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साल में एक बार रथखाने से बाहर आता है इंद्र विमान, एक परिवार पिछले 4 पीढ़ियों से कर रहा देखभाल - LORD JAGANNATH RATH YATRA

अलवर शहर की प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 15 जुलाई को निकलेगी. इसे लेकर मंदिर में तैयारियां शुरू हो चुकी है. रथ यात्रा का रथ बाहर ​निकाल दिया गया है. इसकी मरम्मत की तैया​रियां यहां का एक जांगिड़ परिवार कर रहा है. इस परिवार के पास चार पीढ़ियों से रथ के रख रखाव का काम है.

Rath Yatra Of Lord Jagannath
भगवान जगन्नाथ का रथ (photo etv bharat alwar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 10, 2024, 3:15 PM IST

चार पीढ़ियों से भगवान जगन्नाथ के रथ की देखभाल कर रहा एक परिवार (video etv bharat alwar)

अलवर. शहर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की तैयारी अब जोर शोर से होने लगी है. यह रथ यात्रा 15 जुलाई को निकलेगी. भगवान जगन्नाथ की बारात के लिए इंद्र विमान को भी रथ खाने से बाहर लाकर तैयार किया जा रहा है. इसकी खास बात यह है कि इंद्र विमान की शहर का जांगिड़ परिवार पिछले चार पीढ़ियों से मरम्मत कर रहा है. साल में एक बार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए इंद्र विमान का प्रयोग होता है. इसके बाद इसे महल चौक स्थित रथ खाने में ले जाकर खड़ा कर दिया जाता है.

मंदिर व मेला कमेटी के सदस्य धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि मुहूर्त देखकर रथ यात्रा के काम लिए जाने वाले तीनों रथों को रथ खानों से बाहर निकाला जाता है, जिससे कि रथों की तीन से चार दिनों तक मरम्मत की जा सके. इन दिनों रथों की धुलाई, रंग- पेंट, रथों की साज सज्जा, इंद्र विमान के लिए तैयार किया गया पहिया सहित अन्य जरूरी कार्य किए जा रहे हैं. इसके बाद मंदिर प्रांगण से 14 जुलाई को सीताराम जी की सवारी निकाली जाएगी. अगले दिन 15 जुलाई को भगवान जगन्नाथ पुराना कटला सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर से रुपवास स्थित रूपहरि मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे. मंदिर में अभी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.

पढ़ें: पुरी रथ यात्रा: रस्म के दौरान भगवान बलभद्र 'चारमाल' पर फिसले, कई सेवक घायल

मेला कमेटी के सदस्य शर्मा ने बताया कि 11 पंडितों की ओर से रोजाना मंदिर में गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ किया जा रहा है. रथ यात्रा के काम लिए जाने वाले रथों की मरम्मत करने वाले प्रदीप जांगिड़ ने बताया कि उनके परिवार की चौथी पीढ़ी सेवा भाव से इंद्र विमान के मरम्मत का कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि जगन्नाथजी के आशीर्वाद से ही पीढ़ी दर पीढ़ी हमारा परिवार इस कार्य को कर रहा है. रथ खाने से इंद्र विमान सहित अन्य रथों को बुधवार को बाहर लाया गया है. इसके बाद बारीकी से एक-एक चीज को देखा जाएगा. इसके बाद करीब 4 से 5 दिनों तक रथों को तैयार करने में समय लगेगा. तीनों रथों के पहियों को खोलकर रिपेयर व मेंटेनेंस का कार्य किया जाएगा. प्रदीप ने बताया कि रथ यात्रा का मार्ग 7 किलोमीटर लंबा है व करीब 10 घंटे तक यह रथ यात्रा चलती है, इसलिए बारीकी से एक चीज को देखकर मरम्मत की जाती है, जिससे कोई विघ्न रथ यात्रा में ना आए.

विशेष तरह से है इंद्र विमान की बनावट: प्रदीप ने बताया कि इंद्र विवाह रथ की बनावट विशेष तरीके से की गई है, यह दो मंजिला रथ है. पहली मंजिल पर रथ यात्रा के दौरान लोगों के बैठने की व्यवस्था रहती है तो दूसरी मंजिल पर भगवान जगन्नाथ को विराजित किया जाता है. इसमें व्यक्ति सड़क से भी खड़े होकर दूसरी मंजिल पर विराजित भगवान जगन्नाथ के आसानी से दर्शन कर सकता है. रथ यात्रा के दौरान भगवान को देखने के लिए जिले भर से लोग सड़कों पर पलक पावडे़ बिछाकर खड़े रहते है. प्रदीप ने बताया कि इंद्र विमान जमीन से 20 से 22 फीट ऊंचा व 25 फीट लंबा है.

