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1986 से भारत भ्रमण कर रहे पंचायती अखाड़े के कई संत पहुंचे बनारस, तीन दिन करेंगे प्रवास - Saint on tour in India since 1986

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 2, 2024, 12:52 PM IST

1986 से भारत भ्रमण कर रहे पंचायती अखाड़े के संतों का बड़ा समूह लंबे वक्त बाद बनारस पहुंचा. इस समूह में 70 संतों के साथ सैकड़ो की संख्या में भक्त और अन्य भी मौजूद हैं जो लगातार देश भ्रमण में लगे हुए हैं.

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PANCHAYATI AKHARA SAINTS AT BANARAS (photo credit- Etv Bharat)

वाराणसी: श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की भ्रमणशील संतो का बड़ा समूह चौमासा प्रवास के लिए वाराणसी पहुंचा. महंत लक्ष्मण दास महाराज की अगुआई में सभी संतो का स्वागत वाराणसी के पदमश्री चौराहा काली माता मंदिर पर किया गया. यह सभी संत सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार के लिए देश भर के भ्रमण पर निकले है. इस जमात में बड़ी संख्या में अखाड़े से जुड़े संत और महामंडलेश्वरों की मौजूदगी है.

SAINT ON TOUR IN INDIA SINCE 1986 reached at varanasi (video credit- etv bharat)
पारंपरिक रीति रिवाज के साथ श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की भ्रमणशील जमात का फूल वर्षा के साथ स्वागत किया गया. आचार्य श्रीचंद्र भगवान और श्री गुरु राम राय महाराज के जयकारों के साथ बैंड और ढोल की थाप पर संतों ने दरबार साहिब में प्रवेश किया. संस्कृत विद्यालय के छात्रों ने स्वास्तिक मंत्रोचारण किया. महंत लक्ष्मण दास कोठरी महाराज ने बताया, कि साधु-महंतों का प्रतिनिधिमंडल तीन दिन तक प्रवास पर रहेगा. यहां साधु संतो ने वैदिक विधि-विधान के साथ गणेश-पंचदेव एवं कलश पूजन कर श्री दरबार साहिब प्रवास की शुरुआत की.

इसे भी पढ़े-अब काशी के गुरुद्वारे और जैन मंदिरों का होगा कायाकल्प, अलग-अलग फेजों में किए जाएंगे तैयार - Gurudwara and Jain temples

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काली माता मंदिर में संतो का किया गया स्वागत (photo credit- etv bharat)

उन्होंने आचार्य श्रीचंद्र भगवान और श्री गुरु राम राय महाराज की आरती और अरदास कर देश में सुख शांति और समृद्धि की कामना की. श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के तपस्वी संत-महंतों की भ्रमणशील देशभर में भ्रमण करती हैं. इसी क्रम में चार महीने श्री दरबार साहिब में भी भ्रमण पर रहती है. श्री पंचायती अखाड़ा, बड़ा उदासीन की चार धुरी पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण हैं. इनके चार श्रीमहंत होते हैं. इन्हेंं तपस्वी संतों का चलता फिरता तीर्थ माना जाता है. वैदिक परंपरा के अनुसार श्री दरबार साहिब प्रवास के दौरान वह विशेष पूजन, ध्यान और वैदिक परंपराओं का निर्वहन करते हैं.

देश भ्रमण को निकालने वाला संतो का यह हुजुम 1986 से अनवरत भारत भ्रमण का कार्य कर रही है. लंबे वक्त के बाद यह हुजुम वाराणसी पहुंचा. अब यहां से सभी प्रयागराज के लिए निकलेंगे. इसके बाद उत्तराखंड होते हुए देश के अलग-अलग हिस्सों और धर्म स्थलों पर पहुंच कर धर्म का प्रचार प्रसार करने के साथ ही लोगों को धार्मिक ज्ञान बांटने का काम मौजूद संतों के द्वारा किया जाएगा. इस समूह में 70 संतों के साथ सैकड़ो की संख्या में भक्त और अन्य भी मौजूद हैं जो लगातार देश भ्रमण में लगे हुए हैं.

यह भी पढ़े-आगरा के लिए अच्छी खबर; एयरपोर्ट पर 343 करोड़ से बनेगा नया टर्मिनल, 32 चेक-इन काउंटर, 3 बैगेज बेल्ट, 4 एयरोब्रिज, बढ़ेंगी यात्री सुविधाएं - Agra Airport New terminal building

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SAINT ON TOUR IN INDIA SINCE 1986 reached at varanasi (video credit- etv bharat)
पारंपरिक रीति रिवाज के साथ श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की भ्रमणशील जमात का फूल वर्षा के साथ स्वागत किया गया. आचार्य श्रीचंद्र भगवान और श्री गुरु राम राय महाराज के जयकारों के साथ बैंड और ढोल की थाप पर संतों ने दरबार साहिब में प्रवेश किया. संस्कृत विद्यालय के छात्रों ने स्वास्तिक मंत्रोचारण किया. महंत लक्ष्मण दास कोठरी महाराज ने बताया, कि साधु-महंतों का प्रतिनिधिमंडल तीन दिन तक प्रवास पर रहेगा. यहां साधु संतो ने वैदिक विधि-विधान के साथ गणेश-पंचदेव एवं कलश पूजन कर श्री दरबार साहिब प्रवास की शुरुआत की.

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काली माता मंदिर में संतो का किया गया स्वागत (photo credit- etv bharat)

उन्होंने आचार्य श्रीचंद्र भगवान और श्री गुरु राम राय महाराज की आरती और अरदास कर देश में सुख शांति और समृद्धि की कामना की. श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के तपस्वी संत-महंतों की भ्रमणशील देशभर में भ्रमण करती हैं. इसी क्रम में चार महीने श्री दरबार साहिब में भी भ्रमण पर रहती है. श्री पंचायती अखाड़ा, बड़ा उदासीन की चार धुरी पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण हैं. इनके चार श्रीमहंत होते हैं. इन्हेंं तपस्वी संतों का चलता फिरता तीर्थ माना जाता है. वैदिक परंपरा के अनुसार श्री दरबार साहिब प्रवास के दौरान वह विशेष पूजन, ध्यान और वैदिक परंपराओं का निर्वहन करते हैं.

देश भ्रमण को निकालने वाला संतो का यह हुजुम 1986 से अनवरत भारत भ्रमण का कार्य कर रही है. लंबे वक्त के बाद यह हुजुम वाराणसी पहुंचा. अब यहां से सभी प्रयागराज के लिए निकलेंगे. इसके बाद उत्तराखंड होते हुए देश के अलग-अलग हिस्सों और धर्म स्थलों पर पहुंच कर धर्म का प्रचार प्रसार करने के साथ ही लोगों को धार्मिक ज्ञान बांटने का काम मौजूद संतों के द्वारा किया जाएगा. इस समूह में 70 संतों के साथ सैकड़ो की संख्या में भक्त और अन्य भी मौजूद हैं जो लगातार देश भ्रमण में लगे हुए हैं.

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