देवघर/दुमकाः एसीबी ने जिले में बड़ी कार्रवाई की है. दुमका एसीबी की टीम ने देवघर सिविल सर्जन को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है. वो नर्सिंग होम के लाइसेंस रिन्यूअल के लिए घूस ले रहे थे. सिविल सर्जन ने 1लाख 50 हजार रुपए की डिमांड की थी.
दरअसल एसीबी ने सिविल सर्जन को एक नर्सिंग होम के रिन्यूअल कराने के एवज में घूस मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया। सिविल सर्जन पर देवघर के मधुपुर में बंगाल नर्सिंग होम चलाने वाले मो. महफूज आलम ने घूस मांगने का आरोप लगाया था और इसकी शिकायत एसीबी से की थी. अपने शिकायत में मो. महफूज ने यह उल्लेख किया है कि वर्ष 2020 में बंगाल नर्सिंग होम के नाम से दस बेड की क्षमता वाले हॉस्पिटल की शुरुआत की थी.
नर्सिंग होम का रिन्यूअल कराना था लेकिन बीमार पड़ने के कारण रिन्यूअल का आवेदन देने में देरी कर दी. काफी दिनों के बाद जब उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वो सिविल सर्जन से मिले. सिविल सर्जन ने नर्सिंग होम के रिन्यूअल के नाम पर मो महफूज से एक लाख रूपये घूस देने की मांग की. बाद सिविल सर्जन ने यह राशि डेढ़ लाख कर दी.
नर्सिंग होम के संचालक घूस नहीं देना चाहता थे और उसने मामले की शिकायत दुमका स्थित एसीबी कार्यालय में की. एसीबी ने जांच में मामले को सही पाया. आज एसीबी ने सिविल सर्जन को देवघर स्थित उनके आवास, नवजीवन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से 70 हजार रूपये घूस लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.
दरअसल देवघर के सिविल सर्जन डॉक्टर रंजन सिन्हा मधुपुर स्थित बंगाल नर्सिंग होम के संचालक मोहम्मद महफूज आलम से उनके अस्पताल के रिन्यूअल करने के लिए रिश्वत के तौर पर 1 लाख रुपए की मांग की थी. जिसे बाद में बढ़ाकर 1लाख 50 हजार रुपए कर दिया. जिसकी शिकायत महफूज आलम ने एसीबी में की. जिसके बाद एसीबी ने कार्रवाई करते हुए सिविल सर्जन को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया.
वहीं पूरे मामले को लेकर पीड़ित महफूज आलम के सहयोगी सह बंगाल नर्सिंग होम के इंचार्ज राहुल कुमार ने यह बताया कि मधुपुर स्थित अस्पताल के संचालक मोहम्मद महफूज अपने खराब स्वास्थ्य की वजह से नर्सिंग होम का रिन्यूअल सही समय पर नहीं करवा पाए. वो 24 दिन बाद अस्पताल का रिन्यूअल कराने गए थे. जिसके लिए वह फाइन देने के लिए भी तैयार थे, लेकिन सिविल सर्जन के द्वारा घूस की मांग की गई.
नर्सिंग होम के संचालक महफूज आलम घूस देने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन सिविल सर्जन द्वारा उन्हें बाध्य किया गया कि पैसे देने पर ही वह उनके नर्सिंग होम को नियमित संचालन के लिए रिन्यूअल करने की अनुमति देंगे, नहीं तो उनके अस्पताल का लाइसेंस कैंसिल कर दिया जाएगा. जिसके बाद महफूज आलम ने इसकी शिकायत एसीबी से की.
वहीं दुमका जोन के एंटी करप्शन ब्यूरो की तरफ से प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया गया कि अग्रतर कार्रवाई के बाद यह स्पष्ट हो पाएगा कि देवघर जिला के स्वास्थ्य विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार के खेल में सिविल सर्जन के साथ-साथ और कौन-कौन से कर्मचारी एवं अधिकारी शामिल हैं. गिरफ्तार सिविल सर्जन को एसीबी की टीम दुमका कार्यालय ले आई है, जहां आवश्यक कारवाई के बाद उन्हें जेल भेजा जाएगा.
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