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भरतपुर के अपना घर आश्रम के 2 हजार से अधिक प्रभुजनों को मिली नई पहचान, प्रशासन के सहयोग से बना आधार कार्ड - Apna Ghar Ashram of Bharatpur

भरतपुर के अपना घर आश्रम में रह रहे लावारिश व असहाय लोगों का अब नया ठिकाना मिलने जा रहा है. प्रशासन के सहयोग से अपना घर आश्रम के 2 हजार से अधिक प्रभुजनों का आधार कार्ड बन गया है, जल्द ही 4 हजार और लोगों के भी आधार कार्ड बनेंगे.

APNA GHAR ASHRAM OF BHARATPUR
असहायों का बना आधार कार्ड (फोटो : ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 2, 2024, 7:35 AM IST

असहायों का बना आधार कार्ड (वीडियो : ईटीवी भारत)

भरतपुर. लावारिस, असहाय लोगों को अब कागजों में नया ठिकाना और पहचान मिलना शुरू हो गई है. अपना घर आश्रम में रहने वाले निराश्रित लोगों के अब आधार कार्ड तैयार किए जा रहे हैं. इन सभी आधार कार्ड में उनका मूल पता अपना घर आश्रम दर्ज किया जा रहा है. इतना ही नहीं जिनके परिजनों के बारे में अभी तक पता नहीं चला है, ऐसे लावारिस प्रभुजनों के पिता के रूप में अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बी एम भारद्वाज का नाम लिखा जा रहा है. इससे अब आश्रम के प्रभुजनों को जहां सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा, वहीं समाज की मुख्य धारा के साथ जुड़ सकेंगे. जल्द ही आश्रम के अन्य 4 हजार प्रभुजनों का भी आधार तैयार किया जाएगा.

इसलिए पड़ी आधार की जरूरत : आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि अभी आश्रम में निवासरत प्रभुजनों के आधार कार्ड नहीं थे. कई सैकड़ों प्रभुजन का तो नाम तक नहीं पता. जिसकी वजह से प्रभुजनों को कई सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा था. यहां तक की सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए भी कोई पहचान वाला कागज उपलब्ध नहीं था. ऐसे में उन्हें पहचान देने के लिए प्रशासन के सहयोग से आधार कार्ड तैयार किए जा रहे हैं.

अब तक 2 हजार आधार तैयार : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि अब तक आश्रम में निवासरत 2 हजार प्रभुजनों के आधार कार्ड तैयार हो गए हैं. बाकी करीब 4 हजार प्रभुजन के भी आधार कार्ड तैयार करवाने की प्रक्रिया चल रही है. जिन प्रभुजन का नाम, पता और पहचान नहीं है उनका आश्रम की ओर से ही नामकरण किया जाता है. यहां तक कि सभी प्रभुजन का पता भी अपना घर आश्रम दर्ज किया जा रहा है. जिन बच्चों या प्रभुजन के पिता का नाम नहीं पता उनके पिता के रूप में आश्रम संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज का ही नाम लिखा जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- दुनिया का अनूठा परिवार, यहां एक छत के नीचे रहते हैं 6 हजार से अधिक लोग, नमाज और पूजा एक जगह - International Family Day

कई चुनौतियां आ रही सामने : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि प्रभुजन के आधार कार्ड तैयार करवाने में कई कानूनी और तकनीकी दिक्कतें सामने आ रही हैं. जैसे कि आधार के वेरिफिकेशन के लिए मोबाइल नंबर चाहिए. एक मोबाइल नंबर को तीन-चार आधार के साथ ही लिंक कराया जा सकता है. जबकि आश्रम में रहने वाले प्रभुजनों के पास कोई मोबाइल नहीं होता. जिसकी वजह से काफी परेशानी हो रही है. डॉ. भारद्वाज ने बताया कि इस संबंध में जिला कलेक्टर से मिलकर इस तरह की संस्था के लिए कोई अलग से विकल्प तैयार करवाने का निवेदन करेंगे.

