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पेशाब की थैली में था कैंसर, पेट के सहारे आंतों से बनाई थैली, ESIC मेडिकल कॉलेज में हुआ जटिल ऑपरेशन

अलवर के ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में पेशाब ​की थैली में कैंसर की गांठों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया.

कैंसर की गांठों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन
कैंसर की गांठों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन (ETV Bharat Alwar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 14, 2024, 8:44 PM IST

अलवर : ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के यूरोलॉजी विभाग में अब जटिल ऑपरेशन संभव हैं. पिछले दिनों ही यहां वृद्ध मरीज के पेशाब ​की थैली में कैंसर की गांठों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया. 61 वर्षीय मरीज का दिल केवल 35 प्रतिशत कार्य करने से यह ऑपरेशन जटिल था. मरीज डायबिटिज से भी पीड़ित था, लेकिन मरीज की इच्छाशक्ति व चिकित्सकों के प्रयास ने यह संभव कर दिखाया. यह जटिल ऑपरेशन करीब 6 घंटे चला.

नई पेशाब थैली बनाई : ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज के गुर्दा एवं मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. महेश सोनवाल ने बताया कि मरीज की उम्र 61 वर्ष थी और उसका दिल केवल 35 प्रतिशत ही कार्य कर रहा था. डायबिटिज की बीमारी के कारण ऐसे ऑपरेशन में मरीज की जान को खतरा रहता है. उन्होंने बताया कि मरीज की पेशाब की थैली में 8 सेमी की गांठ थी और कैंसर पेशाब की थैली के बाहर तक फैल चुका था. प्रारंभिक जांच के बाद मरीज को ऑपरेशन की सलाह दी गई. आपरेशन के दौरान मरीज के पेशाब की थैली निकाल कर पेट के सहारे आंतों से नई पेशाब थैली बनाई गई.

इसे भी पढ़ें- SMS Hospital : मरीज के हार्ट के दोनों वाल्व खराब थे, महिला का दुर्लभ 'बॉम्बे' ब्लड ग्रुप था - Complicated Heart Operation

उन्होंने बताया कि ऐसे जटिल ऑपरेशन बड़े शहरों में ही संभव होते थे, लेकिन अब अलवर में भी ऐसे जटिल ऑपरेशन संभव हो रहे हैं. ऑपरेशन टीम में डॉ महेश सोनवाल के अलावा सीनियर रेजीडेंट सर्जरी विभाग डॉ लोकेश जांगिड़, जूनियर रेंजीडेंट डॉ हर्षित शर्मा, निश्चेतना विभाग के डॉ रवि, डॉ हेमंत यादव, डॉ दीपक, नर्सिंग स्टाफ रमाकांत व संजय शामिल रहे.

अलवर : ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के यूरोलॉजी विभाग में अब जटिल ऑपरेशन संभव हैं. पिछले दिनों ही यहां वृद्ध मरीज के पेशाब ​की थैली में कैंसर की गांठों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया. 61 वर्षीय मरीज का दिल केवल 35 प्रतिशत कार्य करने से यह ऑपरेशन जटिल था. मरीज डायबिटिज से भी पीड़ित था, लेकिन मरीज की इच्छाशक्ति व चिकित्सकों के प्रयास ने यह संभव कर दिखाया. यह जटिल ऑपरेशन करीब 6 घंटे चला.

नई पेशाब थैली बनाई : ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज के गुर्दा एवं मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. महेश सोनवाल ने बताया कि मरीज की उम्र 61 वर्ष थी और उसका दिल केवल 35 प्रतिशत ही कार्य कर रहा था. डायबिटिज की बीमारी के कारण ऐसे ऑपरेशन में मरीज की जान को खतरा रहता है. उन्होंने बताया कि मरीज की पेशाब की थैली में 8 सेमी की गांठ थी और कैंसर पेशाब की थैली के बाहर तक फैल चुका था. प्रारंभिक जांच के बाद मरीज को ऑपरेशन की सलाह दी गई. आपरेशन के दौरान मरीज के पेशाब की थैली निकाल कर पेट के सहारे आंतों से नई पेशाब थैली बनाई गई.

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उन्होंने बताया कि ऐसे जटिल ऑपरेशन बड़े शहरों में ही संभव होते थे, लेकिन अब अलवर में भी ऐसे जटिल ऑपरेशन संभव हो रहे हैं. ऑपरेशन टीम में डॉ महेश सोनवाल के अलावा सीनियर रेजीडेंट सर्जरी विभाग डॉ लोकेश जांगिड़, जूनियर रेंजीडेंट डॉ हर्षित शर्मा, निश्चेतना विभाग के डॉ रवि, डॉ हेमंत यादव, डॉ दीपक, नर्सिंग स्टाफ रमाकांत व संजय शामिल रहे.

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