जैसलमेर. 1965 व 1971 के भारत-पाक युद्ध, इतिहास में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. इन दो युद्धों में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाते हुए जीत हासिल की थी. साथ ही भारत ने पड़ोसी देश को हराकर अपनी क्षमता साबित कर दी थी, लेकिन इन दोनों युद्धों में भारत के कई सैनिक भी शहीद हुए थे. बीएसएफ की ओर से इन शहीद सैनिकों की याद में विभिन्न चौकियों को इन्हीं शहीदों का नाम दिया गया है. इन्हीं चौकियों में शामिल है जैसमेर की एक ऐसी चौकी, जहां से गुजरने वाला हर राहगीर शहीद के चबूतरे पर पानी व बीड़ी चढ़ाता है. उस शहीद के प्रति बीएसएफ ने श्रद्धांजलि देते हुए उस चौकी का नाम 'विश्वनाथ' रख दिया. अंतरराष्ट्रीय सीमा की तरफ आने-जाने वाले जवान इन सभी समाधियों पर असीम श्रद्धा से जल और बीड़ी चढ़ाते हैं.
पाकिस्तानी सेना से लड़ते हुए शहीद : गौरतलब है कि 1971 के भारत पाक युद्ध में पाकिस्तान की हार के बाद 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना वापस अपने मुल्क लौट रही थी. इसी दौरान भारतीय सीमा में बीएसएफ की 14वीं बटालियन के कमांडेंट कर्नल जय सिंह के नेतृत्व में थार के डेजर्ट में सेना की टुकड़ियां भारतीय क्षेत्र की पेट्रोलिंग कर रही थीं. 18 दिसंबर 1971 को ऐसी ही एक टुकड़ी का नेतृत्व सब इंस्पेक्टर वीएन मेहता कर रहे थे, जो कि गाड़ी से शाहगढ़ क्षेत्र से मांडला व मेहराणा की तरफ जा रहे थे. इस बीच अचानक एक पाक टुकड़ी ने धोखे से मीठा झंडा व मांडला गांव के बीच उनकी गाड़ी पर हमला कर दिया. इस हमले में वीरता से मुकाबला करते हुए सब इंस्पेक्टर वीएन मेहता व उनके साथ कांस्टेबल भंवर सिंह वीरगति को प्राप्त हो गए. वहीं, सब इंस्पेक्टर दिनेशचंद्र व हेड कांस्टेबल किशनचंद्र गंभीर जख्मी हो गए थे.
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बीएसएफ सूत्रों ने बताया कि युद्ध में शहीद हुए सब इंस्पेक्टर वीएन मेहता की याद में एक स्मारक बनवाया गया है. वहीं, अब ऐसी मान्यता है कि बीएसएफ की कोई भी गाड़ी या अन्य राहगीर जब कभी भी इस स्मारक के आगे से निकलते हैं तो रुककर शहीद की समाधि पर पानी, बीड़ी या सिगरेट जरूर चढ़ाते हैं. इसके बिना उनकी गाड़ी आगे नहीं बढ़ सकती है.
परिजनों ने बनाई समाधि : शहीद सब इंस्पेक्टर वीएन मेहता के पुत्र सतीश मेहता व पुत्री सुमन दत्ता सहित अन्य परिवारीजन जैसलमेर पहुंचे. जहां तनोट के पास बनी शहीद मेहता की समाधि का निर्माण करवाया गया था. वे पिछले लंबे समय से इसके लिए प्रयासरत थे. जिसके बाद बीएसएफ की स्वीकृति मिलने के बाद परिजनों ने समाधि बनाई. जैसलमेर पहुंचे शहीद मेहता के बेटे ने अपने पिता की समाधि पर पानी, बीड़ी व सिगरेट चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. पानी चढ़ाने के पीछे आस्था भी शहीद जवानों से जुड़ी है. चढ़ाया हुआ पानी किसी जानवर या पशु के मुंह में जाने पर दिवंगत जवान को यह पानी अर्पण हो जाता है. वहीं, शहीद वीएन मेहता बीड़ी और सिगरेट पिना पसंद करते थे.
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पानी नहीं चढ़ाया तो आगे नहीं बढ़ेगी गाड़ी : बीएसएफ के जवान व अधिकारियों के साथ यहां से गुजरने वाले आमजन में भी यही मान्यता है कि यहां रुककर शहीद को पानी चढ़ाना जरूरी है. पानी चढ़ाने के साथ बीड़ी-सिगरेट भी चढ़ाई जाती है, शहीद की समाधि पर पानी नहीं चढ़ाने पर पहले गाड़ी पंक्चर होने या खराब होने की घटनाएं सामने आई थीं, जिसके बाद हर राहगीर यहां रुककर पानी व सिगरेट चढ़ाता है.
बेटा व बेटी भी बीएसएफ में : शहीद की बेटी सुमन दत्ता ने बताया कि मेरे पिता जब शहीद हुए तब मैं सातवीं कक्षा में पढ़ती थी. उनके निधन के बाद मैंने भी बीएसएफ ज्वाइन की. मेरा छोटा भाई भी बीएसएफ में कार्यरत है. जब भी उनके बारे में सोचती हूं मुझे गर्व होता है कि मैं विश्वनाथ मेहता की बेटी हूं, जिन्होंने अपने देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी. जब भी उनकी समाधि पर आती हूं तो लगता है कि पिता आज भी देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात हैं. यहां के लोगों के प्रति उनकी आस्था भी अपने आप में बेजोड़ है.