यह भी पढें: अलवर के राजगढ़ में भी निकली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा

अभी तक है सलामत रथ : प्रदीप ने बताया कि इंद्र विमान को पुरानी लकड़ी से बनाया गया है. उन्होंने बताया लकड़ी की बनावट के साथ ही इसमें लोहे से मोल्ड किया गया है, जिसके चलते 121 सालों बाद भी इंद्र विमान में किसी तरह की कोई खराबी नहीं होती, यदि होती भी है तो मरम्मत के दौरान उसे ठीक किया जाता है. प्रदीप ने बताया कि रथों की साज-सज्जा के लिए हर साल नए कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है.

चार पीढ़ियों से भगवान जगन्नाथ के रथ की देखभाल कर रहा एक परिवार (video etv bharat alwar)

अलवर. शहर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की तैयारी अब जोर शोर से होने लगी है. यह रथ यात्रा 15 जुलाई को निकलेगी. भगवान जगन्नाथ की बारात के लिए इंद्र विमान को भी रथ खाने से बाहर लाकर तैयार किया जा रहा है. इसकी खास बात यह है कि इंद्र विमान की शहर का जांगिड़ परिवार पिछले चार पीढ़ियों से मरम्मत कर रहा है. साल में एक बार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए इंद्र विमान का प्रयोग होता है. इसके बाद इसे महल चौक स्थित रथ खाने में ले जाकर खड़ा कर दिया जाता है.

मंदिर व मेला कमेटी के सदस्य धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि मुहूर्त देखकर रथ यात्रा के काम लिए जाने वाले तीनों रथों को रथ खानों से बाहर निकाला जाता है, जिससे कि रथों की तीन से चार दिनों तक मरम्मत की जा सके. इन दिनों रथों की धुलाई, रंग- पेंट, रथों की साज सज्जा, इंद्र विमान के लिए तैयार किया गया पहिया सहित अन्य जरूरी कार्य किए जा रहे हैं. इसके बाद मंदिर प्रांगण से 14 जुलाई को सीताराम जी की सवारी निकाली जाएगी. अगले दिन 15 जुलाई को भगवान जगन्नाथ पुराना कटला सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर से रुपवास स्थित रूपहरि मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे. मंदिर में अभी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.

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मेला कमेटी के सदस्य शर्मा ने बताया कि 11 पंडितों की ओर से रोजाना मंदिर में गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ किया जा रहा है. रथ यात्रा के काम लिए जाने वाले रथों की मरम्मत करने वाले प्रदीप जांगिड़ ने बताया कि उनके परिवार की चौथी पीढ़ी सेवा भाव से इंद्र विमान के मरम्मत का कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि जगन्नाथजी के आशीर्वाद से ही पीढ़ी दर पीढ़ी हमारा परिवार इस कार्य को कर रहा है. रथ खाने से इंद्र विमान सहित अन्य रथों को बुधवार को बाहर लाया गया है. इसके बाद बारीकी से एक-एक चीज को देखा जाएगा. इसके बाद करीब 4 से 5 दिनों तक रथों को तैयार करने में समय लगेगा. तीनों रथों के पहियों को खोलकर रिपेयर व मेंटेनेंस का कार्य किया जाएगा. प्रदीप ने बताया कि रथ यात्रा का मार्ग 7 किलोमीटर लंबा है व करीब 10 घंटे तक यह रथ यात्रा चलती है, इसलिए बारीकी से एक चीज को देखकर मरम्मत की जाती है, जिससे कोई विघ्न रथ यात्रा में ना आए.

विशेष तरह से है इंद्र विमान की बनावट: प्रदीप ने बताया कि इंद्र विवाह रथ की बनावट विशेष तरीके से की गई है, यह दो मंजिला रथ है. पहली मंजिल पर रथ यात्रा के दौरान लोगों के बैठने की व्यवस्था रहती है तो दूसरी मंजिल पर भगवान जगन्नाथ को विराजित किया जाता है. इसमें व्यक्ति सड़क से भी खड़े होकर दूसरी मंजिल पर विराजित भगवान जगन्नाथ के आसानी से दर्शन कर सकता है. रथ यात्रा के दौरान भगवान को देखने के लिए जिले भर से लोग सड़कों पर पलक पावडे़ बिछाकर खड़े रहते है. प्रदीप ने बताया कि इंद्र विमान जमीन से 20 से 22 फीट ऊंचा व 25 फीट लंबा है.

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अभी तक है सलामत रथ : प्रदीप ने बताया कि इंद्र विमान को पुरानी लकड़ी से बनाया गया है. उन्होंने बताया लकड़ी की बनावट के साथ ही इसमें लोहे से मोल्ड किया गया है, जिसके चलते 121 सालों बाद भी इंद्र विमान में किसी तरह की कोई खराबी नहीं होती, यदि होती भी है तो मरम्मत के दौरान उसे ठीक किया जाता है. प्रदीप ने बताया कि रथों की साज-सज्जा के लिए हर साल नए कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है.

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