कोरबा: आईटी कोरबा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग कॉलेज कोरबा पर अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है. इस साल प्रदेश के इकलौते पीपीपी मॉडल के तहत स्थापित कॉलेज में फर्स्ट ईयर में एडमिशन शून्य हो गया है. इंजीनियरिंग के प्रति छात्रों में घटता रुझान और कॉलेज की बदहाली इसके लिए बड़ा कारण है. एक भी छात्र ने कॉलेज में एडमिशन नहीं लिया है.
कोरबा इंजीनियरिंग कॉलेज प्रबंधन की मुश्किल: आईटी कोरबा कॉलेज पीपीपी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप योजना के तहत स्थापित यह राज्य का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज है. इसकी स्थापना 2008 में हुई. आईटी कोरबा इंजीनियरिंग कॉलेज के सहायक प्राध्यापक और एडमिशन प्रभारी पंकज स्वर्णकार ने बताया कि स्थापना के समय ही यह तय हुआ था कि औद्योगिक उपक्रम 10-10 करोड़ रुपए की राशि देगा. जिसमें एनटीपीसी, सीएसईबी एसईसीएल और बालको, लैंको जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम शामिल हैं. जबकि प्रकाश इंडस्ट्रीज की तरफ से 5 करोड़ रुपए कॉलेज स्थापित करने के लिए दिया जाना था.
कुछ औद्योगिक उपक्रमों ने अब तक अपने हिस्से के पैसे कॉलेज प्रबंधन को नहीं दिए है. इस दिशा में कॉलेज प्रबंधन लगातार औद्योगिक उपक्रमों से पत्राचार कर रहा है. ऐसी स्थिति में आईटी कोरबा वित्तीय संकट से भी जूझ रहा है. प्रबंधन की मुश्किल और बढ़ गई है.- पंकज स्वर्णकार, सहायक प्राध्यापक और एडमिशन प्रभारी, आईटी कोरबा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
60 बच्चे और 9 फैकेल्टी : फर्स्ट ईयर में एडमिशन शून्य होने से कॉलेज में इस साल कोई नया एडमिशन नहीं हुआ है. वर्तमान में कॉलेज में सेकंड ईयर और फाइनल ईयर तक सिर्फ 60 बच्चे पढ़ रहे हैं. जबकि इन्हें पढ़ाने के लिए 9 फैकल्टी मौजूद हैं. हालांकि कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि जो बच्चे पढ़ रहे हैं. उनका कोर्स पूरा कराया जाएगा और इंजीनियरिंग का कोर्स पूरा करने के लिए जो भी जरूरी मापदंड हैं, उन्हें हर हाल में पूरा किया जाएगा. कॉलेज में रेगुलर प्रिंसिपल के नहीं होने, मैनेजमेंट की चरमराई व्यवस्था और वित्तीय संकट के कारण कॉलेज साल दर साल बदहाली की तरफ बढ़ रहा है. कॉलेज की वित्तीय स्थिति सुधर नहीं रही है. यही कारण है कि बच्चे यहां एडमिशन लेने से कतरा रहे हैं.
शासन स्तर से जुटा रहे हैं जानकारी : आईटी कोरबा इंजीनियरिंग कॉलेज के सहायक प्राध्यापक और एडमिशन प्रभारी पंकज स्वर्णकार ने बताया कि आईटी में एडमिशन लेने के लिए काउंसिलिंग में कुछ बच्चे सामने आए थे. जो उनके संपर्क में भी थे, लेकिन सीट अलॉटमेंट वाले दिन अचानक कॉलेज का नाम हटा दिया गया. ऐसा क्यों हुआ इसकी जानकारी अब तक शासन स्तर से नहीं मिली है.
हम लगातार इस दिशा में जानकारी जुटा रहे हैं. लेकिन अब तक कोई जवाब हमें नहीं मिला है. जिसकी वजह से ही इस वर्ष फर्स्ट ईयर में एडमिशन शून्य हो गया है. सेकंड, थर्ड और फाइनल ईयर में बच्चे पढ़ रहे हैं. जिनकी पढ़ाई जारी है.-पंकज स्वर्णकार, सहायक प्राध्यापक और एडमिशन प्रभारी, आईटी कोरबा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
आधी बिल्डिंग पहले ही मेडिकल कॉलेज के हवाले : कॉलेज की स्थापना के समय शहर के पास झगरहा में आईटी की स्थापना की गई थी. इसकी बिल्डिंग करोड़ों रुपए की लागत से आईआईटी की तर्ज पर तैयार की गई. आईटी कोरबा की बिल्डिंग छत्तीसगढ़ की सबसे शानदार इंजीनियरिंग कॉलेज की बिल्डिंग है. 25 एकड़ का कैंपस और सर्व सुविधायुक्त इंफ्रास्ट्रक्चर यहां मौजूद है. लेकिन अब कॉलेज में बच्चे ही एडमिशन नहीं ले रहे हैं. इसके कारण कॉलेज की उपयोगिता पर सवालिया निशान लगा हुआ है. कोरबा जिले में जब मेडिकल कॉलेज शुरू हुआ तब उसके पास अपनी बिल्डिंग नहीं थी. वर्तमान में एमबीबीएस का कोर्स भी इंजीनियरिंग कॉलेज के कैंपस में ही लगाया जा रहा है. आधी बिल्डिंग पहले ही मेडिकल कॉलेज को दी जा चुकी है.