रांची: झारखंड के अधिवक्ताओं को 5 लाख का कैशलेस चिकित्सा बीमा, 14 हजार रु. पेंशन और प्रैक्टिस के प्रथम तीन वर्षों तक प्रतिमाह पांच हजार रु. स्टाइपेंड देने के झारखंड सरकार के फैसले की तारीफ करते हुए राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने सीएम हेमंत सोरेन के प्रति आभार जताया है. उन्होंने कहा कि देश में झारखंड एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां की सरकार ने अधिवक्ताओं के सोशल सिक्योरिटी के लिए ऐसी पहल की है.
राज्य सरकार के इस फैसले से झारखंड के करीब 15 हजार अधिवक्ताओं को फायदा होगा. उन्होंने बताया कि वकालत का पेशा बेहद कठिन होता है. प्रैक्टिस के शुरुआती वर्षों में तो और भी आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ती है. इसकी वजह से तीन-चार साल संघर्ष के बाद कई अधिवक्ता प्रैक्टिस करना छोड़ देते हैं. लेकिन झारखंड में अब ऐसी नौबत नहीं आएगी.
दरअसल, 6 सितंबर 2024 को हेमंत कैबिनेट ने वकीलों से जुड़े इन तीन प्रस्तावों पर स्वीकृति दी थी. महाधिवक्ता ने बताया कि अब राज्य के सभी वकीलों को 5 लाख तक का कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा मिलेगी. प्रीमियर का सारा भार राज्य सरकार वहन करेगी. ट्रस्टी कमेटी के माध्यम से अब तक 7,000 रु. पेंशन मिलता था. अब उन्हें 14,000 रु. का पेंशन मिलेगा. ट्रस्टी कमेटी के माध्यम से नये अधिवक्ताओं को 1 हजार रु. प्रतिमाह स्टाइपेंड मिलता था. अब उन्हें 5 हजार रु. प्रतिमाह स्टाइपेंड मिलेगा.
महाधिवक्ता ने बताया कि ट्रस्टी के माध्यम से अधिवक्ताओं को अब तक जो आर्थिक मदद होती थी, उसकी राशि शपथ पत्र और वकालतनामे पर लगने वाले स्टांप की बिक्री से हासिल की जाती थी. स्टांप के लिए 15 रु. देने पड़ते थे. लेकिन हेमंत सरकार ने 28 सितंबर 2023 को स्टांप शुल्क 15 रु. से बढ़ाकर 30 रु. कर दिया था. इसकी वजह से भी अधिवक्ताओं को बड़ी राहत मिली.
महाधिवक्ता ने कहा कि बहुत से अधिवक्ता ट्रस्ट के मेंबर नहीं है. उन्हें इस सुविधा का लाभ उठाना चाहिए. मेंबर बनने के लिए सिर्फ 200 रु. सालाना फीस लगता है. अगर कोई 2,500 रु. जमा करता है तो वह लाइफ टाइम मेंबर बन जाता है. महाधिवक्ता ने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए राज्य सरकार ने तीनों योजनाओं के लिए 13 करोड़ का राशि स्वीकृत कर दी है. हालांकि, इस सहयोग को सिविल बार कोर्ट एसोसिएशन द्वारा लॉलीपॉप करार दिये जाने के सवाल पर महाधिवक्ता ने कहा कि उनको जो भी डाउट है, उसे क्लियर कर देंगे.
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