आगरा: अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला विराजमान हो गए. देश और दुनिया में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की धूम है. अब हिन्दुस्तान में मुगल वंश के संस्थापक बाबर के नाम से बनी बाबरी मस्जिद इतिहास बन गई. बाबर ने मुगलिया सल्तनत की राजधानी आगरा में गर्मी से बेहाल होने पर करीब 498 साल पहले यमुना किनारे हिश्त-बहिश्त यानी आराम गाह या आराम बाग बनवाया था. जिससे भी आज से करीब 250 साल पहले राम का नाम जुड़ गया था.
आगरा मुगलिया सल्तनत की राजधानी रहा है. आगरा से ही मुगलिया सल्तनत पूरे हिन्दुस्तान पर चलती थी. मुगल बादशाह बाबर ने आगरा में ही मुगल वंश की नींव रखी थी. तब आगरा हिन्दुस्तान के साथ ही दुनिया में केंद्र बिंदु था. बात करीब 498 साल पुरानी है. भारत में मुगल वंश के संस्थापक बाबर पानीपत के पहले युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराकर 10 मई-1526 को आगरा पहुंचा. उसने आगरा को अपनी राजधानी बनाया.
वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर राजे बताते हैं कि, मैंने अपनी पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' में लिखा है कि, जब बाबर आगरा आया था तो यहां पर मई की गर्मी थी. यहां भयंकर लू चलती थी. गर्मी और लू से बाबर बेहाल हो गया था. तब उसने गर्मी से बचाव के लिए यमुना किनारे (अब जवाहर पुल के नजदीक) अपनी आरामगाह बनवाई थी.
बाबर ने नाम दिया था हिश्त-बहिश्त नाम: बाबर ने अपनी आरामगाह को हिश्त-बहिश्त नाम दिया, जो दो मंजिला बारादरी की आरामगाह था. यमुना किनारे बने तलघर (तहखाने) तब इतना ठंडा रहता था कि, गर्मी में भी उसमें बैठने पर कंपकपी छूटती थी. इसके साथ ही बाबर ने गर्मी से बचाव के लिए वहां पर जल प्रपात, नहरें, बड़ा कुआं, हम्माम बनवाए. इसके साथ ही हरियाली के लिए कन्नेर, अनार और चंदन समेत अन्य पौधे भी लगवाए. बाबर को कन्नेर बेहद पसंद थी. इसलिए, उसने तब ग्वालियर से कनेर की पौध मंगवाई थी. बाबर की आरामगाह चिलचिती गर्मी में भी ठंडक देती थी. जहां पर बाबर रहता था.
मराठाओं ने रामबाग दिया था नाम: वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर राजे बताते हैं कि, जब मुगलिया सल्तनत कमजोर हो रही थी तो मराठा ताकतवर बन रहे थे. सन 1774 से 1803 तक आगरा पर मराठाओं का शासन रहा. तभी मराठाओं ने बाबर के बनाए आराम बाग का नाम बदलकर रामबाग कर दिया. जब देश में अंग्रेजों की हकूमत आई तो उन्होंने भी इसके नाम से कोई छेड़छाड़ नहीं की. अब रामबाग एक संरक्षित स्मारक है. जिसके देखरेख की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग की है. जहां पर टिकट से ही विजिटर्स को एंट्री मिलती है. अब आगरा के यमुनापार में रामबाग प्रमुख क्षेत्र है. आज भी रामबाग में तमाम पेड़ हैं. जिसमें चंदन, अमरूद, शहतूत, खजूर, आम समेत अन्य शामिल हैं.
रामबाग के ये नाम भी रहे: एएसआई की ओर से रामबाग स्मारक में शिला पट्टिका लगवाई है. उस पर पूरा इतिहास लिखा है. जिस पर लिखा है कि, बाबर के बनवाए गए हिश्त-बहिश्त जैसे ही बाग उसने समरकंद में देखे थे, उसने काबुल में भी ऐसे ही बाग बनवाये थे. बाबर के बाद जहांगीर ने इसकी मरम्मत कराने के साथ ही निर्माण कार्य कराये. जहांगीर ने 'बाग-ए-नूर-अफ्शा' नाम दिया था. जो नूर जहां की जागीर का हिस्सा था.
छोटा काबुल नजर आता था यमुनापार: वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर 'राजे' बताते हैं कि, बाबर ने आगरा में यमुना किनारे हवेलियों और बाग की शुरुआत की. उसने यमुनापार इसलिए भी निर्माण कराए. क्योंकि, उसे फतेहपुर सीकरी की ओर से दुश्मन के आक्रमण का डर रहता था. बाबर के आरामगाह के आसपास ही उस समय नदी किनारे अमीरों ने आसपास हवेलियां बनवा लीं. जिससे आगरा से खंदौली तक का क्षेत्र छोटा काबुल कहा जाने लगा था. बाबर के बाद अकबर, जहांगीर और शाहजहां के काल में यमुना किनारे 48 बाग और हवेलियां बनाई थीं.
अंग्रेज अफसर रामबाग में मनाते थे हनीमून: वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर 'राजे' बताते हैं कि, मुगल और मराठों के बाद जब आगरा पर अंग्रेजी हुकूमत का शासन आया तो उन्होंने इसका नाम रामबाग ही रहने दिया, अंग्रेजी हुकूमत ने तब यमुना किनारे बने रामबाग की ठंडक में हनीमून मनाने के लिए बुकिंग की व्यवस्था शुरू की. इसके लिए अंग्रेजों ने रामबाग के मूल ढांचे के ऊपर कमरे बनवाए थे. जो बाद में गिर गए. इन कमरे और बाग में तब अंग्रेज अफसर हनीमून मनाने या गर्मी छुट्टी की मनाने के लिए बुकिंग कराते थे. जिसके लिए बुकिंग होती थी. तब बुकिंग के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ता था. तब किसी को भी 15 दिन से ज्यादा बुकिंग नहीं मिलती थी.
बेटी के नाम से बनवाया था बाग: वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर 'राजे' बताते हैं कि, बाबर ने आराम बाग हिश्त बहिश्त के पास ही जौहरा बाग भी बनवाया था. इसके बाद बाबर ने अपनी बेटी के नाम पर अचानक बाग बनवाया था. इसके साथ ही बाबर के दौर के अमीरों ने भी यमुनापार में कई बाग लगवाए. जिनके अब निशान भी नहीं बचे हैं.