लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेज में लगातार गिर रही छात्र संख्या को लेकर उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय का कहना है कि, बीते 2 सालों में जिस तरह से स्टेट यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेज ने अपनी गुणवत्ता को साबित करने के लिए कॉलेजों नैक एक्रीडिटेशन कराया है. जिसके चलते छात्रों का रुख ऐसे संस्थानों के प्रति काफी बढ़ा है. इसका असर है कि जिन डिग्री कॉलेज और विश्वविद्यालय का परफॉर्मेंस ठीक नहीं है, वहां पर स्टूडेंट्स की संख्या लगातार काम हो रही है. ईटीवी भारत से बातचीत में शिक्षा मंत्री ने कहा कि, बीते दो सालों में प्रदेश में नैक असेसमेंट करने वाले विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेज की संख्या में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है. जिस कारण से इन संस्थाओं के एकेडमिक रिकॉर्ड और परफॉर्मेंस को लेकर छात्रों के बीच में एक माहौल बना है.
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि, जब सरकारी कॉलेज और विश्वविद्यालय अच्छा परफॉर्मेंस दे रहे हैं. तो छात्र उनकी तरफ जा रहे हैं. इससे पहले प्रदेश में क्या क्या था, उत्तर प्रदेश का एक भी सरकारी विश्वविद्यालय और निजी विश्वविद्यालय नैक रैंकिंग में कोई ग्रेड नहीं था, बी प्लस या उससे नीचे रहे होंगे. पर आज योगी सरकार में 2 साल के अंदर छह स्टेट यूनिवर्सिटी A++ रैंकिंग, चार ए प्लस रैंकिंग हासिल कर चुके हैं. जबकि निजी विश्वविद्यालयो की बात करे तो 4 निजी विश्वविद्यालयों को नैक से ए प्लस प्लस और चार को ए ग्रेडिंग मिल चुके हैं. इससे पहले यह स्थिति कभी नहीं रही, आज भारत भर में सबसे अधिक नैक ग्रेडिंग हासिल करने वाले विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में है.
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि, प्रदेश के डिग्री कॉलेज और उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की खाली पदों को भरने के लिए जो आयोग का गठन सरकार की तरफ से किया गया था. उसका नियमावली बनकर तैयार हो चुका है, सब कुछ पूरा हो चुका है. उसमें अध्यक्ष प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा उसके कार्यवाहक अध्यक्ष जल्द ही उसमें नियमित अध्यक्ष की घोषणा होने वाली है और जल्दी आयोग फुल फ्लैश काम करना शुरू कर देगा और प्रदेश में जो भी नियुक्तियां पेंडिंग पड़ी है. उन्हें जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.
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