ETV Bharat / state

आदि हिमानी चामुंडा मंदिर के कपाट हुए बंद, अब 15 मार्च को खुलेंगे श्रद्धालुओं के लिए मां के द्वार

धर्मशाला में दुर्गम स्थल पर स्थित आदि हिमानी चामुंडा मंदिर के कपाट बंद हो गए हैं, जो कि 15 मार्च को दोबारा खुलेंगे.

Aadi Himani Chamunda temple
आदि हिमानी चामुंडा मंदिर (File Photo)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

धर्मशाला: कांगड़ा जिला समेत प्रदेशभर की आस्था की प्रतीक माता हिमानी चामुंडा मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद हो गए हैं. प्राचीन परंपरा के अनुसार मंदिर के कपाट अब 15 मार्च को पूजा अर्चना के बाद ही खुलेंगे. मंगलवार को शाम की आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदिकेश्वर श्री चामुंडा धाम का मूल स्थान हिमानी चामुंडा को माना जाता है.

हिमानी चामुंडा की पौराणिक कथाएं

चामुंडा देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित वेद प्रकाश ने बताया कि आदि हिमानी चामुंडा धाम पौराणिक काल से शिव शक्ति का अद्भुत सिद्ध वरदान देने वाले स्थल के रूप में जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसी स्थान पर असुर जालंधर और महादेव के बीच युद्ध के दौरान भगवती चामुंडा को अधिष्ठात्री देवी और रुद्रत्व प्राप्त हुआ था. इस कारण यह क्षेत्र रुद्र चामुंडा के रूप में भी जाना जाता है.

कैसे पड़ा माता का नाम चामुंडा ?

चामुंडा देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित वेद प्रकाश ने बताया, "मां चामुंडा यहां जालंधर पीठ के उत्तरी द्वारपाल के रूप में स्थापित हैं. जब देवासुर संग्राम हुआ तो भगवती कौशिकी ने अपनी भृकुटि से मां चंडिका को उत्पन्न किया और उन्हें चंड व मुंड नाम के दैत्यों का वध करने को कहा. मां भगवती चंडिका व दैत्य चंड व मुंड के साथ भीषण संग्राम हुआ मां ने दोनों दैत्यों का वध कर दिया और दोनों असुरों के सिरों को काटकर भगवती कौशिकी के पास ले गई. मां भगवती ने प्रसन्न होकर कहा कि तुमने दैत्य चंड व मुंड का संहार किया है, इसलिए अब तुम संसार में चामुंडा नाम से प्रसिद्ध होंगी. तभी से कांगड़ा जिला के चामुंडा में क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी हैं."

Aadi Himani Chamunda temple
माता आदि हिमानी चामुंडा (ETV Bharat)

बेहद दुर्गम स्थल पर आदि हिमानी चामुंडा माता मंदिर

पुजारी पंडित वेद प्रकाश ने बताया कि माता का ये प्राचीन मंदिर धौलाधार में अति दुर्गम स्थल पर स्थित है. जिसे मां हिमानी चामुंडा मंदिर के नाम से जाना जाता है. मंदिर तक मार्ग दुर्गम होने के चलते भक्तों का वहां पहुंचना अति कठिन होता है. उन्होंने कहा कि माता की इच्छा व आज्ञा से वर्तमान स्थल पर भव्य नए मंदिर का निर्माण किया गया है. यहां कई किलोमीटर सीधी चढ़ाई चढ़ने के बाद श्रद्धालु दुर्गम स्थल पर स्थित मां के मंदिर पहुंचते हैं. गर्मियों में दुर्गम स्थल पर श्रद्धालु जातरों के रूप में यहां पहुंचते हैं. जबकि धर्मशाला-पालमपुर राजमार्ग में डाढ़ कस्बे के पास बाण गंगा (बनेर खड्ड) के मुहाने पर मां चामुंडा का मंदिर स्थापित है. जो श्रद्धालु दुर्गम स्थल तक नहीं पहुंच पाते हैं, वो श्रद्धालु यहां पर सरलता से माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं.

आदि हिमानी चामुंडा माता मंदिर अधिकारी राकेश कुमार ने बताया, "मौसम साफ होने पर 15 मार्च को मंदिर के कपाट खुलेंगे, लेकिन अभी धौलाधार पर्वत श्रृंखला पर भारी बर्फबारी होने के कारण मंदिर के कपाट माता के दर्शनों के लिए बंद कर दिए गए हैं."

