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अकबर नगर के बाद आदिल नगर और अबरार नगर में अवैध निर्माण हटाना LDA के लिए बड़ी चुनौती - LDA action

लखनऊ में अकबरनगर बस्ती ध्वस्त करने के बाद अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की नजर कुकरैल नदी के एलाइनमेंट में आने वाली कई बस्तियों पर है. आदिल नगर अबरार नगर और ऐसी ही कई बस्तियां हैं, जो लगभग 15 किलोमीटर की रेखा में बसी हैं.

लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की नजर कुकरैल नदी के एलाइनमेंट में आने वाली कई बस्तियों पर है.
लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की नजर कुकरैल नदी के एलाइनमेंट में आने वाली कई बस्तियों पर है. (photo credit etv bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 24, 2024, 8:45 PM IST

लखनऊ : लखनऊ में अकबरनगर बस्ती ध्वस्त करने के बाद अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की नजर कुकरैल नदी के एलाइनमेंट में आने वाली कई बस्तियों पर है. आदिल नगर अबरार नगर और ऐसी ही कई बस्तियां हैं, जो लगभग 15 किलोमीटर की रेखा में बसी हैं. आने वाले समय में उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा. मगर अकबर नगर के मुकाबले आदिल और अबरार नगर में लखनऊ विकास प्राधिकरण को भारी दुश्वारियों का सामना करना पड़ेगा. इन दोनों इलाकों में अकबरनगर के मुकाबले ज्यादा बड़े निर्माण किए गए हैं. कई बड़े अपार्टमेंट हैं. इसके अलावा स्कॉर्पियो क्लब भी जद में आ रहा है. स्कॉर्पियो क्लब में ही कई कॉलोनियां बसी हुई हैं, जो की कुकरेल नाले के एलाइनमेंट में आती हैं. इसलिए बड़े लोगों का मामला यहां पर आकर फंसेगा. ऐसे में लखनऊ विकास प्राधिकरण के लिए इस इलाके में बुलडोजर चलाना टेढ़ी खीर साबित होगा.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत कुकरैल नदी को बचाने के लिए इन बस्तियों को भी हटाने की आवश्यकता है. फिलहाल सर्वे के दौरान स्थानीय नागरिकों ने अफसरों का विरोध किया था. फिलहाल सरकार ने कुकरैल रिवर फ्रंट विकास के लिए इस नदी को जीवित करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसमें सभी बस्तियां हटाई जाएंगी. अबरार नगर और आदिल नगर में मिलाकर लगभग 1500 अवैध निर्माण होंगे.

आदिल नगर और अबरार नगर पिछले करीब 25 साल में बसे हैं. यहां सस्ती जमीन खरीद कर बिल्डर ने मकान और अपार्टमेंट का निर्माण किया है. अच्छे-अच्छे मंजिल के करीब 60 से 70 अपार्टमेंट यहां हैं. दिन में सैकड़ों की संख्या में फ्लैट बने हुए हैं. और वह रुपए का अर्थ तंत्र इन अपार्टमेंट से जुड़ा हुआ है. इसके अतिरिक्त साइकिलों की संख्या में सिंगल यूनिट आवास भी हैं. एक बड़ी चुनौती स्कॉर्पियो क्लब भी है. अनेक रसूखदार इस क्लब से जुड़े हुए हैं. क्लब के भीतर कई कॉलोनी का निर्माण किया गया है, जहां हाई क्लास लिविंग को पसंद करने वाले लोगों ने अपने मकान बने हुए हैं. इनको तोड़ने की जब बारी आएगी तो भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा.लखनऊ विकास प्राधिकरण के लिए इस दौरान सबसे बड़ा सहारा सुप्रीम कोर्ट का आदेश ही है. इस आदेश के जरिए LDA मजबूती के साथ अवैध निर्माण के खिलाफ खड़ा हो सकता है.

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि इस नदी को पुनर्जीवित करने का हम हर संभव प्रयास करेंगे. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने जिस तरह का आदेश दिया है उसका पालन किया जाएगा. जहां-जहां भी अवैध निर्माण और अतिक्रमण नदी को प्रभावित करेगा हम उसको हटाएंगे.

लखनऊ : लखनऊ में अकबरनगर बस्ती ध्वस्त करने के बाद अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की नजर कुकरैल नदी के एलाइनमेंट में आने वाली कई बस्तियों पर है. आदिल नगर अबरार नगर और ऐसी ही कई बस्तियां हैं, जो लगभग 15 किलोमीटर की रेखा में बसी हैं. आने वाले समय में उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा. मगर अकबर नगर के मुकाबले आदिल और अबरार नगर में लखनऊ विकास प्राधिकरण को भारी दुश्वारियों का सामना करना पड़ेगा. इन दोनों इलाकों में अकबरनगर के मुकाबले ज्यादा बड़े निर्माण किए गए हैं. कई बड़े अपार्टमेंट हैं. इसके अलावा स्कॉर्पियो क्लब भी जद में आ रहा है. स्कॉर्पियो क्लब में ही कई कॉलोनियां बसी हुई हैं, जो की कुकरेल नाले के एलाइनमेंट में आती हैं. इसलिए बड़े लोगों का मामला यहां पर आकर फंसेगा. ऐसे में लखनऊ विकास प्राधिकरण के लिए इस इलाके में बुलडोजर चलाना टेढ़ी खीर साबित होगा.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत कुकरैल नदी को बचाने के लिए इन बस्तियों को भी हटाने की आवश्यकता है. फिलहाल सर्वे के दौरान स्थानीय नागरिकों ने अफसरों का विरोध किया था. फिलहाल सरकार ने कुकरैल रिवर फ्रंट विकास के लिए इस नदी को जीवित करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसमें सभी बस्तियां हटाई जाएंगी. अबरार नगर और आदिल नगर में मिलाकर लगभग 1500 अवैध निर्माण होंगे.

आदिल नगर और अबरार नगर पिछले करीब 25 साल में बसे हैं. यहां सस्ती जमीन खरीद कर बिल्डर ने मकान और अपार्टमेंट का निर्माण किया है. अच्छे-अच्छे मंजिल के करीब 60 से 70 अपार्टमेंट यहां हैं. दिन में सैकड़ों की संख्या में फ्लैट बने हुए हैं. और वह रुपए का अर्थ तंत्र इन अपार्टमेंट से जुड़ा हुआ है. इसके अतिरिक्त साइकिलों की संख्या में सिंगल यूनिट आवास भी हैं. एक बड़ी चुनौती स्कॉर्पियो क्लब भी है. अनेक रसूखदार इस क्लब से जुड़े हुए हैं. क्लब के भीतर कई कॉलोनी का निर्माण किया गया है, जहां हाई क्लास लिविंग को पसंद करने वाले लोगों ने अपने मकान बने हुए हैं. इनको तोड़ने की जब बारी आएगी तो भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा.लखनऊ विकास प्राधिकरण के लिए इस दौरान सबसे बड़ा सहारा सुप्रीम कोर्ट का आदेश ही है. इस आदेश के जरिए LDA मजबूती के साथ अवैध निर्माण के खिलाफ खड़ा हो सकता है.

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि इस नदी को पुनर्जीवित करने का हम हर संभव प्रयास करेंगे. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने जिस तरह का आदेश दिया है उसका पालन किया जाएगा. जहां-जहां भी अवैध निर्माण और अतिक्रमण नदी को प्रभावित करेगा हम उसको हटाएंगे.

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