इसे भी पढ़ें- 11 साल से बेसहारा 'प्रभु जी' की सेवा कर रहा ये आश्रम, बिछड़े हुए 300 लोगों का परिवार से कराया मिलन - Apna Ghar Ashram of Alwar

गौरतलब है कि अपना घर आश्रम की वर्ष 2000 में स्थापना हुई थी. वर्ष 2000 में आश्रम एक बीघा जमीन पर संचालित था. उस समय डॉ. भारद्वाज दंपती 6 कमरे के आश्रम में 23 प्रभु जी ( असहाय, बेसहारा लोग) की सेवा करते थे, लेकिन आज नेपाल समेत देश भर में आश्रम की 60 शाखाएं संचालित हैं. अपना घर आश्रम की सभी शाखाओं में 12 हजार से अधिक प्रभुजन निवासरत हैं.

इसे भी पढ़ें- अपनाघर की नई पहल, पुनर्विवाह के बाद गृहस्थ जीवन जिएंगे प्रभुजन, तैयार की जाएगी 200 आवासों की कॉलोनी

असहायों का बना आधार कार्ड (वीडियो : ईटीवी भारत)

भरतपुर. लावारिस, असहाय लोगों को अब कागजों में नया ठिकाना और पहचान मिलना शुरू हो गई है. अपना घर आश्रम में रहने वाले निराश्रित लोगों के अब आधार कार्ड तैयार किए जा रहे हैं. इन सभी आधार कार्ड में उनका मूल पता अपना घर आश्रम दर्ज किया जा रहा है. इतना ही नहीं जिनके परिजनों के बारे में अभी तक पता नहीं चला है, ऐसे लावारिस प्रभुजनों के पिता के रूप में अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बी एम भारद्वाज का नाम लिखा जा रहा है. इससे अब आश्रम के प्रभुजनों को जहां सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा, वहीं समाज की मुख्य धारा के साथ जुड़ सकेंगे. जल्द ही आश्रम के अन्य 4 हजार प्रभुजनों का भी आधार तैयार किया जाएगा.

इसलिए पड़ी आधार की जरूरत : आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि अभी आश्रम में निवासरत प्रभुजनों के आधार कार्ड नहीं थे. कई सैकड़ों प्रभुजन का तो नाम तक नहीं पता. जिसकी वजह से प्रभुजनों को कई सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा था. यहां तक की सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए भी कोई पहचान वाला कागज उपलब्ध नहीं था. ऐसे में उन्हें पहचान देने के लिए प्रशासन के सहयोग से आधार कार्ड तैयार किए जा रहे हैं.

अब तक 2 हजार आधार तैयार : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि अब तक आश्रम में निवासरत 2 हजार प्रभुजनों के आधार कार्ड तैयार हो गए हैं. बाकी करीब 4 हजार प्रभुजन के भी आधार कार्ड तैयार करवाने की प्रक्रिया चल रही है. जिन प्रभुजन का नाम, पता और पहचान नहीं है उनका आश्रम की ओर से ही नामकरण किया जाता है. यहां तक कि सभी प्रभुजन का पता भी अपना घर आश्रम दर्ज किया जा रहा है. जिन बच्चों या प्रभुजन के पिता का नाम नहीं पता उनके पिता के रूप में आश्रम संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज का ही नाम लिखा जा रहा है.

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कई चुनौतियां आ रही सामने : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि प्रभुजन के आधार कार्ड तैयार करवाने में कई कानूनी और तकनीकी दिक्कतें सामने आ रही हैं. जैसे कि आधार के वेरिफिकेशन के लिए मोबाइल नंबर चाहिए. एक मोबाइल नंबर को तीन-चार आधार के साथ ही लिंक कराया जा सकता है. जबकि आश्रम में रहने वाले प्रभुजनों के पास कोई मोबाइल नहीं होता. जिसकी वजह से काफी परेशानी हो रही है. डॉ. भारद्वाज ने बताया कि इस संबंध में जिला कलेक्टर से मिलकर इस तरह की संस्था के लिए कोई अलग से विकल्प तैयार करवाने का निवेदन करेंगे.

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गौरतलब है कि अपना घर आश्रम की वर्ष 2000 में स्थापना हुई थी. वर्ष 2000 में आश्रम एक बीघा जमीन पर संचालित था. उस समय डॉ. भारद्वाज दंपती 6 कमरे के आश्रम में 23 प्रभु जी ( असहाय, बेसहारा लोग) की सेवा करते थे, लेकिन आज नेपाल समेत देश भर में आश्रम की 60 शाखाएं संचालित हैं. अपना घर आश्रम की सभी शाखाओं में 12 हजार से अधिक प्रभुजन निवासरत हैं.

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