ये भी पढ़ें: गीता जयंती पर जानिए भगवद्गीता के बेहतरीन मैनेजमेंट सूत्र, जिनमें छिपा है हर परेशानी का हल

धर्मशाला: कांगड़ा जिला समेत प्रदेशभर की आस्था की प्रतीक माता हिमानी चामुंडा मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद हो गए हैं. प्राचीन परंपरा के अनुसार मंदिर के कपाट अब 15 मार्च को पूजा अर्चना के बाद ही खुलेंगे. मंगलवार को शाम की आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदिकेश्वर श्री चामुंडा धाम का मूल स्थान हिमानी चामुंडा को माना जाता है.

हिमानी चामुंडा की पौराणिक कथाएं

चामुंडा देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित वेद प्रकाश ने बताया कि आदि हिमानी चामुंडा धाम पौराणिक काल से शिव शक्ति का अद्भुत सिद्ध वरदान देने वाले स्थल के रूप में जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसी स्थान पर असुर जालंधर और महादेव के बीच युद्ध के दौरान भगवती चामुंडा को अधिष्ठात्री देवी और रुद्रत्व प्राप्त हुआ था. इस कारण यह क्षेत्र रुद्र चामुंडा के रूप में भी जाना जाता है.

कैसे पड़ा माता का नाम चामुंडा ?

चामुंडा देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित वेद प्रकाश ने बताया, "मां चामुंडा यहां जालंधर पीठ के उत्तरी द्वारपाल के रूप में स्थापित हैं. जब देवासुर संग्राम हुआ तो भगवती कौशिकी ने अपनी भृकुटि से मां चंडिका को उत्पन्न किया और उन्हें चंड व मुंड नाम के दैत्यों का वध करने को कहा. मां भगवती चंडिका व दैत्य चंड व मुंड के साथ भीषण संग्राम हुआ मां ने दोनों दैत्यों का वध कर दिया और दोनों असुरों के सिरों को काटकर भगवती कौशिकी के पास ले गई. मां भगवती ने प्रसन्न होकर कहा कि तुमने दैत्य चंड व मुंड का संहार किया है, इसलिए अब तुम संसार में चामुंडा नाम से प्रसिद्ध होंगी. तभी से कांगड़ा जिला के चामुंडा में क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी हैं."

Aadi Himani Chamunda temple
माता आदि हिमानी चामुंडा (ETV Bharat)

बेहद दुर्गम स्थल पर आदि हिमानी चामुंडा माता मंदिर

पुजारी पंडित वेद प्रकाश ने बताया कि माता का ये प्राचीन मंदिर धौलाधार में अति दुर्गम स्थल पर स्थित है. जिसे मां हिमानी चामुंडा मंदिर के नाम से जाना जाता है. मंदिर तक मार्ग दुर्गम होने के चलते भक्तों का वहां पहुंचना अति कठिन होता है. उन्होंने कहा कि माता की इच्छा व आज्ञा से वर्तमान स्थल पर भव्य नए मंदिर का निर्माण किया गया है. यहां कई किलोमीटर सीधी चढ़ाई चढ़ने के बाद श्रद्धालु दुर्गम स्थल पर स्थित मां के मंदिर पहुंचते हैं. गर्मियों में दुर्गम स्थल पर श्रद्धालु जातरों के रूप में यहां पहुंचते हैं. जबकि धर्मशाला-पालमपुर राजमार्ग में डाढ़ कस्बे के पास बाण गंगा (बनेर खड्ड) के मुहाने पर मां चामुंडा का मंदिर स्थापित है. जो श्रद्धालु दुर्गम स्थल तक नहीं पहुंच पाते हैं, वो श्रद्धालु यहां पर सरलता से माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं.

आदि हिमानी चामुंडा माता मंदिर अधिकारी राकेश कुमार ने बताया, "मौसम साफ होने पर 15 मार्च को मंदिर के कपाट खुलेंगे, लेकिन अभी धौलाधार पर्वत श्रृंखला पर भारी बर्फबारी होने के कारण मंदिर के कपाट माता के दर्शनों के लिए बंद कर दिए गए हैं."

ये भी पढ़ें: गीता जयंती पर जानिए भगवद्गीता के बेहतरीन मैनेजमेंट सूत्र, जिनमें छिपा है हर परेशानी का हल
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.