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अकस्मात घटना होने से कार्डियक अरेस्ट हो सकता है, बीमा कंपनी क्लेम से मना नहीं कर सकती - MACT Court Order in Cardiac Arrest - MACT COURT ORDER IN CARDIAC ARREST

एमएसीटी मामलों की विशेष कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अकस्मात घटना होने से कार्डियक अरेस्ट हो सकता है. ऐसे में बीमा कंपनी क्लेम की जिम्मेदारी से नहीं बच सकती.

MACT Court
एमएसीटी मामलों की विशेष कोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 7, 2024, 9:28 PM IST

जयपुर: जिले की एमएसीटी मामलों की विशेष कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी व्यक्ति के साथ अकस्मात घटना होने पर चोटों के बिना भी उसे कार्डियक अरेस्ट आ सकता है. ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी अपनी क्लेम की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. वहीं कोर्ट ने विपक्षी बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह प्रार्थिया को क्षतिपूर्ति के तौर पर 14.31 लाख रुपए की राशि ब्याज सहित दे. कोर्ट ने कहा कि यदि अकस्मात घटना नहीं होती, तो उसकी मौत नहीं होती. कोर्ट ने यह आदेश लाल कंवर व अन्य की क्लेम याचिका पर दिया.

याचिका में कहा गया कि प्रार्थिया का पति महावीर सिंह 12 जनवरी, 2022 की रात 8 बजे अपने ट्रक को कनकपुरा फाटक के पास खड़ा कर पैदल-पैदल खाना खाने होटल पर जा रहा था. वह महफिल होटल के पास पहुंचा, तो नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से बीमित मोटरसाइकिल के वाहन चालक ने गलत साइड से आकर उसे टक्कर मारी. इसमें उसे खरोंच आई और वह बेहोश हो गया. उसे अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी मौत हो गई. प्रार्थियों ने याचिका दायर कर बीमा कंपनी सहित अन्य से क्लेम दिलवाने का आग्रह किया.

पढ़ें: टायर फटने से दुर्घटना एक्ट ऑफ गॉड नहीं, बीमा कंपनी आश्रितों को दे 1.65 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति - MACT Court Order in Road Accident

बीमा कंपनी ने जवाब में कहा कि बीमित वाहन से एक्सीडेंट नहीं हुआ व मृतक के हार्ट की कई बीमारियां थीं. उसने शराब पी रखी थी, ऐसे में उसके काेई प्राण घातक चोटें नहीं आई हैं. उसकी मौत एक्सीडेंट का परिणाम नहीं थी बल्कि उसकी कार्डियक अरेस्ट से हुई है. इसलिए बीमा कंपनी क्लेम राशि देने के लिए जिम्मेदार नहीं है. प्रार्थी पक्ष का जवाब था कि एफएसएल रिपोर्ट में सामने आया है कि मृतक ने एल्कोहल ले रखा था, लेकिन मेडिकल जूरिस्ट का कहना है कि जितनी मात्रा उसने ले रखी थी, उससे कार्डियक अरेस्ट नहीं आ सकता. ऐसा अकस्मात हादसे से हुआ है. इसलिए बीमा कंपनी मृतक के आश्रितों को क्लेम राशि का भुगतान करे.

जयपुर: जिले की एमएसीटी मामलों की विशेष कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी व्यक्ति के साथ अकस्मात घटना होने पर चोटों के बिना भी उसे कार्डियक अरेस्ट आ सकता है. ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी अपनी क्लेम की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. वहीं कोर्ट ने विपक्षी बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह प्रार्थिया को क्षतिपूर्ति के तौर पर 14.31 लाख रुपए की राशि ब्याज सहित दे. कोर्ट ने कहा कि यदि अकस्मात घटना नहीं होती, तो उसकी मौत नहीं होती. कोर्ट ने यह आदेश लाल कंवर व अन्य की क्लेम याचिका पर दिया.

याचिका में कहा गया कि प्रार्थिया का पति महावीर सिंह 12 जनवरी, 2022 की रात 8 बजे अपने ट्रक को कनकपुरा फाटक के पास खड़ा कर पैदल-पैदल खाना खाने होटल पर जा रहा था. वह महफिल होटल के पास पहुंचा, तो नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से बीमित मोटरसाइकिल के वाहन चालक ने गलत साइड से आकर उसे टक्कर मारी. इसमें उसे खरोंच आई और वह बेहोश हो गया. उसे अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी मौत हो गई. प्रार्थियों ने याचिका दायर कर बीमा कंपनी सहित अन्य से क्लेम दिलवाने का आग्रह किया.

पढ़ें: टायर फटने से दुर्घटना एक्ट ऑफ गॉड नहीं, बीमा कंपनी आश्रितों को दे 1.65 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति - MACT Court Order in Road Accident

बीमा कंपनी ने जवाब में कहा कि बीमित वाहन से एक्सीडेंट नहीं हुआ व मृतक के हार्ट की कई बीमारियां थीं. उसने शराब पी रखी थी, ऐसे में उसके काेई प्राण घातक चोटें नहीं आई हैं. उसकी मौत एक्सीडेंट का परिणाम नहीं थी बल्कि उसकी कार्डियक अरेस्ट से हुई है. इसलिए बीमा कंपनी क्लेम राशि देने के लिए जिम्मेदार नहीं है. प्रार्थी पक्ष का जवाब था कि एफएसएल रिपोर्ट में सामने आया है कि मृतक ने एल्कोहल ले रखा था, लेकिन मेडिकल जूरिस्ट का कहना है कि जितनी मात्रा उसने ले रखी थी, उससे कार्डियक अरेस्ट नहीं आ सकता. ऐसा अकस्मात हादसे से हुआ है. इसलिए बीमा कंपनी मृतक के आश्रितों को क्लेम राशि का भुगतान करे.

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