रांची/पाकुड़: अगर कोई सरकारी कर्मी स्वास्थ्य कारणों से चुनाव ड्यूटी से राहत चाहते हैं तो संभव है कि उनको नौकरी से हाथ धोना पड़ जाए. पाकुड़ के उपायुक्त मृत्युंजय कुमार वर्णवाल द्वारा जारी एक पत्र से तो यही संकेत मिल रहा है. दरअसल, पाकुड़ में मेडिकल बोर्ड ने चुनाव ड्यूटी के लिए 30 कर्मचारियों को अनफिट करार दिया है.
इस सूची में पांच गर्भवती महिलाएं भी हैं. इस लिस्ट के आने के बाद पाकुड़ के डीसी ने अनफिट करार दिए गये सभी 30 कर्मचारियों से अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव उपलब्ध कराने के लिए सभी संबंधित कार्यालय प्रधान को पत्र जारी किया है. डीसी के इस पत्र से सरकारी कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है.
डीसी ने अपने पत्र में क्या लिखा है
पाकुड़ के डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार वर्णवाल ने कार्यालय प्रधानों के नाम लिखे पत्र में इस बात पर सवाल उठाया है कि जब कोई कर्मी चुनाव ड्यूटी के लिए अनफिट है तो वह दैनिक सरकारी कार्यों का निर्वहन कैसे कर पाता होगा. ऐसे कर्मी बिना कार्य किए हर माह वेतन की राशि ले रहे हैं. जिससे सरकारी खजाने पर बेवजह भार पड़ रहा है, जो स्वीकार्य नहीं है. इसके बाद डीसी ने लिखा है कि ऐसे अनफिट कर्मचारियों के खिलाफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव, पत्र प्राप्ति के चार सप्ताह के अंदर अधोहस्ताक्षरी को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए.
पाकुड़ के डीसी ने दी सफाई
पूरे मामले पर ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह से फोन पर बातचीत के दौरान पाकुड़ के डीसी ने बताया कि इस बाबत एक पत्र 27 मार्च को जारी हुआ था. लेकिन उनकी बातों को गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है. उन्होंने मेडिकल बोर्ड द्वारा अनफिट लोगों की बात नहीं की है.
उनका कहना है कि पाकुड़ में मेन पावर की कमी है. इसके बावजूद सौ से ज्यादा कर्मियों ने अपने मेडिकल ग्राउंड का हवाला देकर चुनाव ड्यूटी से विमुक्ति का आवेदन दिया था. जिन लोगों को बोर्ड ने स्वस्थ करार दिया है, उनको लेकर यह पत्र जारी किया गया है. हालांकि, डीसी के पत्र की जो कॉपी ईटीवी भारत को मिली है, उसमें बोर्ड द्वारा अनफिट करार दिए गये सरकारी कर्मियों से ही अनिवार्य सेवानिवृत्ति की बात कही गई है.
इस मसले पर बोले मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी
झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने बताया कि चुनाव के वक्त बड़ी संख्या में मेन पावर की जरुरत होती है. लेकिन कर्मियों के स्वास्थ्य को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से स्पष्ट गाइडलाइन है, जिसका पालन करना होता है. अगर मेडिकल बोर्ड किसी को चुनाव ड्यूटी के लिए अनफिट बताता तो उस कर्मी के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जाता है.
जहां तक पाकुड़ के डीसी की बात है तो उन्होंने अपनी बात को सही तरीके से कंयूनिकेट नहीं किया. उनके पत्र से मिसइंटरप्रेटेशन हुआ था. बाद में उन्होंने आयोग के नियमों का हवाला देते हुए स्थिति स्पष्ट कर दी है. पाकुड़ के निर्वाचन पदाधिकारी के पास चुनाव को सुनिश्चित कराने के लिए अभी अच्छा खासा समय है. अब पाकुड़ में किसी तरह की समस्या नहीं है.
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