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दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी AAP, कयास पर लगा ब्रेक

Delhi Assembly Elections: हरियाणा चुनाव के परिणाम के बाद अब दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के संबंधों पर भी असर पड़ना तय है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 3 hours ago

कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी AAP
कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी AAP (Etv Bharat)

नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों को बड़ा झटका लगा है. अब सामने दिल्ली विधानसभा चुनाव है तो कयास लगने शुरू हो गए हैं कि क्या दिल्ली में बीजेपी को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी. इस संबंध में AAP प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि दिल्ली चुनाव पार्टी अकेले लड़ेगी. कांग्रेस अति-आत्मविश्वास में है तो बीजेपी में जीत का अहंकार है. दिल्ली सरकार ने पिछले 10 सालों में जो काम किया है उसके आधार पर तीसरी बार जनता से वोट मांगेगी.

हालांकि, जून में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव से पहले भी बीजेपी को टक्कर देने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चाएं शुरू हुई थी, और अलग-अलग समय पर दोनों ही दलों के नेता इसे अफवाह बता रहे थे. अंत में दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से चार सीटों पर आम आदमी पार्टी और तीन सीटों पर कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारा. दोनों पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. लोकसभा चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत अन्य नेता ने स्पष्ट कह दिया था कि यह गठबंधन लोकसभा चुनाव तक ही था, विधानसभा चुनाव में पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ेगी.

हरियाणा से सटे पंजाब और दिल्ली दोनों जगह आम आदमी पार्टी की सरकार है. इसलिए दोनों राज्यों का सरकार चलाने का मॉडल पेश कर आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की जनता से वोट देने की अपील की थी. मगर वोटरों ने पार्टी को निराश किया. अब इसका असर क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा? कल से ही इसकी चर्चा पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बीच कर रहे हैं. वहीं, केजरीवाल ने चुनाव नतीजे के रुझान आने के दौरान ही मंगलवार को कार्यकर्ताओं से कहा कि अति आत्मविश्वास और आपसी कलह से बचें.

हरियाणा में लगा AAP को बड़ा झटका: आम आदमी पार्टी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुल प्राप्त वोटों में से 1.79 प्रतिशत वोट मिले हैं. इससे पहले 2019 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 46 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे और उसे 0.48 फीसदी वोट मिला था. खुद पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को उम्मीद थी कि इस बार में चुनाव में पार्टी किंग मेकर की भूमिका में होगी. इसके कई कारण थे.

पहला अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और फिर कोर्ट द्वारा जमानत मिलना, दिल्ली सरकार के काम और योजनाएं, बीजेपी के खिलाफ केजरीवाल का आक्रामक रवैया और अपने खुद के हरियाणा से होने को वे अपने पक्ष में मान रहे थे. मगर यह नहीं चला. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल लगातार कह रहे हैं कि बीजेपी को दम है तो वह नवंबर में चुनाव कराएं, ऐसे में समय से पहले चुनाव हुआ तो पार्टी की रणनीति क्या होगी मंथन शुरू हो गया है.

चुनावी रणनीति में बदलाव कर सकती है AAP: माना जा रहा है कि हरियाणा के नतीजे के बाद आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपनी चुनावी रणनीति में भी कुछ बदलाव कर सकती है. जिन इलाकों में बीजेपी आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है वहां पर पार्टी की स्थिति को और मजबूत करने के लिए पार्टी कुछ विशेष अभियान शुरू कर सकती है. इसके अलावा प्रत्याशियों के चयन में भी पार्टी इस बार अधिक सतर्कता बरतेगी. मुस्लिम बहुल इलाके में पहले की तुलना में वोट बैंक खिसकने का डर है, ऐसे में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सीटों पर समझौता हो सकता है, इन संभावनाओं पर पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी में लिया गया फैसला अंतिम होगा.

ये भी पढ़ें:

  1. हरियाणा विधानसभा चुनाव में केजरीवाल के दावे की निकली हवा!, भाजपा की जीत से AAP नाखुश
  2. हरियाणा में बीजेपी की जीत का दिल्ली चुनाव पर कितना असर?, बन रहा ये समीकरण, जानिए सब

नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों को बड़ा झटका लगा है. अब सामने दिल्ली विधानसभा चुनाव है तो कयास लगने शुरू हो गए हैं कि क्या दिल्ली में बीजेपी को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी. इस संबंध में AAP प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि दिल्ली चुनाव पार्टी अकेले लड़ेगी. कांग्रेस अति-आत्मविश्वास में है तो बीजेपी में जीत का अहंकार है. दिल्ली सरकार ने पिछले 10 सालों में जो काम किया है उसके आधार पर तीसरी बार जनता से वोट मांगेगी.

हालांकि, जून में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव से पहले भी बीजेपी को टक्कर देने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चाएं शुरू हुई थी, और अलग-अलग समय पर दोनों ही दलों के नेता इसे अफवाह बता रहे थे. अंत में दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से चार सीटों पर आम आदमी पार्टी और तीन सीटों पर कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारा. दोनों पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. लोकसभा चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत अन्य नेता ने स्पष्ट कह दिया था कि यह गठबंधन लोकसभा चुनाव तक ही था, विधानसभा चुनाव में पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ेगी.

हरियाणा से सटे पंजाब और दिल्ली दोनों जगह आम आदमी पार्टी की सरकार है. इसलिए दोनों राज्यों का सरकार चलाने का मॉडल पेश कर आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की जनता से वोट देने की अपील की थी. मगर वोटरों ने पार्टी को निराश किया. अब इसका असर क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा? कल से ही इसकी चर्चा पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बीच कर रहे हैं. वहीं, केजरीवाल ने चुनाव नतीजे के रुझान आने के दौरान ही मंगलवार को कार्यकर्ताओं से कहा कि अति आत्मविश्वास और आपसी कलह से बचें.

हरियाणा में लगा AAP को बड़ा झटका: आम आदमी पार्टी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुल प्राप्त वोटों में से 1.79 प्रतिशत वोट मिले हैं. इससे पहले 2019 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 46 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे और उसे 0.48 फीसदी वोट मिला था. खुद पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को उम्मीद थी कि इस बार में चुनाव में पार्टी किंग मेकर की भूमिका में होगी. इसके कई कारण थे.

पहला अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और फिर कोर्ट द्वारा जमानत मिलना, दिल्ली सरकार के काम और योजनाएं, बीजेपी के खिलाफ केजरीवाल का आक्रामक रवैया और अपने खुद के हरियाणा से होने को वे अपने पक्ष में मान रहे थे. मगर यह नहीं चला. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल लगातार कह रहे हैं कि बीजेपी को दम है तो वह नवंबर में चुनाव कराएं, ऐसे में समय से पहले चुनाव हुआ तो पार्टी की रणनीति क्या होगी मंथन शुरू हो गया है.

चुनावी रणनीति में बदलाव कर सकती है AAP: माना जा रहा है कि हरियाणा के नतीजे के बाद आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपनी चुनावी रणनीति में भी कुछ बदलाव कर सकती है. जिन इलाकों में बीजेपी आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है वहां पर पार्टी की स्थिति को और मजबूत करने के लिए पार्टी कुछ विशेष अभियान शुरू कर सकती है. इसके अलावा प्रत्याशियों के चयन में भी पार्टी इस बार अधिक सतर्कता बरतेगी. मुस्लिम बहुल इलाके में पहले की तुलना में वोट बैंक खिसकने का डर है, ऐसे में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सीटों पर समझौता हो सकता है, इन संभावनाओं पर पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी में लिया गया फैसला अंतिम होगा.

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