टर ट्राली से भिड़ गई. देवेंद्र समेत दो लोगों की इस हादसे में मौत हो गई. परिवार की खुशियों को अचानक ग्रहण लग गया. पिता की मौत के बाद बेटी की शादी की तैयारी थम गईं.
देवेंद्र की मौत की जानकारी गांव में ही रहने वाले एक पूर्व फौजी ने उनकी बटालियन जाट रेजीमेंट के अधिकारियों को दी. पंजाब के फाजिल्का में तैनात 20 जाट बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल चंद्रकांत शर्मा यह पता चला तो उन्होंने देवेंद्र के परिवार की मदद का फैसला लिया. कमांडिंग ऑफिसर ने बटालियन से पांच जवान जिनमें सूबेदार सोमवीर सिंह, सूबेदार मुकेश कुमार, हवलदार प्रेमवीर, विनोद और वेताल सिंह को देवेंद्र सिंह के घर पहुंचने का आदेश दिया
पिता की मौत के बाद बेटी ज्योति ने शादी करने से इंकार कर दिया था. अभिभावक के तौर पर सामने आए सेना के जवानों ने बेटी को समझाया और शादी के लिए राजी किया. इसके बाद तय तिथि पर 7 दिसंबर को ही बेटी का विवाह संपन्न कराया. सेना के जवानों ने ही सारी रस्में, परंपराएं निभाते हुए कन्यादान किया. बताते हैं कि दूल्हा भी सेना में ही तैनात है. सेना के जवानों के इस कदम की हर तरफ सराहना हो रही है. बता दें कि देवेंद्र के परिवार में पत्नी, दो बेटियां और दो बेटे हैं. इसमें से एक बेटी की शादी हुई है.