हल्द्वानी: अपर सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी कोर्ट ने एक पॉक्सो केस की सुनवाई करते हुए प्रोफेसर को सबूतों के आधार पर दोष मुक्त पाते हुए बरी कर दिया है. सुनवाई के दौरान सबूतों और गवाहों के आधार पर कोर्ट ने प्रोफेसर को दोषमुक्त पाया और बरी किया. साथ ही जांच अधिकारी और छात्रा को सख्त हिदायत दी है. पूरे मामले में प्रोफेसर की पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कोर्ट के सामने 8 गवाह और 9 दस्तावेज (सबूत) पेश किए.
गुरुवार को अपर सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी, न्यायाधीश नंदन सिंह की कोर्ट ने प्रोफेसर द्वारा छात्रा के साथ कथित छेड़छाड़ के मामले पर सुनवाई की. प्रोफेसर की तरफ से अधिवक्ता ने बताया नैनीताल जिले के एक कॉलेज की छात्रा के पिता ने उनके प्रोफेसर क्लाइंट के खिलाफ सितंबर 2021 को नैनीताल पुलिस को तहरीर दी कि प्रोफेसर ने उनकी बेटी से फोन पर बातचीत करते हुए अश्लील बातें की है. पिता की तहरीर पर पुलिस ने प्रोफेसर को गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया.
पुलिस ने प्रोफेसर के ऊपर जांच के बाद धारा 354 और पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया. प्रोफेसर को दो दिन जेल में बितानी पड़ी. वहीं, प्रोफेसर की तरफ से अधिवक्ता ने मामले में कुल 8 गवाह और उसके समर्थन में 9 दस्तावेजों को न्यायालय के समक्ष रखा. साथ ही कोर्ट ने फोन पर गई प्रोफेसर और छात्रा के बीच की बातचीत की रिकॉर्डिंग को भी सुना. जिसे सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि मोबाइल रिकॉर्डिंग में किसी भी प्रकार का कोई अश्लील वार्तालाप और डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से पीड़िता के साथ कोई घटना नहीं पाई जाती है.
इसके बाद पुलिस ने जांच अधिकारी और छात्रा को फटकार लगाई और प्रोफेसर को दोषमुक्त पाते हुए बरी कर दिया. कोर्ट ने अपने निर्णय में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी छात्रा का अपने शिक्षक के प्रति बिना कारण के इस तरह का आरोप लगाना एक सभ्य समाज के लिए घातक है. किसी शिक्षक का भविष्य अनावश्यक अनगर्ल आरोप के तहत खराब नहीं किया जा सकता है.
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